- देशभर में लागू हुए तीन नए आपराधिक कानूनों का मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड में किया औपचारिक शुभारंभ
- तीन नए आपराधिक कानून – भारतीय न्याय संहिता 2023 (Bhartiya Nyaya Sanhita 2023), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita 2023) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 (Bharatiya Sakshya Adhiniyam 2023) लागू
- नए आपराधिक कानून के तहत पहला मुकदमा हरिद्वार में दर्ज
- नए कानून न्याय की अवधारणा को करेंगे मजबूत : मुख्यमंत्री
- अनुशासन, निष्पक्षता और न्याय हमारे देश की पुरानी परंपरा
- देश को नई दिशा दिखाने का कार्य करेंगे नए कानून: सीएम धामी
New Criminal Law, first FIR in Haridwar: सोमवार से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून स्थित पुलिस मुख्यालय पहुंचकर भारतीय न्याय व्यवस्था में लागू हुए तीन नए आपराधिक कानूनों का राज्य में औपचारिक तौर पर शुभारंभ किया। उत्तराखंड में नए आपराधिक कानून के शुभारंभ के साथ ही हरिद्वार जिले में पहला केस दर्ज हुआ। हरिद्वार की ज्वालापुर कोतवाली में भारतीय न्याय संहिता की धारा 309(4) के तहत केस दर्ज हुआ। पुलिस के अनुसार यूपी के बिजनौर निवासी विपुल भारद्वाज बीती रात्रि पौने दो बजे रविदास घाट पर बैठे थे। इसी दौरान दो अज्ञात युवक चाकू की नोक पर मोबाइल फोन और 1400 रुपए लूट लेते हैं और विपुल को गंगा की तरफ धक्का देकर फरार हो जाते हैं। विपुल ने सोमवार सुबह 10.41बजे ज्वालापुर कोतवाली पहुंचकर मुकदमा दर्ज कराया।
ज्ञात हो कि पुराने कानून के तहत यह केस धारा 392 के दर्ज किया जाता जिसमें अधिकतम 10साल तक की सजा हो सकती थी लेकिन नए कानून में मुकदमा धारा 309(4) में दर्ज हुआ हैं और इसके तहत अधिकतम 14 साल तक की सजा का प्रावधान है।
जबकि चमोली जिले के थराली बीएनएसएस के तहत सोमवार को दो भाइयों को एक युवक से गाली-गलौज और मारपीट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। देवाल के मनोज बिष्ट की तहरीर पर सलून चलाने वाले दो भाइयों, कमल कुमार और गौरव कुमार को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (बीएनएसएस) की धारा 126/135(3)/170 के तहत गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर दिया गया।
जबकि आज कुमाऊं में किसी भी जिले में अभी तक नए आपराधिक कानून के तहत केस दर्ज होने की सूचना नहीं है। हालांकि पिथौरागढ़ कोतवाली में पति पत्नी के बीच मामूली कहा सुनी पर 170 बीएनएसएस के तहत चलानी कार्रवाई जरूर की गई। पुराने कानून के तहत ऐसे केस में धारा 151 के तहत कार्रवाई का प्रावधान है।
नए आपराधिक कानून लागू होने को सीएम धामी ने कहा- भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए ऐतिहासिक दिन
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को पुलिस मुख्यालय देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए भारतीय न्याय व्यवस्था में लागू हुए तीन नए आपराधिक कानूनों का राज्य में औपचारिक शुभारंभ किया। उल्लेखनीय है कि संपूर्ण देश में आज से तीन नए आपराधिक कानून – भारतीय न्याय संहिता 2023 (Bhartiya Nyaya Sanhita 2023), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita 2023) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 (Bharatiya Sakshya Adhiniyam 2023) लागू हो गए हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने तीन नए कानूनों पर आधारित I.O एप्लीकेशन का शुभारंभ एवं विवेचक पुलिसकर्मियों को टैबलेट वितरित किए।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारतीय न्याय व्यवस्था में तीन नए कानून के लागू होने पर सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए ऐतिहासिक दिन है। अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे विभिन्न पुराने और गैरजरूरी कानूनों को हटाकर वर्तमान परिस्थिति के हिसाब से नए आपराधिक कानून लागू हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में नए कानून न्याय की अवधारणा को मजबूत करेंगे और न्याय मिलने की प्रक्रिया को अधिक सरल और सुलभ बनाने में पुलिस और न्यायालयों की वृहद स्तर पर मदद करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुशासन, निष्पक्षता और न्याय हमारे देश की पुरानी परंपरा रही है। ये तीनों कानून देश के हर नागरिक की स्वतंत्रता, मानव अधिकार और सबके साथ समान व्यवहार को सुनिश्चित करेंगे। ये कानून गुलामी की मानसिकता को मिटाने और औपनिवेशिक कानूनों से मुक्ति दिलाने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। नए कानून आजादी के अमृत महोत्सव के बाद के कालखंड में देश को एक नई दिशा दिखाने का कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि अब हमारी न्याय प्रणाली पूरी तरह से स्वदेशी होगी जो भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार संचालित होगी। नए कानून नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के साथ कानून व्यवस्था को भी और अधिक सुदृढ़ करेगी।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि नए कानूनों में ई- एफ.आई.आर की सुविधा शुरू की गई है। अब न्यायालय पीड़ित को सुनवाई का अवसर दिए बिना मुकदमा वापस लेने की सहमति नहीं देगा। नए कानूनों में टेक्नोलॉजी के प्रयोग और फॉरेंसिंक विज्ञान को बढ़ावा दिया गया है। नई न्याय प्रणाली सभी को पारदर्शी और त्वरित न्याय देने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देने का कार्य करेगी। नए कानूनों में ऑनलाइन व्यवस्था पर भी बल दिया गया है। नए कानूनों में सबकुछ स्पष्ठता और सरलीकरण के साथ समाहित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार हमारे कानून आतंकवाद, संगठित अपराधों और आर्थिक अपराधों को पूरी तरह परिभाषित करेंगे। नए कानूनों में मॉब लिंचिंग को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, भगोड़ों की गैरमौजूदगी में भी मुकदमा चलाने के लिए स्पष्ट प्रावधान किए गए हैं। साथ ही बहुत छोटे अपराधों के लिये सजा के रूप में सामुदायिक सेवा की शुरुआत एक क्रांतिकारी कदम है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार उत्तराखण्ड की जनता को न्याय दिलाने एवं उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। नए कानूनों को लागू किये जाने हेतु राज्य सरकार ने पृथक रूप से 20 करोड़ रूपए की धनराशि का प्राविधान किया है। उन्होंने कहा आगे भी इन कानूनों के क्रियान्वयन कर्ता विभागों को इसके लिए राज्य सरकार से आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कहा निश्चित ही तीनों कानूनों को उत्तराखंड पुलिस पूरी प्रतिबद्धता के साथ लागू करेगी।
कार्यक्रम के दौरान विभिन्न जनपदों से अधिवक्ताओं, पुलिस अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों ने भी तीन नए कानूनों पर विस्तार से जानकारी दी।
इस अवसर पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार, सचिव शैलेश बगौली, सचिव गृह दिलीप जावलकर, निदेशक अभियोजन डॉ पीवीके प्रसाद, अपर पुलिस महानिदेशक डा. वी मुरुगेशन, अमित सिन्हा, अपर महानिदेशक कानून व्यवस्था एपी अंशुमन, आईजी स्तर के अधिकारियों के अलावा वर्चुअल माध्यम से विभिन्न जिलों के एसएसपी, एसपी अन्य अधिकारी मौजूद रहे।