कुंभ में हुई कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा: एक लाख से ज्यादा जांच फ़र्ज़ी! एक ही व्यक्ति के नाम से कई जांच रिपोर्ट, ICMR के निर्देश पर जांच में पकड़ा गया प्राइवेट लैब का फर्जीवाड़ा

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देहरादून: अब तक अस्पतालों पर मौत के आंकड़े छिपाने के आरोप लग रहे थे। अब महाकुंभ के दौरान निजी टेस्ट लैब कोरोना टेस्ट के नाम पर किया गया फ़र्ज़ीवाड़ा भी सामने आ गया है।हाइकोर्ट की लगातार फटकार के चलते हरिद्वार महाकुंभ में लाखों लोगों की टेस्टिंग गई लेकिन अब खुलासा हो रहा है कि एक प्राइवेट लैब ने एक लाख से ज्यादा सैंपल के एंटीजन टेस्ट में गड़बड़ी की। दरअसल हरिद्वार महाकुंभ के दौरान टेस्टिंग के लिए नौ प्राइवेट लैब्स के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया गया था। लेकिन अब एक प्राइवेट लैब का फर्जीवाड़ा उजागर हो गया है। ICMR के निर्देश के बाद तीरथ सरकार द्वारा चीफ कंट्रोलिंग ऑफ़िसर डॉ अभिषेक त्रिपाठी से पड़ताल कराई गई जिसमें प्राइवेट लैब द्वारा टेस्टिंग में भारी गड़बड़ी करने की बात उजागर हुई है। इसके बाद अब सरकार हरिद्वार डीएम से विस्तृत जांच करा रही है।
हुआ यूँ कि हरिद्वार के एक स्थानीय व्यक्ति को मोबाइल पर सूचना मिली की उनका आरटीपीसीआर सैंपल लिया गया है जिसका एसडीआरएफ नंबर ये है। बिना जांच के लिए सैंपल दिए आरटीपीसीआर होने का मैसेज पाकर उन्होंने ICMR तक इसकी शिकायत पहुँचा दी। फिर ICMR के निर्देश पर राज्य सरकार ने जांच की तो फर्जीवाड़ा सामने आया।
दरअसल, उक्त लैब ने टेस्टिंग नंबर्स बढ़ाने के लिए फ़र्ज़ी तरीके से आधार कार्ड की मदद लेकर बिना टेस्ट किए ही स्वास्थ्य महकमे को बिल प्रस्तुत कर दिए।हिन्दुस्तान में छपी रिपोर्ट के अनुसार एक ही व्यक्ति के नाम से। कई जांच रिपोर्ट बनाकर ठगी का खेल खेला। फ़र्ज़ी आधार कार्ड और मोबाइल नंबर इस्तेमाल कर झूठी रिपोर्ट बनाकर सरकार से पैसा लूटने का दांव खेला और ऐसी फ़र्ज़ी रिपोर्ट वाले मामले निगेटिव दिखा दिए ताकि टेस्टिंग नंबर बढ़ जाएँ और किसी को भनक भी न लगे।
हरिद्वार जिले में अब तक 15 लाख से अधिक कोविड जाँचें हुई हैं जिनमें सबसे बड़ा आंकड़ा महाकुंभ के समय का ही है। अब सवाल है कि इन लाखों की टेस्टिंग में फर्जीवाड़े का घुन कहां तक पहुँचा हुआ है? स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी मानते हैं कि शुरूआती जांच पड़ताल में गड़बड़ी पकड़ी गई है। अब सरकार को डीएम की डिटेल्ड रिपोर्ट का इंतजार है। दरअसल सरकार ने प्राइवेट लैब्स के साथ एक एंटीजन टेस्ट के लिए 354 रु देने का करार किया था। अब कहा जा रहा है कि एक लाख के करीब कोविड जाँचें फ़र्ज़ी तरीके से की गई हैं। तब सवाल उठता है कि क्या बाकी लैब्स का जांच रिपोर्ट की भी पड़ताल की जाएगी?


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