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Ankita Murder Case एक और झूठ का पर्दाफाश.. तो शातिर ‘क्रिमिनल माइंड’ पुलकित आर्य ने इसलिए लगाया था अंकिता पर मोबाइल नहर में फेंकने का झूठा आरोप

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  • अंकिता मर्डर केस में हत्यारोपी पुलकित आर्य के एक और झूठ का पर्दाफाश

Justice for Ankita Bhandari, Bandh observed in Uttarakhand: शातिर आपराधिक प्रवृति वाला अंकिता हत्याकांड का मुख्य आरोपी पुलकित (Pulkit Arya main accuse in Ankita Murder) अपने रिजॉर्ट के दो कारिदों के साथ तीन दिन के पुलिस रिमांड पर है। हालांकि अंकिता हत्याकांड की अब तक की पड़ताल बता रही है कि पुलकित बेहद शातिर किस्म का है और अपने बचाव में किसी भी हद तक जा सकता है। लेकिन सूत्रों ने खुलासा किया है कि एसआईटी की सख्ती और एक्सपर्ट टीम के पेचीदा सवालों के आगे शातिर दिमाग पुलकित आर्य टूट गया है और अब खुद ब खुद कई गढ़ी गई अपनी कहानियों से पर्दा हटा रहा है।

“अंकिता ने पुलकित का मोबाइल नहर में फेंक दिया जिसके बाद गुस्से और नशे में उसने अंकिता को नहर में धक्का दे दिया।” दरअसल यह हकीकत से कोसों दूर खुद शातिर दिमाग पुलकित और अपराध में उसके सहभागी बने सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता द्वारा गढ़ी गई झूठी कहानी है। सूत्रों का दावा है कि एसआईटी और टेक्निकल टीम (SIT on Ankita Bhandari Murder case) के सवालों में उलझा पुलकित आर्य खुद अपनी इस झूठी कहानी से पर्दा उठा चुका है।

जांच और पूछताछ में मिले अहम इनपुट्स और लीड्स के आधार पर बताया गया है कि यह कोई गुस्से या मोबाइल फेंक देने की क्रिया की प्रतिक्रिया में नहर के पास खड़ी अंकिता को धक्का देने भर जैसा अपराध नहीं है बल्कि एक सोची समझी साजिश के तहत इनके वनंतारा रिजॉर्ट के काले कारनामों की कहानी बयान करने की धमकी दे रही रिसेप्शनिस्ट अंकिता को ठिकाने लगाने का प्लांड क्राइम था। और इसकी पूरी पटकथा खुद पुलकित आर्य ने सौरभ और अंकित गुप्ता के साथ मिलकर रची थी।

जांच में टूट गए पुलकित ने पुलिस को बताया है कि हत्या को महज एक दुर्घटना का रूप देने की अपनी योजना के तहत ही उसने अपना मोबाइल खुद नहर में फेंका था, और वो भी हत्या के अगले दिन! दरअसल एसआईटी इस केस की पड़ताल में टेक्निकल टीम का सहारा भी ले रही है और टेक्निकल टीम ने जब जांच में पाया कि पुलकित का मोबाइल तो घटना के अगले दिन यानी 18 सितंबर की रात अंकिता की हत्या और अगले दिन 19 सितंबर को दोपहर में बंद हुआ न कि बीती रात्रि।

पुलकित दूसरे मोबाइल से अपना व्हाट्सएप लगातार चला रहा था। जब ऐसे तमाम सॉलिड एविडेंस लेकर पुलिस और टेक्निकल टीम बैठी तो सामने बैठा शातिर पुलकित पहले दाएं बाएं और हां ना करने लगा फिर जल्दी ही लाइन पर आ गया कि उसी ने हत्या करने के अगले दिन हत्याकांड को हादसा साबित करने के लिए खुद नहर के पास जहां घटना हुई वहीं मोबाइल फेंक दिया।
शातिर अंकित ने उस रास्ते के सीसीटीवी कैमरों से बचने की भी भरपूर कोशिश की और वह जंगल वाले दूसरे रास्ते से नहर तक पहुंचा लेकिन वह रूट भी मोबाइल टावर लोकेशन की रेंज में था और मोबाइल के अगले दिन तक चालू रहने के अहम इनपुट टेक्निकल टीम के हाथ लग गए।

जाहिर है शातिर दिमाग पुलकित आर्य ने खुद को बचाने और अंकिता के सोची समझी साजिश के तहत किए गए मर्डर को हादसा दिखाने की स्क्रिप्ट खूब लिखी लेकिन वो कहते हैं ना अपराधी चाहे कितना भी चालाक क्यों ना हो अपने गुनाह के पीछे वह कुछ न कुछ सबूत ऐसे जरूर छोड़ जाता है जो उसे फांसी के फंदे तक पहुंचाने के लिए काफी रहते हैं।

आज दो अक्टूबर को जब देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पूर्व प्रधानमन्त्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री को याद कर रहा और उत्तराखंड अपने राज्य आंदोलन के अमर शहीदों की शहादत को नमन कर रहा है, तब राज्य में अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने और अपराधियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए बंद का आह्वान भी किया गया है। बंद का मिला जुला असर दिख रहा है और लोग राजनीतिक विचारधारा की लक्ष्मण रेखा से ऊपर उठकर पहाड़ प्रदेश की बेटी अंकिता को न्याय दिलाने को हुंकार भर रहे हैं।

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