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भू-अध्यादेश आंदोलन का अनिश्चितकालीन अनशन: हिमाचल की तर्ज पर भू क़ानून बनाने की मांग के साथ 18 अक्तूबर से संघर्ष, चिन्ता कहीं धामी सरकार की कमेटी चुनाली झुनझुना बनकर रह जाए

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देहरादून: भू-अध्यादेश अधिनियम अभियान उत्तराखंड के तत्वाधान में 18 अक्टूबर यानी सोमवार दोपहर 12 बड से पंडित दीनदयाल उपाध्याय जनता पार्क नजदीक तहसील चौक देहरादून में ‘राज्यात्मा की एकमात्र आवाज़ हिमाचल प्रदेश की तर्ज़ पर हो भू-क़ानून’ को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन शुरू होने जा रहा है।


भू अध्यादेश अभियान ने अब तक सभी मुख्यमंत्रियों को भू-क़ानून को लेकर लगातार ज्ञापन सौंपने के बाद लगभग दो-ढाई हज़ार किलोमीटर की यात्रा कर राज्य के प्रसिद्ध धामों सहित लोक देवी-देवताओं के श्रीचरणों में अर्ज़ी/ज्ञापन भी अर्पित किया है। सरकार ने अभियान की कई सालों से लगातार पहल व सम्पूर्ण राज्यवासियों के सोशल मीडिया के दबाव में एक समिति का गठन तो किया हैं।


पर भू अध्यादेश अभियान सहित राज्य के लोगों को लगता है कि कहीं यह एकमात्र चुनावी झुनझुना ना साबित हों जाए! इस क्रम में अभियान ने 18 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन अनशन को लेकर 23 सितंबर 2021 को प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पहले ही चेताया था… अब 18 से अनशन की शुरूआत होने जा रही है।

अनशन पर बैठने वाले पहले दिन से ही मातृशक्तियों की नामावली इस प्रकार है- सुलोचना भट्ट, धना वालदिया, रजनी रावत और सुमन कंडारी। यह सभी महिला भू-अध्यादेश अभियान में सह-संयोजक हैं।

भू-अध्यादेश अधिनियम अभियान, उत्तराखंड के संस्थापक और मुख्य संयोजक शंकर सागर रावत ने बताया कि उत्तराखंड के विकास और पर्वतीय राज्य की जो परिकल्पना हमारे राज्य आंदोलनकारियों और इसके लिए शहादत देने वाले शहीदों ने की थी, वह जब तक हिमाचल की तर्ज पर भू-क़ानून नहीं बनेगा , तब तक अधूरी ही रहेगी। लिहाजा अब भू अध्यादेश आंदोलन इस मुद्दे पर निर्णायक संघर्ष कर इसे मुक़ाम तक पहुँचाएगा।

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