देहरादून: हरक सिंह रावत ने ढैंचा बीज घोटाले का जिन्न फिर बोतल से बाहर निकालकर पहाड़ पॉलिटिक्स का पारा बढ़ा दिया है। अब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ढैंचा बीज घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को क्लीन चिट देकर मुद्दे को डिफ़्यूज़ करने का दांव चला है। हरीश रावत ने कहा है कि ढैंचा बीज घोटाले में तत्कालीन पूर्व कृषि मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और कृषि सचिव ओम प्रकाश पर किसी भी तरह की धाँधली करने का मामला नहीं बनता था।
हरीश रावत ने धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के तमाम आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि जब त्रिपाठी आयोग की रिपोर्ट उन्हें मिली तब वे एम्स में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे और उन्होंने देखा कि क़ीमत को लेकर अंतर होना कोई बड़ी बात नहीं थी लिहाजा कोई गड़बड़ी का मामला नहीं बनता था।
हरदा ने एक कदम आगे बढते यह भी कहा कि न केवल ढैंचा बीज घोटाला बल्कि मेरी सरकार गिराने वालों की संलिप्तता की 7-8 फ़ाइलें भी मेरे पास आई थी लेकिन किसी के खिलाफ ठोस सबूत नहीं थे लिहाजा सिर्फ विरोधी थे इसलिए उनके खिलाफ कार्यवाही करना जायज नहीं होता।
ज्ञात हो कि कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने यह कहकर सनसनी मचा दी कि हरीश रावत त्रिवेंद्र रावत को जेल में डालना चाहते थे लेकिन उन्होंने दो पेज की नोटिंग टीएसआर के पक्ष में कर उस वक्त बचा लिया था। हरक ने यह भी कहा कि हरीश रावत एम्स में भर्ती रहते भी डेढ़ माह अपने तकिए के सहाने ढैंचा बीज घोटाले की फाइल दबाए बैठे रहे। हरक ने दावा किया कि जब वे त्रिवेंद्र के पक्ष में लिख रहे थे तो हरीश रावत ने कहा कि साँप को दूध पिला रहे हो।