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पहाड़ में दंगल से पहले कांग्रेस ढेर! राहुल गांधी के करीबी मनीष खंडूरी ने पार्टी से दिया इस्तीफा

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Manish Khanduri resigns from Congress: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक और सिपहसालार ने जंग से पहले ही मैदान छोड़ दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल (रि०) भुवन चन्द्र खंडूरी के पुत्र मनीष खंडूरी ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि ग्रैंड ओल्ड पार्टी से इस्तीफा देने के पीछे मनीष खंडूरी ने कोई राजनीतिक वजह तो नहीं बताई है लेकिन जंग के ऐलान से पहले ही चुनावी मैदान से मनीष खंडूरी की रूखसती ने कांग्रेस की लेकर निगेटिव संदेश दे दिया है और नतीजों से पहले ही बड़ी जीत के अपने नैरेटिव को लेकर बीजेपी को इस इस्तीफे से उत्तराखंड में और बढ़त मिलना तय है।

अपने इस्तीफे को लेकर सोशल मीडिया में किए एलान में मनीष खंडूरी ने कहा,” मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी को प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं। मेरा यह निर्णय बिना किसी व्यक्तिगत हित अथवा अपेक्षा के लिया गया है।”

ज्ञात हो कि मनीष खंडूरी को खुद राहुल गांधी ने 16 मार्च 2019 को कांग्रेस ज्वाइन कराई थी और पूर्व मुख्यमंत्री व बीजेपी वेटरन बीसी खंडूरी की परंपरागत लोकसभा सीट पौड़ी गढ़वाल से टिकट दी गई थी। लेकिन मोदी लहर में भाजपा प्रत्याशी और खंडूरी के ही शिष्य रहे तीरथ सिंह रावत ने मनीष खंडूरी को बुरी तरह से पराजित कर दिया था। करारी हार के बावजूद मनीष खंडूरी बीते पांच सालों में पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट पर बीच बीच में सक्रिय होते नजर आए लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद उनका जनता में वो कनेक्ट और कम्युनिकेशन नहीं बन पाया जिसकी उम्मीद की जा रही थी। पहाड़ की बेटी अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर भी मनीष खंडूरी सड़क पर दिखे लेकिन राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद बने माहौल में बीजेपी के मुकाबले पौड़ी का पहाड़ चढ़ना मनीष खंडूरी के बूते की बात नजर नहीं आ रही थी। मनीष के जाने के बाद ग्रैंड ओल्ड पार्टी कांग्रेस का नेरेटिव अब और भी गड़बड़ा जाएगा। हालांकि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल से लेकर बद्रीनाथ विधायक राजेंद्र भंडारी के नाम पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने को लेकर चल रहे लेकिन ठीक लोकसभा की लड़ाई के बीच टिकटों के ऐलान से पहले मनीष खंडूरी ने मैदान छोड़कर कांग्रेस की राह और कठिन कर दी है। मनीष को विदाई से कांग्रेस नेताओं-कार्यकर्ताओं के मनोबल पर तो असर पड़ेगा ही, पहाड़ की जनता में भी मैसेज जा सकता है कि लोकसभा की लड़ाई में कांग्रेस बिलकुल गंभीर नजर नहीं आ रही है।

बड़ा सवाल यह भी है कि क्या मनीष खंडूरी आने वाले दिनों में अपने पिता की पार्टी यानी बीजेपी ज्वाइन करेंगे या फिलहाल पॉलिटिक्स से दूरी बनाएंगे? अगर मनीष खंडूरी बीजेपी ज्वाइन करते हैं तो क्या उनको पौड़ी से लोकसभा लड़ाया जा सकता है? हालांकि इसकी संभावना उस लिहाज से कम ही है क्योंकि उनकी बहन ऋतु खंडूरी भूषण बीजेपी की विधायक हैं और फिलहाल उत्तराखंड विधानसभा स्पीकर हैं।

चूंकि बीजेपी ने नैनीताल, टिहरी और अल्मोड़ा से लोकसभा प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं और हरिद्वार के अलावा पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट पर प्रत्याशी की घोषणा होनी शेष है। लिहाजा सवाल तो यह भी बनता है कि क्या ऋतु खंडूरी को लोकसभा का टिकट दिया जा सकता है। वैसे ऋतु खंडूरी विधानसभा बैकडोर भर्ती भ्रष्टाचार पर प्रहार के बाद मुख्यमंत्री की रेस में राजनीतिक गलियारों में गिनी जाती रही हैं।

यह अलग बात है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बड़ा फैसला लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी फिलवक्त प्रदेश नेताओं में कहीं अधिक मजबूत और ताकतवर नजर आ रहे हैं। ऐसे में आने वाले कुछ दिनों में दिख जाएगा कि मनीष खंडूरी ने कांग्रेस को अलविदा क्यों कहा। देखना होगा कि वे बीजेपी ज्वाइन करते हैं या फिर सियासत से पीठ फेरते नजर आते हैं। इतना तय है कि पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से बीजेपी में दावेदारी कर रहे नेताओं की धड़कनें जरूर मनीष खंडूरी के फैसले ने बढ़ा दी होंगी।

जहां तक कांग्रेस की बात है तो मनीष खंडूरी की विदाई ने फिर प्रश्न खड़ा कर दिया कि आखिर कुछ तो ऐसा है जो ग्रैंड ओल्ड पार्टी नेताओं और उसमें भी जिन्हें राहुल गांधी का करीबी माना जाता है, वे किनारा कर रहे हैं। आलम ये है कि मनीष खंडूरी ने कांग्रेस छोड़ दी है, डॉ हरक सिंह रावत सीबीआई और ईडी के जाल में उलझे हैं, प्रीतम सिंह और यशपाल आर्य चुनाव लड़ने से इंकार कर चुके हैं। ले देकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कुछ समय पहले तक राजनीतिक चहलकदमी करते नजर आ रहे थे, लेकिन हरिद्वार कि नैनीताल दौड़ में वे भी थकते दिख रहे हैं। कुल मिलाकर लोकसभा की चुनावी लड़ाई से पहले ही पहाड़ पॉलिटिक्स में कांग्रेस हांफती हुई नजर आ रही है।

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