दिल्ली: यूपी में कांवड़ यात्रा को इजाज़त देने के मुद्दे पर योगी सरकार घिर गई है। स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सख्त अपनाते हुए योगी सरकार को नसीहत दी है कि या तो वह सांकेतिक कांवड़ यात्रा कराने के फैसले पर पुनर्विचार करे अन्यथा कांवड़ यात्रा पर शीर्ष अदालत आदेश पारित करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम आपको कांवड़ यात्रा पर फिर से विचार करने का एक मौका और देना चाहते हैं। आप विचार करिए कि यात्रा को इजाज़त देनी है या नहीं। हम सब भारत के नागरिक हैं और आर्टिकल 21 के तहत सबको जीवन का मौलिक अधिकार है।
कोर्ट ने कहा कि हमें जानकारी दी गई है कि राज्य में तमाम धार्मिक आयोजन पर पाबंदी है और इसमें कांवड़ यात्रा भी आती है। शीर्ष अदालत ने योगी सरकार को सोमवार यानी 19 जुलाई तक पुनर्विचार करने का समय दिया है। उसके बाद भी योगी सरकार कांवड़ यात्रा की जिद पकड़े रही तो सुप्रीम कोर्ट फैसला देगा।
सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार ने किया योगी के फैसले का विरोध
कांवड़ यात्रा पर सुप्रीम सुनवाई से पहले मोदी सरकार और योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपने-अपने जवाब दाखिल किए। लेकिन मोदी सरकार का जवाब योगी सरकार के फैसले से अलग रहा। मोदी सरकार का कहना था कि हरिद्वार से गंगाजल लेकर अपने मंदिर तक कांवड़ियों का आना कोरोना के लिहाज से सही नहीं होगा। बेहतर रहेगा कि टैंकर से गंगाजल जगह-जगह पहुँचाकर लोगों को मुहैया कराया जाए। जबकि यूपी सरकार ने इसके उलट अपने जवाब में कहा कि सांकेतिक रूप से कांवड़ यात्रा चलाई जा सकती है।
ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने स्वत:स्फूर्त संज्ञान लेकर कांवड़ यात्रा कराने के फैसले पर यूपी सरकार को आज जवाब देने के लिए कहा था। दरअसल 25 जुलाई से शुरू होने वाली सावन की कांवड़ यात्रा को योगी सरकार ने 13 जुलाई को मंजूरी दी थी।