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आचार संहिता के बाद बोर्ड-निगम, समितियों और आयोगों में भाजपा पदाधिकारियों की नियुक्ति के धड़ाधड़ सामने आ रहे बैकडेट-बैकडोर नियुक्ति पत्र, हमलावर हरदा का आरोप, 57 की सत्ता का घमंड, चुनाव आयोग से मौन न रहने की मांग

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देहरादून: डबल इंजन सरकार के पांच साल के कार्यकाल में निगम-बोर्ड, समितियों आयोगों में कुर्सी पाने की चाहत मन में दबाए बैठे रहे कई भाजपा पदाधिकारियों की चुनाव में जाते-जाते मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुनवाई कर ही ली। एक के बाद एक भाजपा पदाधिकारियों की नियुक्ति के सार्वजनिक हो रहे पत्र 7 जनवरी को की गई नियुक्तियों की तस्दीक़ कर रहे हैं, मानो धामी सरकार ने अन्य दिनों की बजाय चुनाव आचार संहिता से चंद घंटे पहले 7 को ही ताबड़तोड़ काम निपटाया। कांग्रेस का आरोप है कि दरअसल सरकार भले दिखा रही हो कि सारे काम आचार संहिता से पहले निपटाए गए हो लेकिन असल में आचार संहिता लगने के बाद बैकडेट में पदाधिकारियों को रेवड़ियां बाँटी जा रही हैं।

अगर ऐसा नहीं होता तो पांच साल की सरकार में अजेन्द्र अजय को आचार संहिता से चंद घंटे पहले बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी देने की बजाय देवसथानम बोर्ड भंग करते ही दायित्व देकर कामधाम शुरू कर चुके होते। इसी तरह किसान आयोग से लेकर बाल संरक्षण आयोग, महिला आयोग में अंतिम वक्त में नियुक्तियाँ की गई हैं। अब कांग्रेस ने इसे मुद्दा बना दिया है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने इस मुद्दे पर हमलावर होते भाजपा सरकार को न केवल कटघरे में खड़ा कर दिया है बल्कि आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए इन नियुक्तियों को 57 के बहुमत से उपजी सत्ता का घमंड करार दिया है।


पूर्व सीएम हरीश रावत ने आरोप लगाया है कि को-ऑपरेटिव बैंकों में अब तक भी नियुक्तियाँ जारी हैं। हरिद्वार से विरोध आया तो नियुक्तियाँ रुकी और अब पिछले दरवाजे से नियुक्तियाँ करने की कोशिश हो रही है। रावत ने कहा कि मुझे भरोसा है कि चुनाव आयोग इसका संज्ञान लेगा। एक और ट्विट में हरदा ने कहा, ‘सरकार ने किसान आयोग और बाल संरक्षण आयोग, महिला आयोग में कई नियुक्तियाँ की हैं। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष आदि की और ये सारी नियुक्तियाँ आचार संहिता लागू होने के बाद की गई हैं। क्या ऐसा किया जा सकता है? क्या यह नैतिक आधार से उचित है? क्या ये आचार संहिता का खुला उल्लंघन नहीं है? धज्जियां उड़ रही हैं। 57 हैं सब कर सकते हैं, वाह रे सत्ता के घमंड।’


हरीश रावत ने कहा,’मैं इलेक्शन कमीशन उत्तराखंड के संज्ञान में लाना चाहता हूँ, ये उत्तराखंड सचिवालय में क्या हो रहा है? आचार संहिता लागू होने के बाद भी बैक डेट में ट्रांसफर्स हो रहे हैं। प्रवक्ताओं और शिक्षकों के पदों पर बड़ी संख्या में RSS से जुड़े लोगों के ट्रांसफर्स हुए हैं। चहेतों के ट्रांसफर हो रहे हैं, एक विभाग नहीं न जाने और कितने विभागों में ऐसा हो रहा है।’
रावत ने मीडिया और तमाम लोगों से ऐसे मामलों की सूचना कांग्रेस तक पहुँचाने की अपील की है।


इससे पहले रावत ने आबकारी कमिश्नर हटाए जाने पर ही सवाल खड़े किए हैं। रावत ने धामी सरकार पर आरोप लगाया कि आचार संहिता लागू होने के बाद एक ऐसा शासनादेश आया जिसके जरिए करोड़ों रुपए का खेल खेला गया है।

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