अड्डा in-depth: सियासत में हनक कोई नई बात नहीं और जब हनक सत्ता की हो तो कहना ही क्या! फिर सूबे की महिला और बाल विकास मंत्री रेखा आर्य तो गाहे बगाहे सत्ता की ऐसी हनक दिखाती ही रहती हैं, कभी तबादलों में मन की न चले तो अपने विभागीय सचिव पर ही बंदूक तान लेना और अब अपने निजी कार्यक्रम में विभागीय अधिकारियों को शामिल होने को लेकर सरकारी कागज पर फरमान जारी कराना। फिर चाहे विपक्ष को बैठे बिठाए मुद्दा मिल जाए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सादगी से जनसेवा का संदेश पर ही पलीता लगता दिखे!
कहने को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मानसून में बारिश और आपदा की आफत की आशंका में सचिव से लेकर मुख्य सचिव और जिलों में छोटे से बड़े हर अधिकारी को बारिश के सीजन में छुट्टी पर न जाने की सख्त हिदायत दे रखी है। लेकिन कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य को राज्य से बाहर यूपी के बरेली में अपने घर पर निजी आयोजन में विभागीय अफसरों की उपस्थिति चाहिए तो चाहिए। मंत्री रेखा आर्य ने अपने निजी धार्मिक आयोजन में विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को सम्मलित होने के लिए वरिष्ठ विभागीय अधिकारी से सरकारी पत्र जारी करा डाला है।
खाद्य और आपूर्ति रेखा आर्य के यूपी के बरेली स्थित घर पर हो रहे धार्मिक आयोजन में विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित हो इसके लिए बाकायदा खाद्य विभाग के अपर आयुक्त पीएस पांगती की ओर से पत्र लिखा गया है, ‘माननीय खाद्य मंत्री रेखा आर्य के दफ्तर की तरफ जानकारी देने के बाद यह पत्र जारी किया जा रहा है कि चार अगस्त से नौ अगस्त तक श्री बाबा बनखंडी नाथ और आदरणीय परम गुरु श्री हरि गिरी जी महाराज राष्ट्रीय महामंत्री जूना अखाड़ा की कृपा से बाबा बनखंडी नाथ मंदिर जोगी नवादा बरेली में 108 शिवलिंग और मां बगलामुखी माता की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम आयोजित हो रहा है।’
पत्र में लिखा,’माननीय मंत्री के कार्यालय द्वारा निमंत्रण पत्र इस आशय के साथ उपलब्ध कराए गए हैं कि समस्त खाद्य विभाग के अधिकारी/कार्मिकों को निमंत्रण पत्र उक्त आयोजन हेतु उपलब्ध करा दिए जाएं।
अतः उपरोक्त के क्रम में आमंत्रण पत्र इस आशय के साथ प्रेषित किए जा रहे हैं कि कृपया अपने अधीनस्थ को भी उपलब्ध कराने का कष्ट करें।’
यानी साफ साफ मंत्री रेखा आर्य ने कहलवा दिया है कि अधिकारी आएं, कार्मिक आएं और साथ में अपने अधीनस्थ भी लेते आएं। वह भी तब जब मानसून की बारिश जगह जगह कहर बरपा रही और मुख्यमंत्री धामी ने हालात की गंभीरता जानकर ही प्रदेश के अधिकारियों और कार्मिकों की छुट्टी तक कैंसिल करा दी हैं और सबको अपने तैनाती स्थल पर डटे रहने के आदेश हैं। लेकिन रेखा आर्य चाहती हैं कि बारिश सीजन के पीक पर उनके विभागीय कार्मिक और अफसर बरेली पहुंचकर करीब हफ्तेभर उनके निजी आयोजन में हाजिरी लगाने पहुंचे।
अब जब ये पत्र वायरल हो गया तो कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य दो टूक अंदाज में कह रहीं हैं कि मैंने कार्मिकों या अफसरों की कनपटी पर बंदूक रखकर निमंत्रण नहीं दिया है जिसको आना है आए जिसको न आना वो ना आए कोई जबरदस्ती नहीं है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के विभाग से जारी हुए पत्र के मुद्दे को पकड़ लिया है और मंत्री के साथ साथ मुख्यमंत्री को भी निशाने पर ले लिया है।
करन माहरा ने आरोप लगाया कि एक तरफ मुख्यमंत्री बारिश के वक्त अफसरों और कार्मिकों को ड्यूटी स्थल पर बने रहने का संदेश दे रहे और दूसरी तरफ खुद मंत्री अपने विभागीय अफसरों और कर्मचारियों को राज्य से बाहर अपने घर बरेली निजी आयोजन में शामिल होने का निमंत्रण दे रही हैं। माहरा ने इस मुद्दे के बाद मुख्यमंत्री को पत्र लिख मानसून सीजन में अफसरों कार्मिकों की तैनाती के आदेश की याद दिला रहे हैं।
साफ है मंत्री रेखा आर्य ने अपने और मुख्यमंत्री पर निशाना साधने के लिए विपक्ष को बैठे बिठाए मुद्दा थमा दिया। अब यह कोई पहला मामला नहीं जब मंत्री रेखा आर्य की हनक के आगे सरकार को फजीहत झेलनी पड़ी है। इससे पहले डीएसओ तबादले मामले में अपने ही विभागीय सचिव से मंत्री रेखा आर्य उलझ चुकी हैं जिसमें उनको मुंह की खानी पड़ी थी जब तबादले चाह कर भी वे कैंसिल नहीं करा सकीं थी।
सवाल है कि रेखा आर्य या दूसरे मंत्री ऐसे कदम उठाते ही क्यों है जिनसे न केवल सरकार की छवि पर बट्टा लगता है बल्कि मुख्यमंत्री की सादगी से जन सेवा की मुहिम पर भी आंच आ जाती है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य पर ऐसे विवादों से कोई फर्क भी पड़ता है? या फिर सबकुछ सत्ता की हनक के आगे ठेंगे पर?