देहरादून(पवन लालचंद): अब इसे एक झटके में मुख्यमंत्री की कुर्सी जाने के ग़म से उपजा ज्ञान कहेंगे या राजनीति से उकताए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के दार्शनिक अंदाज में ढल जाने का संकेत! वे कोरोना वायरस को लेकर अदभुत ज्ञान लेकर आए है जिससे सिर्फ राज्य भर की जनता ही नहीं बल्कि जहां जहां तक देश-विदेश उनकी ज्ञानवाणी पहुंच रही लोग महामारी में भी जी भर के मुस्कुरा ले रहे! दरअसल एक प्रादेशिक चैनल के न्यूज को कोरोना पर अपने ज्ञान से सराबोर कर सबको धन्य करते टीएसआर (त्रिवेंद्र सिंह रावत का यही नाम यहीं ज्यादा लोकप्रिय रहा उनके मुख्यमंत्रित्वकाल में) ने सबकी आँखें खोली कि ये जो कोरोना वायरस ना! जिससे सारी दुनिया हल्कान हुई पड़ी, वो दरअसल एक प्राणी ही तो ठहरा हमारी आपकी तरह और उसे भी जीने का अधिकार है। अब वह जान बचाने को बहरूपिया बनकर मारा मारा फिर रहा और हम भी भाग रहे। हम वैक्सीन बना ले रहे तो वो प्राणी भी रूप बदलकर ताकत बढ़ा ले रहा।
टीएसआर अपना दार्शनिक अंदाज पकड़े-पकड़े आगे समझाते हैं कि बस हमें कोरोना वायरस प्राणी से दूरी बनाकर चलते चले जाना है, वो भी चला रहेगा, हम भी चलते रहेंगे, बस हम तेज चाल से आगे निकल जाएंगे। हैं ना गजब ज्ञान भंडार! अब सोशल मीडिया यूज़र अपने तिरदा का दार्शनिक अंदाज देखकर कल से एक ही गाना गुनगुना रहे,’ओ पता नहीं जी कौनसा नशा करता है’ !
अब इसे आप कुर्सी जाने का ग़म भले समझें पर टीएसआर ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहते-रहते भी तो गाय के ऑक्सीजन लेने और छोड़ने की रिसर्च प्रस्तुत की थी। गाय के बाल-खाल सहलाकर श्वसन रोक छूमंतर करने से लेकर टीबी की बीमारी भी ठीक करने का ज्ञान बांट चुके। फिर टीएसआर से ही अपनी ऐसी क्या दुश्मनी भला नए-नए मुख्यमंत्री बनकर अपने तीरथदा भी तो कुंभ, गंगा स्नान और अमरीका से ग़ुलामी का इतिहास पढ़ा चुके हैं। वैसे मोदीजी इस मामले में सबसे अव्वल ठहरे! बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के वक़्त उन्होंने ही तो बताया था कि घने बादलों के कारण हमारे फाइटर जेट दुश्मन के रडार को चकमा दे देंगे इसीलिए एक्शन का आदेश दे दिया था।
और गोबर स्नान और गौमूत्र से कितने लोग ‘गो कोरोना गो’ कर रहे फिर भला अचानक सत्ता गंवा बैठे नेताजी के रोचक ज्ञान पर ही क्यों ताली पीट रहे भई! बहुत नाइंसाफी है! क्यों है ना कोरोना प्राणी!
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