देहरादून: उत्तराखंड की चारधाम यात्रा कोरोना के चलते ठप पड़ी है। चारधाम यात्रा रूट के कारोबारी और दूसरे तबके सरकार से यात्रा शुरू कराने को लेकर गुहार लगा रहे लेकिन धामी सरकार कोई फैसला नहीं ले पा रही है। कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए चारधाम यात्रा शुरू करने को लेकर हाईकोर्ट को आश्वस्त करने में नाकाम रही राज्य सरकार दौड़कर सुप्रीम कोर्ट जरूर गई लेकिन आज तक पता नहीं चल पाया कि सरकार ने यात्रा को लेकर कितनी संजीदगी दिखाई। यह भी सच्चाई है कि देश में कोरोना वायरस नए सिरे से सिर उठा रहा है और केरल में हालात बेक़ाबू होते जा रहे जिसके बाद देश में कोरोना के दैनिक केस 40 हजार के पार आ रहे। साफ है कोरोना की तीसरी लहर का खतरा मँडरा रहा है लेकिन क्या राजनीतिक कार्यक्रमों में जुट रही भीड़ कोरोना संक्रमण के खतरे से मुक्त है?
एक तरफ सरकार तीसरी लहर के खतरे के मद्देनज़र आम आदमी को हर पल कोविड प्रोटोकॉल का पाठ पढ़ाने से नहीं चूक रही। इसके लिए बाक़ायदा टीवी, अखबार, डिजिटल मीडिया से लेकर हर मंच पर लोगों को जागरूक करने पर सरकार प्रचार-प्रसार के नाम पर करोड़ों रु बहा रही। लेकिन जब बात सत्ताधारी दल और विपक्ष के चुनाव अभियान और यात्रा-रोड शो निकालने की आती है जब न सत्ताधारी दल और न विपक्षी पीछे रहते हैं। कहने को ऐसे तमाम पॉलिटिकल आयोजनों में कोविड प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करने का दम तमाम दल जरूर भरते हैं लेकिन भीड़ और भाग-दौड़ की जो तस्वीरें आती हैं वह काफी हैं असल कहानी बयां करने के लिए।
3 सितंबर से जहां कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विधानसभा क्षेत्र से ‘परिवर्तन यात्रा’ का आगाज कर चुनावी ताल ठोकी है। तो वहीं बीजेपी ने शुक्रवार को श्रीनगर गढ़वाल के रामलीला मैदान में जन आशीर्वाद रैली के ज़रिए चुनावी शंखनाद कर दिया है।।कांग्रेस परिवर्तन यात्रा के पहले चरण में 13 विधानसभा क्षेत्रों में पहुँचेगी और धामी सरकार और बीजेपी को एक्सपोज करने का काम करेगी। कांग्रेस परिवर्तन यात्रा पूरे प्रदेश में निकालेगी और अनेक सभाएँ करेगी जिसमें बड़ी तादाद में लोग जुटेंगे। जबकि बीजेपी विकास कार्यों का ढिंढोरा पीटते हुए जनता का आशीर्वाद मांग रही है। बीजेपी श्रीनगर के बाद 6 सितंबर को अल्मोड़ा मे दूसरी जन आशीर्वाद रैली करेगी।
जाहिर है कोरोना की तीसरी लहर की चुनौती हमारे सामने खड़ी है लेकिन न सत्तापक्ष और न ही विपक्ष कोरोना प्रोटोकॉल के पालन को लेकर संजीदा है। जबकि चारधाम यात्रा शुरू कराने को लेकर सरकार का रुख बेहद कमजोर रहा। इसी का नतीजा है कि चारधाम यात्रा ठप पड़ी पर राजनीतिक यात्राएँ पूरी भीड़-भाड़ के साथ जारी हैं।