
देहरादून: देश में मोटा अनाज (millets) की बंपर पैदावार होती है और यह सेहत के लिए भी पौष्टिक होता है लेकिन जानकारी का अभाव कहिए या फिर कोई और वजह लोग रोजमर्रा के खानपान में इस पौष्टिक आहार को शामिल करने से चूक जाते हैं। सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया में भी मोटे अनाज को खपत ज्यादा नहीं होती। इन्हीं सब कारणों से मोदी सरकार ने 2018 में देश में मोटा अनाज वर्ष मनाया था और भारत ने मार्च 2021 में संयुक्त राष्ट्र सभा में इंटरनेशनल लेवल पर मोटा अनाज वर्ष मनाने का प्रस्ताव दिया गया था।
इसी के बाद यूएन ने वर्ष 2023 को “अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष (International Year of Millets) घोषित किया है। मोटे अनाज में ज्वार, बाजरा, रागी, मंडुआ आदि कई मिलेट्स शामिल हैं और उत्तराखंड में पर्वतीय क्षेत्रों में मंडुआ खूब होता है। इसी के मद्देनजर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्र से आग्रह किया था कि मंडुआ को भी खरीदा जाए जिसके बाद मोदी सरकार ने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के किसानों के मुनाफे वाला फैसला लिया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारत सरकार द्वारा मोटे अनाज (मण्डुआ) के प्रोक्यूरमेंट की अनुमति दिये जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं भारत सरकार का आभार व्यक्त किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा मोटे अनाज (मण्डुआ) के 0.096 लाख मीट्रिक टन की प्रोक्यूरमेंट की अनुमति मिलने से राज्य में मिलेट (मोटा अनाज) उत्पादन करने वाले किसानों को बड़ा लाभ मिलेगा। मण्डुवा, पौष्टिकता से भरपूर होता है। अब इसे किसानों से खरीद कर मिड डे मील और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से बच्चों और लोगों को उपलब्ध कराया जा सकेगा। इससे राज्य के किसानों की आय में बढोतरी तो होगी ही, साथ ही स्कूलों के बच्चों और ज़रूरतमंदों को पौष्टिक आहार भी मिलेगा।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने इसी महीने भारत सरकार के सार्वजनिक वितरण मंत्रालय को फसल वर्ष 2022-23 के मोटे अनाज के प्रोक्यूरमेंट के लिए प्लान प्रेषित किया गया था। भारत सरकार ने उत्तराखण्ड के प्रोक्यूरमेंट प्लान को स्वीकार करते हुए मोटे अनाज के 0.096 लाख मीट्रिक टन के प्रोक्यूरमेंट की अनुमति दी है। यह प्रोक्यूरमेंट सफलतापूर्वक हो, इसके लिए खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग, मंडी परिषद, सहकारी समितियों, महिला एवं बाल विकास विभाग और शिक्षा विभाग को आपसी समन्वय से काम करने के निर्देश दिये गये हैं।
इसमें जिलाधिकारियों की विशेष भूमिका रहेगी। मण्डुवा के प्रोक्यूरमेंट की यह अनुमति फसल वर्ष 2022-23 के लिए दी गई है। मण्डुवा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3574 रूपये प्रति कुन्तल निर्धारित है। यह राज्य सरकार द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों के कृषकों की आमदनी बढ़ाने हेतु अभिनव प्रयास सिद्ध होगा।
प्रथम चरण में राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में पायलेट योजना के अन्तर्गत जनपद अल्मोड़ा एवं पौड़ी के कृषकों से निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मण्डुवा खरीद योजना लागू की जायेगी। क्रय किये गये मण्डुवा को प्रथम चरण में राज्य के मैदानी जनपद ऊधमसिंहनगर, हरिद्वार एवं देहरादून तथा नैनीताल जनपद के मैदानी क्षेत्रों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत वितरित किया जायेगा।
इस योजना से उक्त जनपदों के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के लगभग 8 लाख परिवार लाभान्वित होंगे जिनको प्रतिमाह / प्रतिकार्ड 01 कि०ग्रा० मण्डुवा निःशुल्क वितरित किया जायेगा।
राज्य के पर्वतीय जनपदों में मण्डुवा का क्रय सहकारिता विभाग द्वारा जनपद अल्मोड़ा में संचालित 20 क्रय केन्द्रों एवं जनपद पौड़ी में 11 क्रय केन्द्रों पर क्रय कर खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा इसका वितरण पात्र लाभार्थियों को सुनिश्चित किया जायेगा ।
प्रथम चरण में 9600 मी०टन मण्डुवा क्रय किये जाने की कार्ययोजना को क्रियान्वित किया जा रहा है। इस योजना के क्रियान्वयन में सरकार पर लगभग 45.00 करोड़ व्ययभार आयेगा।