
- शौर्य द्वारा खींची गई तीन तस्वीरों को सीएम धामी ने अपने ऑफिस में लगवाया
देहरादून: कहते हैं सच्ची लगन और मेहनत के साथ प्रयास किया जाए तो फिर शानदार परिणाम किसी उम्र के मोहताज नहीं होते। सातवीं कक्षा में पढ़ रहे 11 वर्षीय वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर शौर्य प्रताप बिष्ट इसे सच साबित करने में लगे हुए हैं। वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी को लेकर शौर्य प्रताप के जुनून और जज्बे के कायल अब उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी हो गए हैं।
शनिवार को इंटरनेशनल टाइगर डे के मौके पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कैंट रोड स्थित अपने सरकारी कैंप कार्यालय पर समर प्रताप को बुलाकर न केवल उनकी हौसला अफजाई की बल्कि जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व में खींचे गए उनके तीन बेहतरीन वाइल्डलाइफ फोटोग्राफ्स अपने कार्यालय की दीवार पर खुद सिलेक्ट कर लगवाए। जाहिर है इंटरनेशनल टाइगर डे पर वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर शौर्य प्रताप के लिए इससे बेहतर तोहफा और क्या होगा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री उनकी खींची फोटोज के मुरीद हो गए।

इंटरनेशनल टाइगर रिजर्व के मौके पर लोगों को विश करते शौर्य प्रताप कहते हैं कि एक यंग वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर के नाते वे अपनी जिम्मेदारी बखूबी समझते हैं कि उनका पैशन और स्किल लोगों में वाइल्डलाइफ को संरक्षण प्रदान करने के लिए जागरूक करने के काम आए। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी युवा वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर शौर्य प्रताप को प्रोत्साहित करते हुए शॉल ओढ़ाकर और मोमेंटो देकर सम्मानित किया। सीएम धामी ने शौर्य को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी के अपने पैशन को पूरा करने साथ साथ शौर्य प्रताप आम लोगों को वन्यजीव संरक्षण की प्रेरणा देने काम भी कर रहे हैं।

11 वर्षीय वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी के शौकीन शौर्य के पिता सुमित बिष्ट कहते हैं,” शौर्य को बचपन से खिलौनों की बजाय कैमरे ने अट्रैक्ट किया और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी को लेकर उनका जुनून ही है कि करीब करीब हर वीकेंड वे जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क या किसी दूसरे फॉरेस्ट या सेंक्चरी में अपने कैमरे के साथ नजर आते हैं।”

ज्ञात हो कि शौर्य प्रताप पिछले ढाई तीन सालों से वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी कर रहे हैं और अब तक स्कूल स्तर से लेकर कई मंचों पर उनके टैलेंट को प्रोत्साहन मिल चुका है। अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा तीन फोटो अपने कार्यालय में लगवाने के साथ ही दी गई शाबाशी से यह यंग वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर गदगद है। आखिर हो भी क्यों न प्रतिभा को प्रोत्साहन मिलने से इसकी चमक और दमकने जो लगती है। शाबाश शौर्य!
