दिल्ली/ देहरादून: प्रधानमंत्री मोदी ने गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष के साथ मैराथन मंथन कर कैबिनेट विस्तार को लेकर होमवर्क पूरा कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ बुधवार यानी 7 जुलाई को मोदी मंत्रिपरिषद का विस्तार हो सकता है जिसमें न केवल एनडीए के सहयोगियों को स्थान मिलने की संभावना है बल्कि उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश जैसे चुनावी राज्यों को नए सिरे से समीकरण साधने को केन्द्र सरकार में तवज्जो दी जा सकती है। उत्तराखंड से मोदी कैबिनेट में फिलहाल केन्द्रीय मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक शामिल हैं और उनके पास शिक्षा विभाग जैसा भारी भरकम मंत्रालय है।
वाजपेयी दौर में कुमाऊं और गढ़वाल का संतुलन साधने को बची सिंह रावत और जनरल बीसी खंडूरी को मंत्रिमंडल में जगह दी गई थी। सवाल है कि क्या उस फ़ॉर्मूले के तहत एक मंत्रीपद और राज्य को मिल सकता है या मोदी कैबिनेट में नए सिरे से उत्तराखंड की नुमाइंदगी होगी? दो-तीन नाम हैं जिनको लेकर चर्चा हो रही है। चर्चाएँ है कि बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी मंत्री बनने की रेस में हैं। असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को मोदी कैबिनेट में जगह मिलने की चर्चाएँ हैं, ऐसे में क्या हाल में मुख्यमंत्री पद से हटाए गए पौड़ी सांसद तीरथ सिंह रावत और उनके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का समायोजन संभव है। पिछले महीने मोदी कैबिनेट विस्तार के हल्ले में त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम जमकर मीडिया में उछाला गया था। ऐसे में देखना होगा कि चुनावी राज्य उत्तराखंड का केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में दबदबा कितना बढ़ता है।
दरअसल बंगाल चुनाव नतीजों के बाद आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर बेहद चौकन्ना हुई बीजेपी किसी भी तरह के एक्सपेरिमेंट से परहेज़ नहीं कर रही है। उत्तराखंड में चार महीने से भी कम वक्त के भीतर दोबारा मुख्यमंत्री बदलकर पार्टी नेतृत्व ने साफ संदेश दे दिया है। वरना एक जमाने में उदाहरण दिए जाते थे कि मोदी-शाह फैसला लेकर पलटते नहीं हैं।
बंगाल के बाद बदले राजनीतिक माहौल में माना जा रहा है कि दो साल बाद हो रहे मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में जेडीयू, एआईएडीएमके, एलजेपी, वाईएसआर कांग्रेस और अपना दल जैसे सहयोगियों को जगह दी जा सकती है।