शिक्षा

मातृभाषा अभिव्यक्ति का सहज और सशक्त माध्यम- डॉ अवधेश

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर गुरुकुल में व्याख्यान

Share now

Dehradun: कन्या गुरुकुल परिसर, देहरादून के हिंदी विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में ‘लोक चेतना और मातृभाषा’ विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया। कार्यक्रम की संयोजक डॉ. निशा यादव ने बताया कि मातृभाषा विचार अभिव्यक्ति का सहज व सशक्त माध्यम है, अतः हमें व्यावहारिक जीवन में मातृभाषाओं का निसंकोच प्रयोग करना चाहिए।

विशिष्ट वक्ता के रूप में प्रो. अवधेश कुमार, अध्यक्ष हिंदी विभाग, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र ने उपर्युक्त विषय पर प्रकाश डालते हुए विद्यार्थियों को लोक चेतना की व्यापकता से अवगत कराते हुए बताया कि लोक चेतना का व्यापार काफी विस्तृत है जिसमें समस्त चराचर जगत सम्मलित है।

उन्होंने बताया कि सर्वे भवन्तु सुखिन का संदेश देने वाली भारतीय संस्कृति में लोक चेतना प्राचीनकाल से देखने को मिलती है। लोक चेतना हमे आत्म व पर के भाव से मुक्त कर समता का पाठ पढ़ाती है। व्याख्यान में बताया गया कि किस प्रकार हिंदी साहित्य में सूर, तुलसी, कबीर, मीरा, रहीम, रसखान से लेकर प्रसाद तक लोक चेतना का संदेश देते हैं।

प्रो अवधेश कुमार ने बताया कि तुलसीदास लोक चेतना के सबसे बड़े कवि के रूप में सामने आते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि प्रेमचंद की कहानियों में भी लोक चेतना गहराई में व्याप्त है और किस तरह से एक बड़ा रचनाकार न केवल लोक से प्रभावित होता है बल्कि लोक को बदलने का कार्य भी करता है।

प्रो. अवधेश ने बताया कि समाज हमारी पहली पाठशाला और माता हमारी पहली गुरु होती है। समाज और संस्कृति का भाषा से गहरा संबंध बताते हुए उन्होंने बताया की मातृभाषा में आत्मीयता के साथ ही विचार अभिव्यक्ति की तीक्ष्णता व पैनापन होता है।

कार्यक्रम में प्रो. रेणु शुक्ला, प्रो. हेमलता, प्रो. निपुर, प्रो. हेमन पाठक, प्रो. प्रवीणा, डॉ नीना गुप्ता, डॉ बबीता, डॉ अर्चना, डॉ सविता, डॉ सरिता, डॉ ममता, डॉ रीना, डॉ सुनीति के साथ ही शोधार्थी व छात्राएं उपस्थित रहे।

Show More

The News Adda

The News अड्डा एक प्रयास है बिना किसी पूर्वाग्रह के बेबाक़ी से ख़बर को ख़बर की तरह कहने का आख़िर खबर जब किसी के लिये अचार और किसी के सामने लाचार बनती दिखे तब कोई तो अड्डा हो जहां से ख़बर का सही रास्ता भी दिखे और विमर्श का मज़बूत मंच भी मिले. आख़िर ख़बर ही जीवन है.

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!