देहरादून: उत्तराखंड वनाधिकार आंदोलन के संस्थापक तथा पूर्व विधायक किशोर उपाध्याय ने निर्वाचन आयोग से उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य के कठिन मौसम व भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुये मतदान अंतिम चरण या 15 मार्च 2022 को करवाने का अनुरोध किया है। किशोर उपाध्याय ने सभी राजनैतिक दलों, मुख्यमंत्री और सभी सांसदों से भी इस सम्बन्ध में चुनाव आयोग से अनुरोध करने की अपेक्षा की है। किशोर ने राज्य के मुख्य सचिव, मुख्य निर्वाचन अधिकारी से भी अपेक्षा की है कि वे इस बात को आयोग के सामने रखें।
सभी दल राज़ी हों तो एक सर्वदलीय या सर्वपक्षीय प्रतिनिधि मण्डल भी निर्वाचन आयोग से मिल सकता है।
उपाध्याय ने अपने पत्र में कहा है कि:-
“वर्तमान उत्तराखण्ड विधान सभा का कार्यकाल 23 मार्च, 2022 को सम्पन्न हो जायेगा। 23 मार्च से पूर्व विधान सभा का गठन संवैधानिक बाध्यता है। अब जब विधान सभा के चुनाव सन्निकट हैं तो राज्य के सभी राजनैतिक दलों को निर्वाचन आयोग से मतदान की तिथि के सम्बन्ध में अपनी राय व भावना व्यक्त करनी चाहिये। मेरा स्पष्ट मत है कि उत्तराखंड में मतदान अन्तिम चरण में होना चाहिये या 15 मार्च को होना चाहिये। उत्तराखंड की किसी भी विधान सभा के मतगणना केन्द्र से नव-निर्वाचित विधायक 24 घण्टे के भीतर अस्थायी राजधानी देहरादून पहुँच सकता है। 18 को परिणाम आने के उपरान्त 20 मार्च तक सभी नव-निर्वाचित विधायक देहरादून पहुँच सकते हैं और दो दिन बाद 22 मार्च को शपथ भी ले सकते हैं।
यह सुझाव मैं इसलिये दे रहा हूँ कि फ़रवरी के महीने में उत्तराखंड में जमकर ठण्ड पड़ती है और मतदाता को मतदान केन्द्र तक आने में बड़ी तकलीफ़ उठानी पड़ती है। उम्मीदवार व उनके कार्यकर्ताओं की तो मजबूरी है, उन्हें अपना चुनाव अभियान चलाना ही है, तब चाहे जैसी भी परिस्थितियां हों, मतदान में लगी सरकारी मशीनरी की भी मजबूरी है कि उन्हें किसी भी परिस्थिति में मतदान सम्पन्न करवाना है। लेकिन मतदाता की तो कोई मजबूरी नहीं है, वह कठिन ठण्ड में क्यों वोट करने जाय? उसको वोट देने के लिये पारितोषिक की जगह दण्ड का भागी क्यों बनना पड़े?
मतदान लोकतन्त्र का उत्सव है और अगर हम उत्सव को सुविधाजनक, कष्ट रहित व उत्साहपूर्ण बना सकते हैं तो लोकतन्त्र मज़बूत होगा, अधिक मतदाता मतदान कर सकेंगे।
मैं जब 2016 में प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष था, तब पूरा इलेक्शन कमीशन देहरादून आया था तो मैं कमीशन के सामने पेश हुआ था और मैंने उनसे निवेदन किया था कि हमारे राज्य में मतदान की तिथि अन्तिम चरण में रखी जाय, लेकिन आयोग ने मेरी बात नहीं सुनी, मैंने तो लिखित में भी अनुरोध किया था।जबकि तब मतदान का अंतिम चरण 6 मार्च था, लेकिन उत्तराखण्ड में 15 फ़रवरी को मतदान की तिथि निश्चित कर दी गयी। आप जानते ही हैं, इन दिनों उत्तराखंड में मौसम बहुत ख़राब रहता है और भयंकर ठण्ड भी पड़ती है और बर्फ़बारी भी होती है।
अतः मेरा आपसे अनुरोध है निर्वाचन आयोग के समक्ष इन परिस्थितियों और परेशानियों को रखा जाय और उत्तराखंड में अंतिम चरण में मतदान हेतु अनुरोध किया जाय।
आशा है, आप मेरे अनुरोध को स्वीकार करेंगे।
सादर,
किशोर उपाध्याय
पूर्व विधायक,
संस्थापकऔर प्रणेता
वनाधिकार आन्दोलन
16 अक्तूबर, 2021”