नैनीताल: कुछ दिन पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार की कोविड तैयारियों और ऑक्सीजन संकट पर खीझकर कहा था कि आप शुतुरमुर्ग बनकर रेत में सिर छिपाकर बैठ सकते हैं हम नहीं! सोमवार को तल्ख टिप्पणी वही थी बस अदालत नैनीताल हाईकोर्ट और सामने उत्तराखंड की तीरथ सरकार! नैनीताल हाईकोर्ट ने तीरथ सरकार की कोविड बैटल की तैयारियों को नाकाफ़ी करार देते हुए कहा कि आज एक अदृश्य शत्रु से तीसरा विश्वयुद्ध चल रहा है और सरकार शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर डालकर बैठी नजर आ रही है। कोविड के खिलाफ सरकार की कोशिशों और तैयारियों को लेकर सोमवार को नैनीताल हाईकोर्ट मे चीफ जस्टिस आरएस चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की बेंच ने देर शाम छह बजे तक सुनवाई की। कोर्ट ने अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली और देहरादून के सच्चिदानंद डबराल की क्वारंटीन सेंटरों और कोविड अस्पतालों की बदहाली और प्रवासियों के लिए बेहतर हेल्थ फ़ैसिलिटी मुहैया कराने को लेकर अलग-अलग दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सरकार को निर्देश दिए हैं।
सुनवाई के दौरान उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने पिछली सुनवाई में मिले निर्देश के अनुसार शपथपत्र पेश किया लेकिन अदालत इससे संतुष्ट नहीं हुई और हाईकोर्ट ने 20 मई तक दोबारा डिटेल्ड एफिडेविट पेश करने के निर्देश दिए।
यहाँ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की एक टिप्पणी रखना बेहद जरूरी है क्योंकि ये आईना है रोज शाम को तैयारियों के दावों का बड़ा तामझाम लेकर बैठने वाले आला नौकरशाह से लेकर उनके सहयोगियों के लिए। अमर उजाला के अनुसार एफिडेविट पर चीफ जस्टिस ने कहा कि इतना घटिया एफिडेविट उन्होंने अपनी जिंदगी में पहले कभी नहीं देखा। अदालत नहीं पर नहीं रुकी बल्कि हाईकोर्ट ने कहा कि ये बेहद आपत्तिजनक है कि राज्य सरकार अदालत को पूरी जानकारी देने के बजाय उसे अंधेरे में रख कर गुमराह करने की कोशिश कर रही है। चीफ जस्टिस ने कहा कि जब सरकार का ये हाल है तब उन्हें अखबारों और इंटरनेट से जानकारी जुटाने को मजबूर होना पड़ रहा है।
अदालत रामनगर में कोविड हॉस्पिटल न होने पर हल्द्वानी में अतिरिक्त इंतजाम के सरकारी तर्क से भी संतुष्ट नहीं हुई। कोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या हेल्थ सेक्रेटरी की नजर में रामनगर में हॉस्पिटल की दरकार ही नहीं अगर हल्द्वानी में अतिरिक्त वेयवस्था हो हो गई तो? कोर्ट कालाबाज़ारी को लेकर भी सरकार पर चाबुक चलाते हुए कहा कि महामारी में भी मेडिसिन, इंजेक्शन और ऑक्सीजन आदि की कालाबाज़ारी सा नक़ली दवा-इंजेक्शन का धंधा जो लोग कर रहे उन पर हत्या के मुक़दमे जैसा कठोर क़ानून होना चाहिए। कोर्ट ने दवाओं की कालाबाज़ारी पर नोडल अधिकारी आईजी अमित सिन्हा से 20 मई तक कार्रवाई रिपोर्ट तलब की है।
नैनीताल हाईकोर्ट ने कहा कि इस साल जनवरी से वैज्ञानिकों ने दूसरी लहर के लिए चेताना शुरू कर दिया था लेकिन सरकार ने जरूरी तैयारी नहीं की और अब तीसरी लहर की चेतावनी दी जा रही है लिहाजा सरकार बताए वह क्या कर रही है। चीफ जस्टिस आरएस चौहान की बेंच ने कोविड जंग में सीमित संसाधनों के साथ साल भर से लंबे वक़्त से लगे डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ, मेडिकल स्टाफ और सफाईकर्मियों की सराहना की। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि टेस्टिंग लैबों की संख्या बढ़ाए, पहाड़ी क्षेत्रों में मोबाइल सेवा के ज़रिए टेस्ट कराने की तैयारी करे और ICMR से इसके लिए परमिशन ले।
हाईकोर्ट ने सरकार को बंद पड़े कॉलेजों को कोविड सेंटर बनाने पर भी विचार करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि रामनगर जैसे छोटे शहरों में हेल्थ सेंटर युद्धस्तर पर खोले जाएं और ऑक्सीजन कन्संट्रेटर सीधे विदेश से मंगाने के लिए राज्य सरकार केन्द्र से परमिशन भी ले। कोर्ट ने कहा कि सरकार अगले 10 दिन के भीतर देहरादून, हरिद्वार और पौड़ी में सीटी स्कैन मशीन लगाए। साथ ही दून, हरिद्वार और हल्द्वानी में ICU बेड्स की संख्या बढ़ाई जाए।
हाईकोर्ट ने टीकाकरण केन्द्र अस्पतालों से हटाकर अलग जगहों पर बनाने के निर्देश भी दिए। कोर्ट ने कहा कि सरकार कोविड अस्पतालों से टीकाकरण केन्द्र हटाकर अलग जगह बनाने पर विचार करे। कोर्ट ने सरकार को डॉक्टरों और नर्सों की जल्द से जल्द भर्ती करने के निर्देश भी दिए हैं।
कोर्ट ने कहा कि हरिद्वार में भारी संख्या में कोविड केस आ रहे लेकिन वहाँ एक भी सरकारी टेस्ट लैब नहीं है। उत्तराखंड में महज 10 सरकारी टेस्ट लैब और 27 प्राइवेट लैब हैं। इस पर कोर्ट ने लैब्स की संख्या बढ़ाने को कहा।
हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य में आज केवल आठ सीटी स्कैनर हैं और ये संख्या कोविड काल में बेहद कम है। कोर्ट ने कहा कि वित्तीय संकट का रोना रोकर सरकार आवश्यक संसाधन जुटाने से हाथ खड़े नहीं कर सकती और उसे जल्द से जल्द सीटी स्कैन मशीनों की संख्या बढ़ानी होगी।
हाइकोर्ट ने सरकार को फटकारते हुए कहा कि अदालत के निर्देश के बावजूद राज्य सरकार ने कुंभ मेला होने दिया, पूर्णागिरि मिले में भी 20 हजार लोग जुटने दिए। कोर्ट ने आगे कहा कि चारधाम रोकने की बात हो रही लेकिन देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड एसओपी बनाकर लोकल लेवल पर यात्रा आयोजन की तैयारी कर रहा जिसकी निगरानी कैसे होगी इसका जवाब सरकार बताए। कोर्ट ने ऑनलाइन पॉर्टल पर आईसीयू और ऑक्सीजन बेड को लेकर भी सरकार को निर्देश दिए।