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ऑपरेशन सिलक्यारा सफल, सीएम धामी ने कहा- चेहरों पर लौटी खुशी ही मेरा इगास बग्वाल, पीएम मोदी ने कहा-आपके जज्बे को सलाम: फिर सियासी चुनौतियों की सुरंग के पार निकले पुष्कर 

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Operation Silkyara: सत्रह दिनों की कठिन साधना, संघर्ष और आस्था-विज्ञान की जुगलबंदी का परिणाम ये रहा कि बाबा बौख नाग ने सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, केंद्र-उत्तराखंड सरकार की मेहनत मशक्कत और टनलिंग एक्सपर्ट्स के प्रयास और श्रमिकों के साहस को सफलता दिला दी है। सिलक्यारा सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है और इस मौके पर उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी से लेकर केंद्रीय राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने उपस्थित रहकर पखवाड़े से भी अधिक वक्त से खुली हवा में सांस लेने से महरूम रह गए मजदूरों का स्वागत कर गले लगाकर हिम्मत हौसलाअफजाई की ताकि वे सभी आगे के जीवन में इस दु:स्वप्न से उबर सकें।

इस मौके पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बचाव दल की पूरी टीम को बधाई दी और कहा कि श्रमिकों और उनके परिजनों के चेहरे की खुशी ही उनका ईगास-बग्वाल है। जाहिर है श्रमिकों और उनके परिजनों के लिए तो यह लम्हा खुशियों के नए दीप जलाने सरीखा है ही, युवा सीएम धामी के लिए भी सत्रह दिनों की यह कठिन साधना सियासी चुनौतियों की अंधेरी सुरंग के पार रोशनी के टिमटिमाते दीये देख पाने के हौसले का सबूत है। इन सत्रह दिनों में मुख्यमंत्री के नाते पुष्कर सिंह धामी ने चाहे देहरादून और उत्तरकाशी की दूरी नाप देना रहा हो या फिर फंसे श्रमिकों और उनके परिजनों को ढांढस बंधाने की बात रही हो, अपनी तरफ से कोर कसर नहीं छोड़ी। इतना ही नहीं जब देश-प्रदेश ही नहीं सारी दुनिया की निगाहें टनल में फंसे श्रमिकों की सलामती को लेकर उत्तरकाशी की तरफ थी तो सीएम धामी ने न केवल पीएमओ के अफसरों बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी अहसास कराया कि वे श्रमिकों की सलामती में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे। जाहिर है आपदा के ऐसे हालात में पीएम मोदी की नजर सबसे अधिक मुख्यमंत्री और उनकी टीम पर ही लगी होती है। लेकिन उत्तरकाशी की चुनौती के पार जाकर सीएम धामी पीएम मोदी को नजरों में नए सिरे से अपने नंबर बढ़ाने में कामयाब रहे हैं।

दरअसल, सीएम धामी बखूबी जानते हैं कि आपदा जैसी किसी भी चुनौतीपूर्ण स्थिति परिस्थिति में ही मुख्यमंत्री को कठिन परीक्षा से गुजरना होता है और वह भी जब दिल्ली में एग्जामिनर के तौर पर छवि प्रधानमत्री मोदी की जेहन में उबारती हो। सहज कल्पना की जा सकती है। फिर उत्तराखंड में तो आपदा प्राकृतिक रही हो या मानव या व्यवस्था निर्मित गाज तात्कालीन सत्ता प्रतिष्ठान और मुख्यमंत्री पर गिरते देर नहीं लगती है। जून 2013 केदारनाथ आपदा में अपनी कुर्सी गंवा देने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा इसके जीते जागते उदाहरण मौजूद हैं ही। सीएम पुष्कर सिंह धामी को ऐसे समय जब ढाई लाख करोड़ के निवेश लक्ष्य वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट आयोजन में जुटे रहना था, उत्तरकाशी की इस आपदा ने पिछले सत्रह दिनों तक उनकी नींद उड़ाए रखी है। बहरहाल, बौख नाग देवता ने  उनको आज अपना आशीर्वाद दे दिया है और अब वे मिशन इन्वेस्टर समिट पर पूरी शिद्दत के साथ फिर से लग सकते हैं। उन्होंने लोक देवता का आभार प्रकट करते कहा भी है कि उनको भरोसा था कि लोक देवता अभियान को सफल जरूर बनाएंगे। 

मुख्यमंत्री ने कहा है कि बचाव दल की तत्परता, टेक्नोलॉजी का सहयोग, अंदर फंसे श्रमिक बंधुओं की जीवटता, प्रधानमंत्री द्वारा की जा रही पल- पल निगरानी और बौख नाग देवता की कृपा से आज यह अभियान सफल हुआ है।

