देहरादून: अपने बयानों से सियासी बवंडर खड़ा करते रहे हरक सिंह रावत ने ऊर्जा मंत्री बनते ही जोश में 100 यूनिट फ्री और 200 यूनिट पर 50 प्रसेंट छूट का ऐलान कर दिया। इस बड़े चुनावी ऐलान के ज़रिए जहां, ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने कांग्रेस और हरीश रावत को चेक मेट करने का दांव खेला, वहीं
दो बार दिल्ली फतह कर ‘फ्री पॉलिटिक्स’ की चैंपियन बनी आम आदमी पार्टी को भी पहाड़ पॉलिटिक्स में एंट्री से पहले ही एग्जिट का रास्ता दिखाने का प्रयास किया। लेकिन एक तो हरक सिंह के अति उत्साह ने सियासी तौर पर बीजेपी से ये स्वीकारोक्ति करा डाली कि उसे अरविंद केजरीवाल की AAP के 2022 में पहाड़ पगडंडी चढ़ने का डर सताने लगा है और जाने-अनजाने ही सही आम आदमी पार्टी और केजरीवाल की बिछाई सियासी बिसात पर खेलने को बीजेपी की धामी सरकार मजबूर हो गई है।
दूसरा संकट घाटे में पहले से बत्ती गुल कराए बैठे ऊर्जा निगम के लिए खड़ा कर दिया है। ये सही है कि ऊर्जा मंत्री बनते ही हरक सिंह रावत ने फ्री बिजली की घोषणा कर सूबे को राजनीतिक तापमान को और बढ़ा दिया है। इसके बाद अब आम आदमी पार्टी सीएम हाउस घेराव को निकल पड़ी कि कहां उनका 300 यूनिट फ्री बिजली का वादा और कहां ये हरक सिंह का चुनावी जुमला। कांग्रेस नेता पूर्व सीएम हरीश रावत भी पूछ रहे कि आखिर पैसा कहां से लाएंगे।
दरअसल दिल्ली का टैक्स कलेक्शन बंपर है जिसके आधार पर केजरीवाल सरकार वहाँ बिजली-पानी सहित कई फ्री फ़ैसिलिटी दे पा रही। लेकिन उत्तराखंड के आर्थिक हालात पहले ही दयनीय थे अब कोरोना की मार ने हालात बद से बदतर कर दी है। यहां तक कि रोडवेज कर्मियों को पांच माह से पेंडिग वेतन के लिए हाईकोर्ट जाना पड़ा और वहाँ सरकार ने अपनी ख़स्ता हालत का खूब रोना रोया है। अब सौ यूनिट फ्री बिजली और 200 यूनिट तक 50 फीसदी छूट से पॉवर कारपोरेशन को ख़ासा नुकसान उठाना पड़ सकता है। पॉवर कारपोरेशन पहले से 3000 करोड़ रु के घाटे में है और 100 यूनिट फ्री बिजली और 200 यूनिट तक 50 फीसदी छूट से ऊर्जा निगम को हर महीने करीब 45-50 करोड़ का घाटा होगा।
यानी सालाना करीब 500 करोड़ रु का घाटा होगा जिसकी भरपाई के लिए या तो बाकी पॉवर कंज्यूमर्स पर टैरिफ़ बढ़ाकर बोझ डाला जाए या घाटे के निगम को और नुकसान उठाने को कहा जाए। 31 अक्तूबर तक सरचार्ज माफी का बोझ भी निगम को उठाना होगा।
भले चुनावी साल में ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत का बयान फ़ायदेमंद हो सकता है क्योंकि 26 लाख पॉवर कंज्यूमर्स में से करीब 16-17 लाख घरेलू कंज्यूमर्स को पूरा या आंशिक लाभ देकर खुश किया जा सकेगा। लेकिन बिना आर्थिक संसाधन बढ़ाए चुनावी साल में ‘मुफ्त सियासत’ कहीं पहले से बीमार आर्थिक सेहत को और पंगु न बना डाले!
वैसे तो अभी ऊर्जा मंत्री ने विभाग का ज़िम्मा संभालते ही अति उत्साह में बड़ा ऐलान कर दिया है लेकिन कैबिनेट में प्रस्ताव आने के बाद इस पर फैसला होगा या नहीं इसके लिए इंतजार करना होगा। हाँ इतना जरूर है कि अपने विभाग की ही सही लेकिन इतनी बड़ी लुभावनी चुनावी घोषणा बिना बजटीय प्रावधान, बिना कैबिनेट और मुख्यमंत्री धामी की सहमति के करके ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने जोखिम तो मोल लिया ही है और शायद सीएम-कैबिनेट को ठेंगा भी दिखा दिया है। सरकार के भीतर भी इसे लेकर यही चर्चा है!