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..तो खेल-खिलाड़ी न टीम और राजीव मेहता लूट का ‘खेल’ खेल गए! इंद्रेश मैखुरी ने CM धामी से की SIT जांच की मांग

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  • उत्तराखंड की खेल संभावनाओं को कुंद कर फर्जी टीमें बना लाखों का गबन कर गया राजीव मेहता एंड परिवार
  • एसआईटी जांच हुई तो राजीव मेहता और उनकी पत्नी के कारनामों का खुल जाएगा पिटारा
  • लाखों के गबन पर भाकपा माले गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी का सीएम को पत्र

देहरादून: वो संत कबीर का एक दोहा है न, राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट, अंत समय पछताएगा जब प्राण जाएंगे छूट।। अब उत्तराखंड में भ्रष्टाचारियों ने इसे कुछ इस तरह समझ लिया है कि जिस भी कुर्सी पर बैठे हो बस जितना पैसा अंदर कर सको कर लो, पता नहीं कल को पद रहे ना रहे!

उत्तरांचल ओलंपिक एसोसिएशन के बतौर अध्यक्ष कुछ इसी अंदाज में खेला करते दिखे राजीव मेहता। राजीव मेहता अब इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ( Indian Olympic Association-IOA) के महासचिव हैं और IOA को लेकर इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी ( International Olympic Committee – IOC) की नाराजगी आए दिन कैसे अखबारों की सुर्खियां बन रही किसी से छिपा नहीं है।

खैर वो झगड़ा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की बॉडीज का ठहरा लेकिन अब राजीव मेहता के उत्तरांचल ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष रहते सरकारी पैसे की लूट के बाहर निकल रहे कच्चे चिट्ठों की कर लेते हैं।

आप बखूबी जानते हैं कि उत्तराखंड में टैलेंट की कमी नहीं है लेकिन राज्य बनने के बाद से ही कैसे खेल संगठनों पर कब्जा जमाकर भ्रष्टाचार का खुला ‘खेल’ चलता रहा और उसकी कीमत में खेल और खेल प्रतिभाएं दम तोड़ती गई। अब जब राजीव मेहता के कारनामों के पर्चे ऑडिट और अपर खेल निदेशक की रिपोर्ट सहित दूसरे माध्यमों से बाहर आ रहे तब खेलों में राज्य की बदहाली की हकीकत सामने आ रही है।

भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को एक पत्र लिखकर एसआईटी जांच की मांग की है। आरोप है कि राजीव मेहता ने उत्तरांचल ओलंपिक एसोसिएशन अध्यक्ष रहते 12 फरवरी 2004 से 18 फरवरी 2004 के बीच हुए प्रथम ओलंपिक खेलों के नाम पर धन की बंदरबांट और गबन किया। व्यक्तिगत खाते में छह लाख रुपए, पत्नी दीपा मेहता के खाते में पांच लाख रुपए एसोसिएशन के खाते से निकाल लिए गए।

यह अपर निदेशक खेल की रिपोर्ट में उजागर हुआ। लूट के मंझे खिलाड़ी जान पड़ते राजीव मेहता ने उसी ग्यारह लाख को लोन बताकर खुर्द-बुर्द कर डाला। राजीव मेहता ने फर्जी नामों की कई जिलों की टीमें,मैनेजर और कोच दिखाकर पैसों के साथ लूट का खेल कर दिया। ऑडिट रिपोर्ट में रोकड़ बही, लेजर आदि में गड़बड़ी पकड़ी गई।

इंद्रेश मैखुरी ने कहा है कि इस तरह की कई आर्थिक अनियमितताओं को लेकर गोपेश्वर के खेल प्रेमियों ने सात सितम्बर 2022 को प्राथमिकी दर्ज कराने को लेकर कोतवाली गोपेश्वर में प्रार्थना पत्र दिया है लेकिन एक हफ्ते बाद भी उस प्रार्थना पत्र पर एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही है।

यहां पढ़िए एक्टिविस्ट, राज्य आंदोलनकारी और भाकपा (माले) के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और DGP को लिखा पत्र हुबहू:

प्रति,
श्रीमान मुख्यमंत्री महोदय
उत्तराखंड शासन, देहरादून.

श्रीमान पुलिस महानिदेशक महोदय,
उत्तराखंड पुलिस, देहरादून.

