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आर्य की पत्र पॉलिटिक्स: बेमौसमी बारिश और अंधड़ से पहाड़ से मैदान तक खड़ी फसलों की तबाही पर सीएम, सरकार का खींचा ध्यान

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Uttarakhand News: बेमौसमी बारिश और अंधड़ से पहाड़ से मैदान,तराई से भाबर तक किसानों की खड़ी फसलों को भारी नुकसान हुआ है। कई जगहों पर भारी बारिश के साथ ओलावृष्टि ने तबाही और बढ़ा दी है। किसानों को हुए नुकसान की तरफ राज्य सरकार का ध्यान दिलाने को नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा है। यशपाल आर्य ने किसानों की फसल तबाह होने के बावजूद निजी बीमा कंपनियों से मदद ना मिल पाने का मुद्दा भी उठाया है।

यहां पढ़िए हूबहू नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को पत्र में क्या लिखा ?

माननीय मुख्यमंत्री जी ,
प्रदेश में भारी बारिश और तूफानी हवाओं के कारण पहाड़ से लेकर तराई और भावर तक तेज आंधी के साथ बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। किसानों-बागवानों की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। खड़ी फसलों पर भारी बारिश एवं ओलावृष्टि ने कहर ढहा दिया और खेतों में तैयार फसल उजड़ गई। फल व साग-सब्जी तहस-नहस हो चुकी है।

एक कृषक पूरे वर्ष भर चिंता और असुरक्षा के भाव में जीता हैं…कभी बारिश में तो कभी बारिश के अभाव में उसके आँखों के सामने नष्ट होती फसल के साथ उसके सपने चकनाचूर होने लगते हैं..कभी पाले से तो कभी अतिवृष्टि से…किसान चैन की नींद उसी दिन सोता है जब वो अपनी फ़सल को निकालकर घर ले आता है…लेकिन अपना दुःख दर्द हर बार किसी को नहीं बताता….बस अपना मन समझाने में लग जाता हैं….

आज सत्य ये है की आपदा में टूटी सिंचाई नहरें भी अब तक दुरुस्त नहीं हो सकीं हैं। डीजल, पेट्रोल, कीटनाशक, खाद, बीज सब महंगा हो गया है। एक तरफ भारी बारिश की मार तो दूसरी ओर बाजारों में उपज का सही दाम नहीं मिल पाने से किसानों को पहले ही आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है.

इससे पहले भी लगातार किसान मौसम की मार झेलते आ रहे हैं। लेकिन कई सीजन से सरकार द्वारा उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा। आलू उत्पादक किसानों को बीमा कम्पनियां लगातार बीमा के नाम पर लूट रही हैं। किसानों को विगत वर्षों की बीमा राशि का ही भुगतान अभी तक नही हुआ है। जबकि फसल बीमा योजना के नाम पर कंपनियां हजारों करोड़ का मुनाफा कमा रही हैं। मौसम के साथ किसानों को सरकार की अनदेखी की मार भी झेलनी पड़ रही है।

किसान पहले से ही बुरी तरह त्रस्त है। ऊपर से प्राकृतिक मार किसान की आर्थिक स्थिति को और बिगाड़ देगी जिसका सीधा असर उसके परिवार के पालन पोषण पर पड़ेगा। परिवारों को अनिश्चित भविष्य की गंभीर वास्तविकता का सामना करना पड़ेगा। यह राज्य सरकार के लिए करुणा और सहानुभूति के साथ आगे बढ़ने का समय है।

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