Justice for Ankita Bhandari: अंकिता भंडारी हत्याकांड के मुख्य आरोपी पुलकित आर्य के “वनंतरा” रिजॉर्ट में आखिर वह वीआईपी कौन आने वाला था जिसको एक्सट्रा सर्विस देने के दबाव ने एक मासूम पहाड़ पुत्री की बलि ले ली? यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब देने पुष्कर सिंह धामी सरकार का हलक भी सूख जा रहा है और वह संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को विधानसभा सदन में खड़ा कराकर कहलवा देती है कि जिस वीआईपी की बात हो रही वह तो दरअसल कोई है ही नहीं! तो पुलिस और उसकी अंकिता हत्याकांड के आरोपियों को कड़ी सजा दिलाने का दम भरने वाली 500 पेज की चार्जशीट भी मौन है।
जाहिर है वीआईपी कौन था इस सवाल का जवाब खोजने से जितना सरकार और पुलिस बचेगी यह सवाल सियासी और सामाजिक आंदोलन कर मंचों से और जोर से उठेगा।
अंकिता भंडारी हत्याकांड में वीआईपी का नाम अब तक उजागर नहीं हो पाने से लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। एसआईटी की 500 पेज की चार्जशीट में दावा किया गया है कि यह पहाड़ की बेटी अंकिता के हत्यारों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने के लिए पर्याप्त है लेकिन वीआईपी का खुलासा न हो पाने, रिजॉर्ट में आगजनी, अंकिता का मोबाइल और मुख्य आरोपी पुलकित का मुख्य मोबाइल न मिल पाने जैसे कई फैक्टर्स हैं जो सरकार और पुलिस के गले की फांस बन रहे हैं क्योंकि विपक्ष के साथ साथ कई गैर सरकारी संगठन इन मुद्दों को लेकर सरकार की नीयत पर संदेह जता रहे हैं।
अब भी अगर धामी सरकार और सत्ताधारी दल बीजेपी संभले नहीं तो 2024 की चुनौती और कठिन हो सकती है। वैसे भी पड़ोसी पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश के नतीजों ने बीजेपी आलाकमान को उत्तराखंड को लेकर नए सिरे से सोचने को मजबूर कर दिया होगा। उत्तराखंड और खासकर पौड़ी गढ़वाल में अंकिता के साथ हुए इनजस्टिस को लेकर लोगों में खासा उबाल है और वीआईपी को लेकर सरकार की कमजोर दलीलें उसके गले नहीं उतर रहीं हैं बल्कि उसका गुस्सा और बढ़ा रहीं हैं।
वैसे भी एक खास संकेत आप पकड़ेंगे कि उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में एक के बाद ऐसी घटनाएं हो रही जिनसे लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। अंकिता भंडारी हत्याकांड ने जनता के गुस्से की आग में घी डालने सरीखा काम कर दिया है। ऊपर से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कुमाऊं क्षेत्र से आते हैं और मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में गढ़वाल क्षेत्र सत्ता के शिखर पर खुद को उतना ताकतवर महसूस नहीं कर पा रहा है। खासकर पॉवरफुल पौड़ी अब पहले के मुकाबले खुद को सत्ता प्रतिष्ठान में कमजोर पा रहा है।
अंकिता भंडारी हत्याकांड में सिर्फ वीआईपी के खुलासे को लेकर ही धामी सरकार और पुलिस कमजोर नहीं दिख रही हैं बल्कि इस हत्याकांड में भारी जन दबाव के बावजूद सरकार और पुलिस प्रशासन ने अब तक जिस तरह की बड़ी गलतियां की गई हैं वे कई तरह के सवालिया निशान तो लगाती ही हैं, कई गंभीर चिंताएं और आशंकाओं को भी जन्म देती हैं।
धामी सरकार सिर्फ वीआईपी का नाम बताने में ही टालमटोल नहीं करती आ रही है बल्कि जांच के दरम्यान जिस तरह से आधी रात को वनंतरा रिजॉर्ट पर जेसीबी बुलडोजर चलाया गया इसे विपक्ष से लेकर अंकिता के माता पिता और बड़ा वर्ग सबूत मिटाने की साजिश करार दे रहा है। फिर तेजतर्रार आईपीएस पी रेणुका की अगुआई में एसआईटी गठित करने के बावजूद अब तक मुख्य हत्यारोपी पुलकित आर्य और मृतका अंकिता भंडारी के मोबाइल का पता न लग पाना और सील्ड रिजॉर्ट में आग लग जाने जैसी तमाम घटनाएं भी धामी सरकार और पुलिस की नाकामी का सबूत देता है।
इन्हीं सब बिंदुओं को मुद्दा बनाते हुए अब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एसआईटी हेडक्वार्टर या वनंतरा रिजॉर्ट के सामने 24 घंटे धरने पर बैठने का एलान कर दिया है ताकि धामी सरकार पर वीआईपी के खुलासे को लेकर जनदबाव बढ़े। जाहिर है लोकसभा चुनाव जैसे जैसे करीब आते जाएंगे सियासत के मंझे खिलाड़ी हरदा धामी सरकार को घेराबंदी तेज करते जाएंगे।
पढ़िए हुबहू क्या कहा है पूर्व सीएम हरीश रावत ने सोशल मीडिया के माध्यम से:
#अंकिता_भंडारी हत्याकांड और उससे जुड़े हुए वह #VIP कौन ! तथा रिजॉर्ट में बुलडोजर फिराये जाने, सीसीटीवी कैमराज के तार काटे जाने एवं रिजॉर्ट स्वामी की रिजॉर्ट से जुड़ी हुई फैक्ट्री में आग लगने की घटनाओं ने उत्तराखंड के प्रबुद्ध जनमानस को अत्यधिक उद्वेलित कर दिया है। एक सामाजिक संगठन जिसके साथ कुछ राज्य आंदोलनकारी व समाचार पत्रों से जुड़े हुए लोग संबद्ध हैं उसने अपने तरीके से तथ्यों की जांच-पड़ताल की है, जो कुछ बातें उनकी पड़ताल में सामने आई हैं उससे लगता है कि वीआईपी को बचाने के लिए साक्ष्यों और परिस्थितियों को भी बदलने का कूप्रयास हो रहा है।
हरिद्वार में लोकतंत्र बचाने के संघर्ष के दौरान मैं लगभग 28 घंटा थाने में खुले आसमान के नीचे धरने पर बैठा था। तब कुछ लोगों ने मुझसे अपेक्षा की थी कि मैं #अंकिता और अन्य बलात्कार से पीड़ित उत्तराखंड की बेटियों की आत्माओं को न्याय मिल सके इसके लिए देहरादून में भी थाने में धरना दूं। अभी मैं #BharatJodoYatra में राजस्थान पहुंचा हूं, वापस देहरादून आने पर मैंने निश्चय किया है कि मैं #SIT के मुख्यालय या रिजॉर्ट के निकट प्रातः 11 बजे से दूसरे दिन प्रातः 11 बजे तक #धरने पर बैठूं और जनदबाव को शक्ति प्रदान करूं।
#uttarakhand
#justiceforankitabhandari
Pushkar Singh Dhami
Indian National Congress Uttarakhand