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सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का! आचार संहिता से पहले जाते-जाते सीएम धामी कईयों का कर गए कल्याण, 4600 पुलिस ग्रेड पे मांग रहे पुलिसकर्मी देखते रह गए और अवैध खनन में फंसे डंपर को सीएम के मौखिक आदेश को लिखित आदेश बना SP पर गुर्राए PRO नंदन सिंह बिष्ट हो गए बहाल

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  • आचार संहिता में सीएम धामी की सरकारी ख़र्चे पर कौनसी मदद करेंगे PRO नंदन सिंह बिष्ट!
  • आचार संहिता से पहले सीएम धामी की क़लम अपनों का कल्याण करने को खूब दौड़ी
  • पर 4600 ग्रेड पे की माँग करते पुलिस परिवार ठंड-बारिश-ठिठुरन में बजाते रह गए सीएम धामी का दिया आश्वासन रूपी झुनझुना
  • पिछले मुख्यमंत्रियों की तरह किचन कैबिनेट ने सीएम धामी को घेरे रहकर खूब खेले ‘खेल’
  • अब जाते-जाते पीआरओ पद पर नए सिरे से नंदन सिंह बिष्ट की तैनाती से करा दी छिछालेदर
  • जांच में अगर नंदन पाए गए निर्दोष तो फ़िर किस दोषी पर की गई कार्रवाई?
  • सवाल है कि क्या मुख्यमंत्री की सहमति लेकर नंदन सिंह बिष्ट ने एसपी को डंपर छोड़ने को पत्र लिखा था?
  • हल्ला मचने पर कहा गया था कि हिना सीएम की अनुमति के नंदन सिंह बिष्ट ने पत्र लिखा, सच क्या है?
  • आखिर अवैध खनन में पकड़े गए ट्रक छुड़ाने को लेकर लिखे पत्र का सच क्या है, क्या नंदन ने पत्र लिखा या पत्र फर्जी था?

देहरादून: एक कहावत है न, सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का! चुनाव आचार संहिता से चंद घंटों पहले फिर से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के जनसंपर्क अधिकारी (PRO) बनाए नंदन सिंह बिष्ट भी अपनी दोबारा तैनाती का लेटर पाकर इसी कहावत को याद कर रहे होंगे! सचिवालय प्रशासन के सचिव वीके सुमन भी इस तैनाती पत्र पर हस्ताक्षर करते यही कहावत दोहरा रहे होंगे!
वरना जिस पीआरओ पर बीते दिसंबर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मौखिक आदेश को लिखित आदेश बनाकर बागेश्वर एसपी पर अवैध खनन के आरोप में पकड़े गए डंपर छोड़ने को दबाव बनाने का गंभीर आरोप लगा हो उसकी यूँ आचार संहिता लगने के चंद घंटे पहले पुन: तैनाती न कर दी गई होती।

कहने को अवैध खनन करते पकड़े गए डंपर को छुड़ाने को लेकर जिला प्रशासन को सीएम के मौखिक आदेश को लिखित आदेश में तब्दील कर दबाव बनाने के मामले की जांच कराई गई जिसमें नंदन सिंह बिष्ट पूरी तरह से पाक साफ पाए गए और जांच में शिकायत में ही खोट पाया गया। लिहाजा नाहक नंदन सिंह बिष्ट को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के PRO पद से हटाया गया और आचार संहिता से कुछ घंटे पहले दोबारा नियुक्ति कराकर मुख्यमंत्री धामी ने अपनी भूल सुधार कर ली।

अब यह अलग बात है कि PRO नंदन सिंह बिष्ट को दोबारा तैनाती दिलाकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजनीतिक विरोधियों को हमलावर होने को बैठे बिठाए अच्छा मौका दे दिया है। आखिर नंदन सिंह बिष्ट का पत्र विधानसभा के आखिरी सत्र के समय उजागर हुआ था जिसके बाद विपक्षी कांग्रेस से लेकर मीडिया ने इस मुद्दे पर जमकर धामी सरकार को घेरा। लेकिन अब चुनाव में जाते-जाते मुख्यमंत्री धामी के सलाहकारों ने नंदन की पुन: नियुक्ति कराकर नए सिरे से खनन के खेल में सरकार की घेराबंदी का मौका दे दिया है।

वैसे भी पूर्व सीएम हरीश रावत से लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल तक धामी सरकार को खनन के खेल में लगातार घेर रहे हैं। हरीश रावत तो युवा मुख्यमंत्री धामी को ‘खनन प्रिय मुख्यमंत्री’ का तमग़ा तक दे चुके हैं। हालाँकि धामी के साथ डिनर डिप्लोमेसी में खिलखिलाते दिखे ‘बड़े भाई’ कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत खुद अवैध खनन के खेल पर सरकार को एक्सपोज तक चुके हैं। रही सही कसर हाईकोर्ट के रोक के दो दिन पुराने आदेश ने पूरी कर दी। लेकिन अब नंदन सिंह बिष्ट को महज पौने दो माह के लिए दोबारा नियुक्ति देकर सरकार ने खनन के खेल में खुद को फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है।

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