अब नए सिरे से ऊर्जा सचिव सौजन्या, नए एमडी दीपक रावत और पूर्ववर्ती एमडी नीरज खैरवाल से संयुक्त मोर्चा कर्मचारी नेताओं की वार्ता से समाधान निकलने की फिर से बन रही उम्मीद
देहरादून: राज्य अभूतपूर्व बिजली संकट की तरफ बढ़ सकता है। सोमवार रात्रि 12 बजे से तीनों निगमों के 3500 से अधिक बिजली कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। अब हड़ताल के दौरान ठेका कर्मचारियों के भरोसे विद्युत सप्लाई सिस्टम रहेगा। दरअसल सोमवार को पहले ऊर्जा सचिव सौजन्या और उसके बाद दूसरे दौर की मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू के साथ वार्ता विफल रही थी जिसके बाद कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। सवाल उठ रहे कि पहले तो हालात यहाँ तक पहुँचे कैसे और ड्राइविंग सीट पर अधिकारियों को बिठाकर खुद सीएम पुष्कर सिंह धामी और ऊर्जा मंत्री डॉ हरक सिंह रावत कहां मशगूल हो गए है, क्यों नहीं बड़ी पहल कर हड़ताली कर्मियों को वार्ता की मेज पर बुलाकर रास्ता निकालने का प्रयास किया जा रहा?
अब संकट ये है कि पॉवर हाउस से उत्पादन ठप हुआ तो ग्रिड फेल होने का खतरा बढ़ जाएगा। अधिकारियों-कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने ले यमुना घाटी की पाँचों जल विद्युत परियोजनाओं को सुरक्षा की दृष्टि से बंद कर दिया गया है। उत्तराखंड सरकार को एक रु यूनिट की दर से बिजली आपूर्ति करने वाली UJVNL का उत्पादन थमने से अब सरकार सरकार को बाहर से महँगी 4-5 रु यूनिट बिजली ख़रीदनी पड़ रही है। ऊर्जा निगमों के हड़ताली कर्मियों का आरोप है कि सरकार उनकी माँगों को लेकर गंभीर नहीं है और 2017 से माँगों का निस्तारण नहीं हो रहा। जिन माँगों पर समझौते हो चुके सरकार उन पर भी अमल नहीं कर रही है। हड़ताल में स्थाई कर्मचारियों के साथ उपनल के अलावा दूसरे कर्मचारी भी शामिल हैं। उत्तराखंड इंजीनियर्स फैडरेशन ने भी आंदोलन को समर्थन दिया है। जबकि जनरल ओबीसी कर्मचारी भी समर्थन दे चुके हैं।
ऊर्जा निगम कर्मियों की माँगें
ऊर्जा निगम के कार्मिक पिछले चार सालों से एसीपी की पुरानी व्यवस्था मांग रहे
उपनल के माध्यम से कार्योजित कार्मिकों के नियमितीकरण की मांग
समान कार्य हेतु समान वेतन को लेकर लगातार सरकार से वार्ता
22 दिसंबर 2017 को कार्मिकों संगठनों तथा सरकार के बीच द्विपक्षीय समझौता हुआ था
पर आज तक समझौते पर नहीं हो पाई कोई कार्यवाही
ऊर्जा निगम कार्मिकों की मांग सातवें वेतन आयोग में पुरानी चली आ रही 9-5-5 की एसीपी व्यवस्था बहाल हो
उत्तर प्रदेश के समय से ही मिल रहीं थी ये एसीपी व्यवस्था
पे मैट्रिक्स में छेड़खानी करने का आरोप
संविदा कार्मिकों को समान कार्य के बदले समान वेतन पर
कार्यवाही नहीं हुई
ऊर्जा निगमों में इंसेंटिव एलाउंसेस का रिवीजन नहीं हुआ