देर आये दुरुस्त आये: खट्टर सरकार की ऑनलाइन टीचर्स ट्रांसफर पॉलिसी के मुरीद हुए धनदा, क्या ट्रांसपेरेंट ट्रांसफर्स से पहाड़ चढ़ेंगे मास्साब? 

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  • शिक्षा में सुधार को लेकर हरियाणा के साथ मंथनः डॉ0 धन सिंह रावत
  • शिक्षकों के ऑनलाइन स्थानांतरण एवं नवाचार पर की विस्तृत चर्चा
  • उत्तराखंड में जुलाई माह में एनईपी लागू करने को लेकर साझा की जानकारी
  • चंडीगढ़ स्थित हरियाणा सदन में आयोजित बैठक में दोनों राज्यों के उच्चाधिकारी भी रहे मौजूद

चंडीगढ़/देहरादून: इसे दीये तले अंधेरा नहीं कहेंगे तो और भला क्या कहेंगे! हरियाणा में अपनी ही पार्टी की खट्टर सरकार की ऑनलाइन टीचर्स ट्रांसफर पॉलिसी की तारीफ, जहां विपक्षी दलों की कई राज्य सरकारें तक करती रही हैं, वहीं उत्तराखंड की TSR 1 सरकार से लेकर TSR 2 और धामी सरकार 1.0 में ट्रांसफर एक्ट की खामियों पर विपक्ष के हमले झेले जाते रहे लेकिन बदलाव को लेकर ऐसी किसी नीति के अध्ययन की जहमत नहीं उठाई गई। खैर अब स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा का जिम्मा मिलने के बाद कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत गुजरात से लेकर हरियाणा तक भागदौड़ कर अन्य भाजपाई राज्य सरकारों के कामकाज की पड़ताल कर रहे हैं। 

दरअसल हरियाणा में भाजपा को पहली बार अपने बूते बहुमत मिला तो मुख्यमंत्री बने मनोहर लाल खट्टर और खट्टर ने शिक्षा विभाग में उद्योग बन चुके ट्रांसफर पोस्टिंग पर एक झटके में रोक लगा दी। एक आईटी कंपनी की मदद से शिक्षा विभाग का डेटा बैंक बनाकर ट्रांसफर की नियमावली नए सिरे से बनाई गई। ट्रांसफर किसका कहाँ होगा, कब होगा और किसे किस चीज का कितना वेटेज व अंक मिलेंगे सबको पारदर्शी तरीके से सार्वजनिक कर दिया गया। इसी के साथ ट्रांसफर उद्योग एक झटके में खत्म हो गया और हर साल तय नियमों-अंकों के लिहाज से एक बटन दबाकर ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए जाते हैं। 

अब ट्रांसफर एक्ट के बावजूद दुर्गम और सुगम का विवाद उत्तराखंड में खत्म नहीं हो सका है। लेकिन देर से ही सही शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत की आंखें तो खुली। सोमवार को शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने हरियाणा सरकार के शिक्षा मंत्री और अफसरों के साथ आईडिया एक्सचेंज किया। विद्यालयी शिक्षा के स्तर में सुधार लाने को लेकर हरियाणा एवं उत्तराखंड के शिक्षा मंत्रियों के बीच मैराथन बैठक हुई। दोनों राज्यों ने शिक्षा के क्षेत्र में किये गये कार्यों को एक-दूसरे से साझा किया। हरिणाया द्वारा शिक्षकों के ऑनलाइन स्थानांतरण एवं छात्रों के ऑनलाइन प्रवेश सहित नवाचार का प्रस्तुतिकरण दिया गया जबकि उत्तराखंड की ओर से शिक्षा के क्षेत्र में किये गये कार्यों एवं माह जुलाई में NEP-2020 लागू किये जाने की जानकारी साझा की गई। 

सूबे के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि स्कूलों में शिक्षा के स्तर में गुणात्मक सुधार, एनईपी का क्रियान्वयन एवं नवाचार को लेकर आज हरियाणा सदन में हरियाणा के शिक्षा मंत्री चौधरी कंवरपाल एवं विभागीय अधिकारियों के साथ लम्बी चर्चा की। डॉ0 रावत ने बताया कि दोनों राज्यों ने शिक्षा के क्षेत्र में किये गये कार्यों को एक-दूसरे से साझा कर अपने अनुभव बांटे। उन्होंने बताया कि हरियाणा के अधिकारियों ने शिक्षकों के ऑनलाइन स्थानांतरण एवं विद्यार्थियों के ऑनलाइन प्रवेश को लेकर प्रस्तुतिकरण दिया।

डॉ0 रावत ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा शिक्षकों के पारदर्शी  स्थानांतरण के लिये ऑनलाइन व्यवस्था अपनाई है। इस व्यवस्था से वहां के लगभग 93 फीसदी शिक्षक खुश हैं। ऐसे ही स्कूलों में छात्र-छात्राओं के प्रवेश भी ऑनलाइन माध्यम से किये जाते हैं, जिससे अभिभावकों को अपने बच्चों के एडमिशन कराने में अनावश्यक दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता है। डॉ0 रावत ने बताया कि उत्तराखंड में गुणात्मक शिक्षा के लिये राज्य सरकार द्वारा कई कदम उठाये गये हैं।

उन्होंने बताया कि एनईपी-2020 के क्रियान्वयन को लेकर उत्तराखंड में युद्ध स्तर पर काम चल रहा है। जुलाई माह में राज्य में नई शिक्षा नीति को लागू कर दी जायेगी, इसी के साथ ही उत्तराखंड एनईपी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जायेगा। उन्होंने कहा कि एनईपी को सर्वप्रथम प्री-प्राइमरी एवं उच्च शिक्षा के अंतर्गत  प्रथम सेमेस्टर में लागू किया जायेगा। 

बैठक में हरियाणा के शिक्षा मंत्री चौधरी कंवर पाल, उत्तराखंड के शिक्षा सचिव रविनाथ रमन, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी, हरियाणा के प्राथमिक शिक्षा निदेशक असंज सिंह, डिप्टी डायरेक्टर माध्यमिक शिक्षा सुरेन्द्र बांगड सहित हरियाणा शिक्षा विभाग के अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।


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