Kedarnath by-election voting: उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा सीट पर बुधवार को वोटिंग हुई। उपचुनाव होने के बावजूद बड़ी संख्या में वोटर घरों से निकले और अपनी पसंद के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया।
वोटिंग संपन्न होते ही छह प्रत्याशियों की क़िस्मत ईवीएम में क़ैद हो गई है जिसका खुलासा 23 नवंबर को होने वाली मतगणना के बाद होगा। आज कड़ाके की ठंड के बावजूद सुबह से ही लोग पोलिंग बूथों की तरफ़ पहुँचने लगे और यह सिलसिला शाम छह बजे वोटिंग ख़त्म होने तक चलता रहा। केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के सतेराखाल, चोपता, खड़पतिया, घिमतोली सहित केदारघाटी के सारी, मनसूना, ऊखीमठ गुप्तकाशी, फाटा, कालीमठ सहित तमाम पोलिंग स्टेशनों पर वोटर्स में ख़ासा उत्साह दिखा।
शान्तिपूर्ण वोटिंग के लिए पुलिस और प्रशासन ने पुख़्ता इंतज़ाम किए थे। 173 में से 130 पोलिंग बूथों पर वेबकास्टिंग की व्यवस्था की गई थी। यह पहला मौक़ा था जब विधानसभा के उपचुनाव में वोटिंग के दौरान 75 प्रतिशत पोलिंग बूथों को सीसीटीवी कैमरों से लैस किया गया। केदारनाथ विधानसभा के कुल 90,875 वोटर्स में 44,919 पुरुष और 45,956 महिला वोटर्स हैं। विधानसभा उपचुनाव में 53526 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया जिसमें कुल 25197 पुरुष और कुल 28329 महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। साफ़ है कुल वोटर्स में महिला वोटर ज़्यादा हैं और वोटिंग के दिन भी महिलाएँ ज़्यादा तादाद में घरों से निकलीं।
केदारनाथ उपचुनाव में सुबह 9 बजे तक 4.30 प्रतिशत, 11 बजे तक 17.69 प्रतिशत, दोपहर 1 बजे तक 34.40 प्रतिशत, 3 बजे तक 47.00 प्रतिशत, पाँच बजे तक 56.78 प्रतिशत मतदान हुआ और शाम 6 बजे तक कुल मतदान 57.64 प्रतिशत रहा।
केदारनाथ उपचुनाव की वोटिंग का प्रतिशत बढ़ने के बाद सत्ताधारी भाजपा और मुख्य विपक्षी कांग्रेस, दोनों ही अपनी अपनी जीत का दावा कर रही हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सिटिंग विधायक रहे मनोज रावत हार कर तीसरे पायदान पर खिसक गये थे। जबकि आशा नौटियाल ने पिछली बार चुनाव नहीं लड़ा था और बीजेपी के टिकट पर शैला रानी रावत ने साढ़े 8 हज़ार से ज़्यादा वोटों से चुनावी बाज़ी मार ली थी। इस बार मुख्य मुक़ाबला बीजेपी उम्मीदवार आशा नौटियाल और कांग्रेस उम्मीदवार मनोज रावत में ही है।
कांग्रेस कैंडिडेट मनोज रावत ने 2017 में पहली बार केदारनाथ से चुनाव लड़ा था और मोदी सुनामी के बावजूद चतुष्कोणीय मुक़ाबले में क़रीब नौ सौ वोटों के करीबी अंतर से जीतने में कामयाब रहे थे। जबकि आशा नौटियाल दो बार बीजेपी के टिकट पर केदारनाथ क्षेत्र की विधानसभा में नुमाइंदगी कर चुकी हैं।
ज़ाहिर है सत्ताधारी पार्टी बीजेपी तो हर हाल में प्रतिष्ठा से जुड़ा यह चुनाव जीतना चाहेगी,तो बदरीनाथ और मंगलौर उपचुनाव में बीजेपी को शिकस्त दे चुकी विपक्षी कांग्रेस भी उपचुनाव में जीत की हैट्रिक लगाकर 2027 में वापसी का संदेश देना चाहेगी।
राष्ट्रीय राजनीति के लिहाज़ से भी केदारनाथ उपचुनाव का ख़ासा महत्व है। आख़िर अयोध्या (फ़ैज़ाबाद लोकसभा सीट) और बदरीनाथ विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी की पराजय के बाद सबकी नज़रें केदारनाथ पर टिकी हुई हैं। आख़िर केदारनाथ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ख़ास नाता बीते 10 वर्षों में दिखा है और यहाँ से संदेश देकर बीजेपी ने देश में एक बड़ा वोटबैंक साधा है।
फिर केदारनाथ उपचुनाव परिणाम का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए कितनी अहमियत रखता है, आसानी से समझा जा सकता है।