देहरादून: उत्तराखंड बनने के बाद चाहे पूर्ण कुंभ मेला रहा हो या अर्ध-कुंभ आयोजन, किसी न किसी रूप में लूट और भ्रष्टाचार की आँच आती रही है। कोविड टेस्टिंग में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद कहा जा सकता है कि महाकुंभ 2021 भी इस आरोप से अछूता नहीं रह गया है। चुनाव सामने है और विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया है। सरकार एक प्राइवेट लैब द्वारा एक लाख से ज्यादा फ़र्ज़ी टेस्ट करने का मामला पकड़ में आने के बाद हरिद्वार डीएम से जांच करा रही है। लेकिन हमलावर विपक्ष सीबीआई से लेकर हाईकोर्ट सिटिंग जज की अगुआई में जांच कमेटी की मांग कर रहा है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने मुख्यमन्त्री से अविलम्ब कुम्भ घोटालों की जांच मांग की है।
कोरोना जांच रिपोर्टों में भ्रष्टाचार मानवता के प्रति अपराध है।कुम्भ मेले में इस तरह की लापरवाही और भ्रष्टाचार से ही प्रदेश वासियों पर कोरोना की आफ़त आयी है। किशोर उपाध्याय ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि अगर वे अपने दामन को दाग़दार होने से बचाना चाहते हैं तो जल्द से जल्द जांच किसी सक्षम एजेंसी को सौंपने का आदेश करें।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय
इससे पहले प्रीतम सिंह सीबीआई जांच की मांग कर चुके हैं। जबकि काग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने मांग की है कि अगर सरकार निष्पक्ष जांच कराना चाहती है तो उसे तत्काल फर्जीवाड़े की न्यायिक जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज की अगुआई में करानी चाहिए। धस्माना ने कहा कि प्रथम दृष्ट्या कुंभ में कोविड की फ़र्ज़ी जांच रिपोर्ट का खेल बड़ा घोटाला दिख रहा जिसमें बड़े लोगों की संलिप्तता से नकारा नहीं जा सकता लिहाजा जांच हाईकोर्ट की निगरानी में ही हो।
हालाँकि शासकीय प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा है कि
हरिद्वार डीएम जांच कर रहे हैं और डीएम ने फर्जीवाड़ा करने वाली प्राइवेट लैब एजेंसी के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करा दी है। अब जांच पुलिस करेगी और दूसरी प्राइवेट लैब एजेंसियों के खिलाफ सबूत मिलते ही उनके खिलाफ भी एक्शन लिया जाएगा।
जाहिर है तीरथ सरकार के तीन महीने कार्यकाल में फ़र्ज़ी टेस्टिंग के बहाने भ्रष्टाचार के आरोप पहली बार लगे हैं। ऐसे मेँ सरकार अपना दामन बचाने को लेकर सतर्क है लेकिन विपक्ष के तीखे तेवरों के चलते सरकार पर उच्च स्तरीय जांच का दबाव बढ़ता जा रहा है। आखिर हरिद्वार कुंभ के दौरान जब बार बार कोविड टेस्टिंग के आंकड़े खासतौर पर पॉजीटिविटी रेट बाकी बारह जिलों से एकदम उलट आ रही थी तभी जिला प्रशासन का जागना चाहिए था लेकिन लगातार सोए रहे जिला प्रशासन से अब जांच की उम्मीद लगाए रखना भी सवालों के घेरे में है।