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पदक विजेताओं का मूल निवास बताए सरकार! राष्ट्रीय खेलों में महाघोटाले हुए, कुछ कंपनियों, नेताओं,अफसरों ने काटी चाँदी: नेता प्रतिपक्ष आर्य

हाल में संपन्न हुए 38वें राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड के कई स्थानों की उपेक्षा, भ्रष्टाचार और बाहरी खिलाड़ियों को प्रदेश की टीम में जगह देने का मामला विधानसभा में गूंजा।

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Dehradun: उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र में विपक्ष ने 38वें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन में भ्रष्टाचार का मुद्दा सदन में उठाया है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सदन में राज्य सरकार से पदकों के शतक पर जश्न मनाने के साथ ही यह भी बताने की मांग की है कि जो खिलाड़ी जीते उनके मूल निवास का ब्यौरा भी सार्वजनिक किया जाए।

नेता प्रतिपक्ष आर्य ने खेलों के आयोजन में भारी भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खेलों का आयोजन राज्य के लिए सम्मान की बात होता है।

पढ़िए नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने जो कहा, हुबहू:

“हम सभी की जिम्मेदारी है कि यदि हमारे प्रिय राज्य उत्तराखण्ड के सम्मान की बात आए तो हमको सारे राजनैतिक मतभेद भुलाते हुए उन आयोजनों को सफल करना चाहिए। इसलिए खेल के आयोजन तक हमने जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभाते हुए कुछ नहीं कहा। लेकिन मेरा साफ आरोप है कि राष्ट्रीय खेलों में महाघोटाले हुए हैं।

कुछ कम्पनियों, नेताओं और अधिकारियों ने जमकर चांदी काटी है। समय के साथ हम उन सभी को बेनकाब करेंगे। इन आयोजनों में राज्य के मूल निवासी और अर्जुन पुरस्कार विजेताओं को तक नहीं बुलाया गया। रोइंग में अर्जुन पुरस्कार विजेता चमोली के सुरेन्द्र सिंह कनवासी ने वीडियो पोस्ट करके आरोप लगाया कि राज्य के खिलाड़ियों, खेल प्रशिक्षकों और पूर्व खिलाड़ियों को न तो बुलाया गया और न ही अनका कोई योगदान लिया गया।

सरकार ने ये राष्ट्रीय खेलों के आयोजन का काम अपनी पार्टी के एक बड़े नेता के परिवार की कम्पनी को पिछले दरवाजे से दिया और कुछ अधिकारियों के परिवारों से जुड़ी कम्पनियों ने भी इस आयोजन में काफी चांदी काटी है। सरकार ने बताया कि इन खेलों का आयोजन राज्य के विभिन्न स्थानों पर किया गया। मेरा साफ आरोप है कि, राज्य के कई महत्वपूर्ण स्थानों को राष्ट्रीय खेलों के आयोजन से दूर रखा गया है।

पौड़ी का रांसी स्टेडियम देश में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित स्टेडियम है। वहां सरकार ने कोई भी खेल आयोजित नहीं किया। सरकार अगर चाहती तो राष्ट्रीय खेलों के बहाने देश भर के खिलाड़ियों, कोचों और खेल संघों का परिचय पौड़ी के रांसी स्टेडियम से कराते। ताकि आने वाले सालों में वहां साल भर अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले देश भर के खिलाड़ियों के प्रशिक्षण शिविर आयोजित किये जा सकते थे। राज्य में इससे कई रोजगार पैदा होते और यहां के खिलाड़ियों का सम्पर्क देश के प्रतिभावान खिलाड़ियों से होता। लेकिन आपकी सरकार ने ये अवसर चूक जाने दिया।

बीजिंग एशियाई खेलों से पहले देश की कयाकिंग सलालम टीम का प्रशिक्षण रुद्रप्रयाग जिले के चन्द्रापुरी में हुआ था। विदेशी कोच ने मंदाकिनी पर तब बनाये सलालम कोर्स को देश का सबसे अच्छा सलालम कोर्स बताया था। लेकिन वहां इस इवेंट को नहीं किया गया। सरकार ने कई जिलों और खेलों के लिए मुफीद कई स्थानों को ही नहीं छोड़ा बल्कि राज्य के मूल निवासी खिलाड़ियों और खेल विशेषज्ञों को भी छोड़ दिया।

सरकार 100 से अधिक पदकों को लाने का दावा कर रही है सरकार को पदक जीतने वाले उन सभी खिलाड़ियों के मूल निवास भी बताने चाहिए। मेरा आरोप है कि जब नेशनल गेम्स में बाहरी राज्य के खिलाड़ियों ने उत्तराखण्ड का प्रतिनिधित्व कर लिया है तो अब भविष्य में राज्य में खेल कोटे से भी इन्हीं बाहरी राज्यों के खिलाड़ियों की नौकरी लगेगी। अब इन पदकों के लिए मिलने वाले पुरस्कार की धनराशि भी दूसरे राज्य के खिलाड़ियों के खाते में जायेगी।”

ज़ाहिर है नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने जिस तरह से सरकार को राष्ट्रीय खेलों के आयोजन में भारी भ्रष्टाचार से लेकर प्रदेश के खिलाड़ियों को दरकिनार कर अन्य राज्यों के खिलाड़ियों को प्रतिनिधित्व का मौका देने का आरोप लगाते हुए घेरा है, उसके बाद देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार और खेल मंत्री क्या जवाब दे पाते हैं।

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