महोदय,
उत्तराखंड में जब से भर्ती घोटालों की जांच शुरू हुई है, तब से आए दिन भ्रष्टाचार के नित नए मामले सामने आ रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है,ऐसा कोई विभाग नहीं, ऐसा कोई संस्थान नहीं, जिस पर भ्रष्टाचार का साया न हो।
ऐसा ही मामला उत्तरांचल ओलंपिक एसोसिएशन और उसके तत्कालीन अध्यक्ष श्री राजीव मेहता का भी प्रतीत होता है।

महोदय, अपर निदेशक,खेल, उत्तराखंड शासन की जांच रिपोर्ट और सहायक निदेशक, कोषागार एवं वित्त सेवाओं की संपरीक्षा (ऑडिट) रिपोर्ट को देख कर स्पष्ट होता है कि 12 फरवरी 2004 से 18 फरवरी 2004 के मध्य राज्य में हुए प्रथम ओलंपिक खेलों के आयोजन के नाम पर उत्तरांचल ओलंपिक एसोसिएशन के तत्कालीन अध्यक्ष श्री राजीव मेहता द्वारा किस तरह धन की बंदरबांट और गबन किया गया।

17 जुलाई 2004 की अपर निदेशक, खेल, उत्तराखंड की जांच रिपोर्ट के अनुसार 15 मार्च 2004 को उत्तरांचल ओलंपिक एसोसिएशन के खाते से छह लाख रुपये की धनराशि श्री राजीव मेहता के व्यक्तिगत खाते में हस्तांतरित की गयी तथा 16 मार्च 2004 को श्रीमती दीपा मेहता (धर्मपत्नी श्री राजीव मेहता) के खाते में उत्तरांचल ओलंपिक एसोसिएशन के खाते से पाँच लाख रुपए की धनराशि हस्तांतरित की गयी। अपर निदेशक, खेल, उत्तराखंड ने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा कि “यह एक गंभीर वित्तीय अनियमितता का प्रकरण है।” साथ ही उक्त जांच रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि 29 मार्च 2004 को भी पचास हजार रुपए की धनराशि उत्तरांचल ओलंपिक एसोसिएशन के खाते से निकाली गयी। कुल ग्यारह लाख पचास हज़ार रुपये के खर्च का कोई विवरण, जांच अधिकारी को नहीं मिला।
सहायक निदेशक, कोषागार एवं वित्त सेवाओं की नवंबर 2004 की विशेष ऑडिट रिपोर्ट के देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि जिस ग्यारह लाख पचास हज़ार रुपये की धनराशि के खर्च को अपर निदेशक, खेल ने वित्तीय अनियमितता माना, उसी धनराशि को ऑडिट के सामने श्री राजीव मेहता और श्रीमती दीपा मेहता द्वारा उत्तरांचल ओलंपिक एसोसिएशन को दिये गए ऋण के रूप में पेश किया गया और फिर उस ऋण का लौटाना भी दर्शा दिया गया। यह बेहद रोचक है कि उत्तरांचल ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव मेहता ने व्यक्ति राजीव मेहता व उनकी पत्नी से ऋण लिया, व्यक्ति राजीव मेहता और उनकी पत्नी ने उत्तरांचल ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव मेहता को ऋण दिया और फिर उत्तरांचल ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव मेहता ने व्यक्ति राजीव मेहता व उनकी पत्नी का ऋण लौटाया। किसी संस्था के, व्यक्ति की जेबी संस्था बन जाना ऐसा ही होता होगा। यह गौरतलब है कि विशेष ऑडिट रिपोर्ट में यह उल्लेख है कि उक्त ऋण से संबंधित पत्रावली ऑडिट के सामने पेश नहीं की गयी। ऑडिट रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि “श्रीमती दीपा मेहता एसोसिएशन के किसी पद पर नहीं थी। इनके द्वारा सीधे भुगतान का औचित्य स्पष्ट नहीं हो सका।”

अपर निदेशक, खेल, उत्तराखंड की जांच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि 15-16 फरवरी 2004 को जिमनास्टिक प्रतियोगिता इंडियन पब्लिक स्कूल शिलाकी में आयोजित हुई। उत्तरांचल जिमनास्टिक संघ के तत्कालीन सचिव के अनुसार उक्त प्रतियोगिता के आयोजन पर बीस हजार तीन सौ रुपया खर्च हुआ और भुगतान केवल बाइस सौ रुपया किया गया। जबकि श्री राजीव मेहता द्वारा उक्त प्रतियोगिता पर त्रेसठ हजार दो सौ छियानबे रुपये खर्च दर्शाया गया. अपर निदेशक,खेल, उत्तराखंड की जांच रिपोर्ट में आशंका प्रकट की गयी थी कि अन्य खेलों में भी धनराशि इसी तरह बढ़ा-चढ़ा कर दिखाई गयी होगी।
महोदय, अपर निदेशक,खेल, की जांच रिपोर्ट और विभिन्न जिलों के जिलाधिकारियों की रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि श्री राजीव मेहता द्वारा राज्य खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ियों, कोच एवं अन्य स्टाफ की फर्जी सूची के आधार पर फर्जी संख्या दर्शायी गयी।

उदाहरण के तौर पर देखें तो चमोली के तत्कालीन जिलाधिकारी को भेजी अपनी रिपोर्ट में चमोली जिले के तत्कालीन क्रीड़ा अधिकारी ने लिखा कि ताईकवांडो के पुरुष एवं महिला टीम के तौर पर जिनका नाम अंकित किया गया है, उनमें से कोई खिलाड़ी, मैनेजर, कोच चमोली जिले से संबंधित नहीं है। इसी तरह महिला जिमनास्टिक टीम में भी जिन्हें चमोली जिले की सूची में दर्शाया गया, उनमें से कोई खिलाड़ी, मैनेजर, कोच चमोली जिले से संबंधित नहीं है।

टिहरी के तत्कालीन जिलाधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि टिहरी जिले की बास्केटबॉल, वॉलीबॉल और हॉकी की सूची गलत है, इन प्रतियोगिताओं में जिले की टीमों ने हिस्सा नहीं लिया।

महोदय, तकरीबन हर जिले से इस तरह की फर्जी टीमों का उल्लेख जांच रिपोर्ट में है। इसके अलावा खिलाड़ियों की संख्या बढ़ा कर दिखाये जाने के मामलों का उल्लेख भी जांच रिपोर्ट में किया गया है।

सहायक निदेशक, कोषागार एवं वित्त सेवाओं की नवंबर 2004 की विशेष ऑडिट रिपोर्ट में भी खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने वाले प्रतियोगियों को यात्रा भत्ता एवं दैनिक भत्ता भुगतान करने का उल्लेख करते हुए कहा गया कि प्रतियोगियों की सूची प्रमाणित नहीं थी। अप्रमाणित सूची के आधार पर लाखों रुपये का भुगतान किया गया। ऑडिट रिपोर्ट में विभिन्न मदों में अधिक भुगतान किए जाने का उल्लेख किया गया है। ऑडिट रिपोर्ट में उत्तरांचल ओलंपिक एसोसिएशन के रोकड़ बही, लेजर आदि में गड़बड़ी एवं विभिन्न व्ययों में अनियमितता का उल्लेख किया गया।

महोदय, उक्त तमाम बातों और जांच रिपोर्टों को देख कर स्पष्ट प्रतीत होता है कि श्री राजीव मेहता के अध्यक्ष रहते उत्तरांचल ओलंपिक एसोसिएशन में भारी भ्रष्टाचार और धन की बंदरबांट हुई है। इस तरह के भ्रष्टाचार ने निश्चित ही राज्यों में खेलों के विकास की संभावनाओं को कुंद किया।

अतः उत्तरांचल ओलंपिक एसोसिएशन में खेल के नाम पर हुए भ्रष्टाचार के खेल की भी एसआईटी या ऐसी ही जांच की आवश्यकता है। इस संदर्भ में यह भी अवगत कराना है कि इस प्रकरण की जांच के लिए गोपेश्वर के खेल प्रेमियों द्वारा दिनांक 07 सितंबर 2022 को प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए कोतवाली गोपेश्वर में प्रार्थना पत्र दिया गया। लेकिन एक हफ्ते बाद भी उक्त प्रार्थना पत्र पर प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफ़आईआर) दर्ज नहीं की गयी।
उक्त प्रकरण में तत्काल जांच एवं उचित कार्यवाही हेतु अपने अधीनस्थों को निर्देशित करने की कृपा करें।

सधन्यवाद,
सहयोगाकांक्षी,
इन्द्रेश मैखुरी
गढ़वाल सचिव
भाकपा(माले)

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