दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के दो साल से अधिक वक्त गुज़रने के बाद बुधवार को जंबो मंत्रिमंडल विस्तार/फेरबदल कर दिया। कुल 43 मंत्रियों ने आज राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में मंत्री पद और गोपनीयता की शपथ ली। इनमें 15 को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। इस विस्तार में ओबीसी कोटे से 27, एसटी 8 और 12 एससी तबके के मंत्री बनाए गए हैं। यूपी, गुजरात को तवज्जो मिलता साफ दिखाई दिया है।
लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा क़द्दावर मंत्रियों के इस्तीफे को लेकर हो रही है।आखिर ऐसा क्या हुआ पिछले दो साल में कि क़ानून मंत्री के पद से रविशंकर को इस्तीफा देना पड़ा। डॉ हर्षवर्धन को स्वास्थ्य मंत्री, प्रकाश जावड़ेकर ते पर्यावरण मंत्री, रमेश पोखरियाल निशंक को शिक्षा मंत्री, संतोष गंगवार को श्रम मंत्री, सदानंद गौड़ा को रसायन और उर्वरक मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
बड़ा सवाल यही उठ रहा सियासी गलियारे में कि क़द्दावर मंत्री और बेहद अहम विभाग संभाल रहे मंत्रियों का इस्तीफा क्या संदेश देता है! इस्तीफा देने वाले 12 मंत्रियों में प्रसाद, जावडेकर, निशंक, गौड़ा और गंगवार जैसे नेता परफ़ॉर्मेंस में फीसड्डी साबित हुए या फिर मोदी-शाह के दिमाग में कोई और योजना चल रही!