नैनीताल: हाईकोर्ट ने 28 जून की सुनवाई के दौरान तत्कालीन तीरथ सरकार के तमाम तर्क सिरे से नकारते हुए एक जुलाई से चारधाम यात्रा शुरू कराने के 25 जून के कैबिनेट फैसले पर रोक लगा दी थी। आज हाईकोर्ट में इस मसले पर सुनवाई हो रही है और सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया ज़रूर है लेकिन अभी उसे राहत नहीं मिली है लिहाजा वह हाईकोर्ट पहुँची है। जिस तरीके से ओपी राज में हाईकोर्ट के सामाने बार-बार तीरथ सरकार की फजीहत हुई थी उससे नए CS संधु कैसे पुष्कर धामी सरकार को बचाते हैं ये देखना बेहद दिलचस्प होगा।
हाईकोर्ट ने 28 जून की सुनवाई के दौरान सरकार की ये फजीहत कमजोर तर्कों और आधी अधूरी तैयारी के चलते हुई थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि सरकार के अधिकारी कोर्ट को हल्के ढंग से ले रहे लिहाजा मुख्य सचिव अधिकारियों को कोर्ट के समक्ष जवाब देने की ट्रेनिंग दें। अधिकारी गलत और अधूरी जानकारी देकर हमारे धैर्य की परीक्षा न लें। 28 जून को हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले पर रोक लगाते हुए अगली सुनवाई के लिए सात जुलाई यानी आज की तिथि नियत की थी।
दरअसल सच्चिदानंद डबराल, दुष्यंत मैनाली, अनु पंत सहित अन्य ने इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिस पर लगातार सुनवाई चल रही है।
28 जून को को वर्चुअल सुनवाई के दौरान तत्कालीन मुख्य सचिव ओमप्रकाश, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर और आशीष चौहान कोर्ट के सामने हाज़िर हुए थे। चीफ जस्टिस आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की बेंच ने सरकार की ओर से दिए गए 177 पृष्ठ के शपथपत्र पर असंतोष जाहिर किया था।
हाईकोर्ट ने प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था और कोविड प्रोटोकॉल को लेकर अधिकारियों के सतही रवैये को लेकर फटकार लगाई थी। कोर्ट ने पूछा था कि क्या हरिद्वार कुंभ के दौरान जो हुआ उसी को चारधाम यात्रा में भी दोहराने दिया जाए? हाईकोर्ट ने कहा था कि जब कांवड़ यात्रा पर रोक लगाई गई, तब सरकार अपर्याप्त इंतजाम के साथ चारधाम यात्रा क्यों शुरू करना चाह रही। हाईकोर्ट ने तीसरी लहर के संभावित खतरे और डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर चिंता जाहिर करते हुए राज्य सरकार की ढुलमुल नीति की भी कड़ी निंदा की थी।