देहरादून: महान वीरबाला तीलू रौतेली का इससे बड़ा अपमान क्या होगा कि सूबे की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने उनके नाम पर 2006 से दिए जा रहे प्रतिष्ठित राज्य स्तरीय नारी सम्मान पुरस्कार को चुनावी साल में लालबत्ती की तर्ज पर बीजेपी महिला मोर्चा को बांट दिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आठ अगस्त को 22 महिलाओं-किशोरियों को तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित करेंगे लेकिन जिनको सम्मानित किया जा रहा उनके नाम सामने आने के बाद गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
अब जरा गौर करिए तीलू रौतेली पुरस्कार पाने वाले नामों पर:-
सबसे पहले बात पिथौरागढ़ जिले की कर लेते हैं।
यहां से धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल की बेटी दीपिका चुफाल को सामाजिक क्षेत्र में योगदान के लिए तीलू रौतेली पुरस्कार के लिए चुना गया है। मंत्री की बेटी बीजेपी के टिकट पर जिला पंचायत चुनाव हार चुकी हैं और आगे पिता चुफाल सीट छोड़ेंगे तो दावेदारी उन्हीं की है। अब पिता जिस सरकार में मंत्री हों और पुरस्कार भी न मिले तो ऐसी सत्ता का फायदा क्या है जी!
पिथौरागढ़ से ही जिला पंचायत अध्यक्ष और बीजेपी नेता की पत्नी दीपिका बोहरा को भी तीलू रौतेली सम्मान मिलेगा।
पिथौरागढ़ जिले से ही कोरोना योद्धा के रूप में बीजेपी महिला मोर्चा नेता बबीता पुनेठा पंगरिया के रूप में तीलू रौतेली पुरस्कार मिलेगा।
पिथौरागढ़ से बालिका शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए बीजेपी और संघ से जुड़ी रेखा जोशी को चुना गया है।
अब आ जाइये ऊधमसिंहनगर जिले में:-
ऊधमसिंहनगर बीजेपी महिला मोर्चा की जिला महामंत्री उमा जोशी को भी सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए तीलू रौतेली पुरस्कार मिलेगा।
चमोली जिला: बीजेपी महिला मोर्चा ज़िलाध्यक्ष चंद्रकला तिवारी को कोविड काल में उनकी महान सेवाओं के लिए प्रतिष्ठित तीलू रौतेली पुरस्कार दिया जाएगा। सोचिए इस प्रदेश में कोरोना जंग में जान की बाजी लगाने वाली एक अदद महिला डॉक्टर/नर्सिंग स्टाफ तक नहीं मिल पाई कि सारी कोरोना योद्धा बीजेपी महिला मोर्चा से खोजनी पड़ी!
देहरादून में भी धामी सरकार को सामाजिक कार्य करने वाली बीजेपी महिला मोर्चा वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनुराधा वालिया ही मिल पाई।
देहरादून से शिक्षा व महिला जागरुकता को लेकर उल्लेखनीय कार्य को लेकर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के पीआरओ पत्नी डॉ राजकुमारी चौहान को तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
अब आप सहज अंदाज़ा लगा सकते हैं कि साढ़े चार साल तक कार्यकर्ता की पूछ की नहीं गई और अब नाराजगी दूर करने को प्रतिष्ठित पुरस्कार की ही ऐसी बेक़द्री कर डाली कि बीजेपी महिला मोर्चा पर ही सम्मान लुटा दिए।
देहरादून और ऊधमसिंहनगर जैसे जिलों को चार-चार पुरस्कार मिल गए लेकिन रुद्रप्रयाग जैसे जिले एक के लिए भी तरह गए।