देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के 22 हजार पदों पर सरकारी नौकरियाँ देने के दावों पर हरदा ने हल्लाबोल किया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शिक्षित बेरोजगार नौजवानों को सावधान करते हुए आरोप लगाया है कि पुष्कर सिंह धामी की सरकार 22 हज़ार पदों पर आवेदन माँगने का प्रपंच कर रही है। रावत ने कहा कि अब सरकार के पास इतना समय ही नहीं बचा है कि वह नियुक्तियाँ कर सके।
कांग्रेस कैंपेन चीफ हरीश रावत ने सवाल पूछा है कि 2016 में जिन फार्मासिस्टों, एलोपैथिक फ़ार्मासिस्टों व आयुर्वेदिक फार्मासिस्टों के पद निकाले थे उनका क्या हुआ? रावत ने आरोप लगाया कि आवेदन शुल्क वसूल लिया और परीक्षाएँ नहीं हुई। सहकारिता और वन विभाग में इसी तरह का खेल हुआ, पद निकाले पर परीक्षा नहीं हुई। रावत ने आधा दर्जन ऐसे ही उदाहरण गिनाए जहां परीक्षा के नाम पर आवेदन शुल्क कि लूट हो गई लेकिन परीक्षा नहीं कराई गई।
हरीश रावत ने आरोप लगाया कि सरकार को शिक्षित बेरोजगार नौजवानों के साथ इतना क्रूर मज़ाक़ करने का कोई हक नहीं है। धामी सरकार बताए कि आवेदनों के नाम पर अब तक कितना पैसा बच्चोें से वसूला गया। रावत ने कहा कि इन बच्चोें को सरकार को मुआवजा देना चाहिए जिनको इतना नुकसान उठाना पड़ा है। हरीश रावत ने आरोप लगाया कि एक राजनीति के लिए इतना बड़ा प्रपंच केवल भाजपा सरकार ही कर सकती है।
यहाँ पढ़िए हरीश रावत ने जो लिखा हुबहू :
सावधान उत्तराखंड, सावधान बेरोजगार शिक्षित नौजवान। सरकार 22 हजार पदों पर आवेदन मांगने का प्रपंच कर रही है। जबकि उनके पास अब इतना समय ही नहीं है कि वो नियुक्तियां कर सकें। फिर मुझे कोई ये बताएं 2016 में जिन फार्मासिस्टों, एलोपैथिक फार्मासिस्टों व आयुर्वेदिक फार्मासिस्टों के पद निकाले थे उनका क्या हुआ? आवेदन शुल्क वसूल कर लिया, परीक्षाएं नहीं हुई। सहकारिता और वन निगम में इसी तरीके का खेल किया गया, पद निकालो और उसके बाद भर्ती को निरस्त कर दो।इसी तरीके का खेल रोडवेज में किया, वहां एक कदम आगे बढ़ गये। वहां अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से चयन हो गया, लेकिन शायद अभी तक नियुक्तियां नहीं हुई। ऊर्जा निगमों में चयन भी हो गया, भर्तियां भी शुरू हो गई, लेकिन आधे में से आधे पदों को निरस्त कर दिया, केवल आधों को ही भर्ती किया गया। यह #शिक्षितबेरोजगार नौजवानों के साथ इतना क्रूर मजाक किसी भी सरकार को करने का कोई हक नहीं है। मैं जानना चाहता हूंँ कि इन आवेदनों के माध्यम से कितना रुपया उन बच्चों से वसूल किया गया है? जरा उसका हिसाब यह सरकार बताए और यह हिसाब बताने के साथ-साथ इस बात का मुआवजा दे कि उन बच्चों को आवेदन करने के बाद क्यों इतनी लंबी प्रतीक्षा में रखा गया है? परीक्षाएं कराने के नाम पर जो उनका खर्चा हुआ है, उसकी वसूली कहां से होगी? तो एक राजनीति के लिए इतना बड़ा प्रपंच केवल भाजपा सरकार ही कर सकती है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत