- NDMA ने भी लगाई मुंह खोलने पर रोक।
- सरकारी अफसरों/संस्थानों पर मीडिया में मनमर्जी से रिपोर्ट करने और बयान देने पर लगाई रोक।
Joshimath Subsidence Zone Pic: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO ने जोशीमठ भू धंसाव को लेकर महज 12 दिनों में 5 सेंटीमीटर जमीन धंसने वाली जो फोटो, रिपोर्ट दिखाई थी वह अब हटा दी गई है। यह फोटो अब नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर की साइट पर नहीं दिख रही है।बताया जा रहा है कि उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार में मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने इसरो से यह फोटो हटाने का आग्रह किया था। मंत्री धन दा का कहना था कि इससे राज्य में लोगों में भय का माहौल पैदा हो रहा है।
दरअसल इसरो की इस रिपोर्ट में कहा गया था कि पिछले महज 12 दिनों में यानी 27 दिसंबर 2022 से लेकर 8 जनवरी 2023 तक जोशीमठ में 5.4 सेमी भू धंसाव हुआ। इसरो ने यह भी कहा था कि पिछले कुल सात महीनों में जोशीमठ में भू धंसाव 9 सेमी हुआ।
अब धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत के आग्रह पर ISRO ने जोशीमठ भू-धंसाव की सेटेलाइट फोटो हटा दी हैं। कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा है कि उन्होंने इसरो के निदेशक से फोटो हटाने का आग्रह किया था। इसके पीछे धन दा का कहना है कि इन फोटोज से राज्य में भय का माहौल पैदा हो रहा है।
NDMA ने भी लगाई मुंह खोलने पर रोक।
सरकारी अफसरों/संस्थानों पर मीडिया में मनमर्जी से रिपोर्ट करने और बयान देने पर लगाई रोक।
धन सिंह ने कहा है कि इसरो या तो इस मामले में कोई भी रिपोर्ट आने पर अधिकृत बयान जारी करे या फिर केंद्र सरकार और राज्य सरकार को अवगत कराए। माना जा रहा है कि धन सिंह रावत के दखल के बाद इसरो ने भू धंसाव का सच बताने वाली तस्वीरें वेबसाइट से हटवा दी हैं। धन दा चमोली जिले के प्रभारी मंत्री हैं और सीएम और केंद्र सरकार की सक्रियता के बाद उन्होंने जोशीमठ में कैंप करना बेहतर समझा है।
ज्ञात हो कि इसरो के हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर ने सेटेलाइट फोटो जारी कर जोशीमठ क्षेत्र में 12 दिन में ही 5.4 सेंटीमीटर (54 मिलीमीटर) भू धंसाव की चौकाने वाली रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी थी जिसके बाद बवाल मच गया था।
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने इसरो की सैटेलाइट फोटो पर जारी एक रिपोर्ट में कहा था कि नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर ने दो अंतराल के सेटेलाइट चित्र जारी किए हैं। इनमें अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच किए गए सेटेलाइट अध्ययन में कहा गया है कि पिछले साल अप्रैल से नवंबर तक यानी सात महीनों में जोशीमठ में 8.9 सेंटीमीटर (89 मिलीमीटर) का भू धंसाव पाया गया।
लेकिन 27 दिसंबर 2022 से 8 जनवरी 2023 के बीच महज 12 दिनों में 5.4 सेमी भू धंसाव हो गया। खास बात यह है कि इसरो की इस रिपोर्ट में भू धंसाव के साथ ही सेटेलाइट चित्रों में आर्मी हैलीपैड और नरसिंह मंदिर के भू क्षेत्रों को प्रमुखता से दर्शाया गया है। यह भू भाग जोशीमठ शहर के मध्य क्षेत्र में ही स्थित हैं।
तो क्या 20 साल में बदल सकता है जोशीमठ का नक्शा?
अगर इसरो की रिपोर्ट को सटीक मानें और जोशीमठ में भू धंसाव की दर 12 दिनों में 54 मिलीमीटर रही तो आने वाले महज 20 वर्षों में इस संकटग्रस्त क्षेत्र का पूरा नक्शा ही बदल सकता है। अगर इसी दर को आधार मान लिया जाए तो महज एक महीने में 135 मिलीमीटर का भू धंसाव होगा और एक वर्ष में यह 1620 मिलीमीटर भू धंसाव होगा। इस लिहाज से अगले 20 वर्षों में भू धंसाव 32 हजार 400 मिलीमीटर यानी 3240 सेंटीमीटर होगा। अब अगर इसे मीटर में देखें तो यह आंकड़ा 32.4 मीटर होगा,जो अपने आप में पूरा नक्शा ही बदल डालने का इशारा करता है।
हालांकि, अगर भू विज्ञानियों की सिफारिशों पर सरकारी तंत्र अमल करे तो ऐसे भू धंसाव की रफ्तार कुछ हद तक थामी जा सकती है। इसके लिए आबादी क्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम ठीक करना पड़ेगा तथा कंक्रीट के महा निर्माण से तौबा करते हुए इसे नियंत्रित और नियोजित करना होगा। साथ ही अलकनंदा की ओर से हो रहे कटाव को भी रोकने के लिए कारगर कदम उठाने होंगे।