दिल्ली: बुधवार को कांग्रेस को उस वक़्त तगड़ा झटका लगा जब पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री और राहुल गांधी के करीबी रहे जितिन प्रसाद बीजेपी में शामिल हो गए। लेकिन कांग्रेस की दिक्कत इतना भर कहां! पार्टी के लिए तो जिधर देखो उधर सियासी मुसीबत और टूट की आशंका बरक़रार! पंजाब में सीएम कैप्टेन अमरिंदर बनाम नवजोत सिद्धू जंग ठंडी पड़ नहीं रही, राजस्थान कांग्रेस में फिर से सियासी रण छिड़ गया है। आपको पिछले साल वाली गहलोत बनाम पायलट ‘अगस्त क्रांति’ तो याद होगी ही, अब उसके पार्ट टू की भूमिका बनती दिख रही है।
हुआ यूँ कि हाल में पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने दर्द ए दिल बयां किया कि 10 महीने पहले जो वादे किए गए थे वे आज भी अधूरे हैं। गहलोत-पायलट का झगड़ा शांत कराने को बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट तक नहीं आई है लिहाजा पायलट ने याद दिलाया कि दिन कार्यकर्ताओं ने पार्टी को सत्ता दिलवाई उनके साथ बेरुख़ी जारी है। राजनीतिक कॉरिडोर्स में चर्चा यहाँ तक चल रही है कि सचिन पायलट ने कांग्रेस नेतृत्व को 10 माह पहले किए वादे निभाने का मैसेज दे दिया है।
एक जमाने में पायलट भी ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद की तरह राहुल गांधी के करीबी हुआ करते थे। बाद वाले दोनों नेता जा चुके हैं, ऐसा लगता है सचिन पायलट के संयम का इम्तिहान जारी है। खैर राहुल गांधी के एक और करीबी भंवर जितेन्द्र सिंह ने अब जरूर पायलट का समर्थन किया है कि पायलट से किए वादे पूरे होने चाहिए और राजनीतिक नियुक्तियाँ जल्द से जल्द होनी चाहिए।
सवाल वहीं कि क्या कांग्रेसी कुनबे की नयी टूट की पटकथा धीरे-धीरे राजस्थान में रची जा रही या राहुल-प्रियंका फिर पायलट को मना लेंगे और राजस्थान के राजनीतिक रण के जादूगर सीएम अशोक गहलोत कार्यकाल पूरा कर जाएंगे?