
राज्य के कर्मचारियों, पेंशनर्स एवं उनके आश्रितों हेतु लागू की गई गोल्डन कार्ड योजना की खामियों को दूर करने हेतु 15 जुलाई को स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय संघ द्वारा प्रस्तुत तथ्य व आधारों के उपरांत संघ को यह विश्वास था कि स्वास्थ्य मंत्री कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के अंशदान से संचालित गोल्डन कार्ड योजना की खामियों को दुरुस्त करने पर अपना कोई अपेक्षित निर्णय देंगे। परंतु दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि समाचार-पत्रों में जो बयान इस बैठक के बाद दिए गए हैं, वह इस बैठक के मूल बिंदु से इतर अटल आयुष्मान के कार्ड की संख्या बढ़ाने से संबंधित हैं, जोकि पूर्ण रूप से राजनीतिक तुष्टीकरण की नीति को प्रदर्शित करता है।

प्रदेश में इस वक्त गोल्डन कार्ड की खामी के कारण प्रदेश के कार्मिक, पेंशनर्स एवं उनके आश्रित परेशान हैं, किसी भी चिकित्सालय में गोल्डन कार्ड नहीं चल रहा है, वहीं स्वास्थ्य मंत्री द्वारा मूल विषय को भटका कर हीलाहवाली करने वाले अधिकारियों की ही बातों को तवज्जो दिए जाने की सोच ऐसे बयानों से स्पष्ट हो रही है।
प्रदेश के कर्मचारी एवं पेंशनर्स प्रतिमाह मासिक अंशदान की कटौती के स्वयं के वित्तीय संसाधनों से इस योजना को क्रियान्वित कर रहे हैं, जिसमें सरकार का कोई वित्तीय भार नहीं पड़ रहा है, उसके उपरांत भी शासन के आला अधिकारी प्रदेश के कर्मचारी एवं पेंशनर्स की इस गोल्डन कार्ड योजना को धरातल पर दुरुस्त नहीं करना चाहते तथा अब ऐसा प्रतीत होता है कि स्वास्थ्य मंत्री भी इन्हीं अधिकारियों के हिसाब से इस राज्य के कर्मचारियों एवं पेंशनर्स की जायज मांग को अनदेखा करने का प्रयास कर रहे हैं।
सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी द्वारा बताया गया कि गोल्डन कार्ड की खामियों के निवारण हेतु कल स्वास्थ्य मंत्री के साथ हुई बैठक में इस राज्य के अधिकारियों, कर्मचारियों, शिक्षकों, पेंशनर्स व परिवार के आश्रित सदस्यों के चिकित्सा उपचार हेतु बेहतर सुविधा बहाल कराये जाने हेतु वे अपनी टीम के साथ पूर्ण मनोयोग, इच्छाशक्ति, आत्म-विश्वास और ऊर्जा के साथ दृढ़ संकल्पित हैं। अभी हमने अपने सम्पूर्ण तथ्य व बातें निर्णय हेतु रखी हैं, हमारे पक्ष में जल्दी निर्णय ले लिए जाने पर सरकार और स्वास्थ्य मंत्री का आभार व्यक्त होगा और मामले को अनावश्यक लटकाने, जल्दी निर्णय न लिये जाने तथा प्रकरण में कार्मिकों के साथ चूहे बिल्ली का खेल खेले जाने पर हम किस तरह से ईंट से ईंट बजाते हैं, यह भी नजारा सामने आयेगा। यही स्थिति रही तो जल्दी ही इस मुद्दे पर कर्मचारी हित मे सभी कार्मिकों, पेन्शनर्स व सभी परिवार के आश्रितों को एक कर आन्दोलन भी निश्चित है, चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े। स्वास्थ्य मंत्री ऐसे समय के लिये भी तैयार रहें, क्योंकि अब समय आ रहा है कि गोल्डन कार्ड के साथ कार्मिकों के काॅमन मुददों को लेकर एक बड़ा आन्दोलन शायद इंतजार कर रहा है, चाहे अब इसकी अगुवाई पुनः सचिवालय संघ को ही क्यों न करनी पड़े।