सिलकयारा टनल में फंसे 41 श्रमिकों के सकुशल बाहर निकलने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अभियान में जुटे समस्त बचाव दल को अपनी शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा की श्रमिकों और उनके परिजनों के चेहरों की खुशी ही मेरे लिए इगास बग्वाल है। 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बचाव दल की तत्परता, टेक्नोलॉजी के सहयोग, सुरंग के अंदर फंसे श्रमिक बंधुओं की जीवटता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की जा रही पल- पल निगरानी और बौखनाग देवता की कृपा से यह अभियान सफल हुआ। 

मुख्यमंत्री ने जरुरी होने पर श्रमिकों को उच्च कोटि की चिकित्सा सुविधा देने के उन्होंने आदेश दिए हैं। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन मेरे लिए बड़ी खुशी का दिन है। जितनी प्रसन्नता श्रमिक बंधुओं और उनके परिजनों को है, उतनी ही प्रसन्नता आज मुझे भी हो रही है। उन्होंने कहा कि बचाव अभियान से जुड़े एक-एक सदस्य का मैं हृदय से आभार प्रकट करता हूं। जिन्होंने देवदूत बनकर इस अभियान को सफल बनाया। उन्होंने कहा कि सही मायनों में हमें आज ईगास पर्व की खुशी मिली है। उन्होंने कहा कि भगवान बौख नाग देवता पर हमें विश्वास था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व स्तरीय टेक्नोलॉजी और विशेषज्ञ इस अभियान में लगे थे। प्रधानमंत्री जी ने पल-पल इस अभियान की निगरानी की। उनके मार्गदर्शन में बेहतरीन समन्वय ने असंभव को संभव में बदला। उन्होंने अभियान से जुड़े एक-एक सदस्य के प्रति भी आभार प्रकट किया।

मिशन सिलक्यारा हुआ सफल

17वें दिन सुरंग से सकुशल बाहर आए सभी 41 श्रमिक

रेस्क्यू में जुटे थे राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियों के साथ ही सेना, विभिन्न संगठन और विश्व के नामी टनल विशेषज्ञ

पीएम मोदी के सशक्त नेतृत्व एवं सीएम धामी के दृढ़ संकल्प और प्रतिबद्धता में डबल इंजन सरकार को मिली बड़ी सफलता

मंगलवार को पूरे देश के लिए मंगलमयी खबर सामने आई है। डबल इंजन सरकार के सशक्त नेतृत्व और रेस्क्यू टीमों के अथक परिश्रम से ऑपरेशन सिलक्यारा फतह कर लिया गया है। सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमिक 17वें दिन सकुशल बाहर आ गए हैं।

उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री हाईवे पर सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में 12 नवंबर को भूधंसाव होने से 41 श्रमिक सुरंग में ही फंस गए थे। घटना की सूचना मिलते ही बचाव अभियान शुरू कर दिया गया। देहरादून से पहुंचे एसडीआरएफ के जवान स्थानीय पुलिस और जिला प्रशासन के साथ तत्काल रेस्क्यू में जुट गए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौके का जायजा लेने पहुंचे। सीएम के दौरे के साथ ही रेस्क्यू अभियान जोर पकड़ गया। राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियां रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल हो गईं।

सुरंग में मलबा हटाने के लिए सबसे पहले जेसीबी लगाई गई,  लेकिन ऊपर से मलबा गिरने पर सफलता नहीं मिल पाई तो देहरादून से ऑगर मशीन मंगाकर सुरंग में ड्रिलिंग शुरू की गई। 

ऑगर मशीन जवाब दे गई। फिर दिल्ली से अमेरिकन ऑगर मशीन मौके पर पहुंचाई गई। इसके लिए वायुसेना के हरक्यूलिस विमानों की मदद ली गई। इन विमानों ने मशीन के पुर्जों को चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर पहुंचाया और यहां से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर सिलक्यारा पहुंचाया गया।

सुरंग में लगभग 50 मीटर ड्रिलिंग के बाद सरिया सामने आने के कारण इस मशीन में भी खराबी आ गई। फिर हैदराबाद से प्लाज्मा कटर मंगाया गया। कटर से ऑगर को काटने के बाद 16वें दिन मैनुअल ड्रिलिंग शुरू की गई और आज 17वें दिन जिंदगी का पाइप श्रमिकों तक पहुंचा दिया गया। यही नहीं सरकार तीन अन्य मोर्चों पर भी काम कर रही थी। इसमें वर्टिकल ड्रिलिंग का काम भी 50 मीटर तक पहुंच चुका था।

रेस्क्यू टीमों को सैल्यूट

राज्य और केंद्र सरकार की सभी एजेंसियां, अधिकारी और कर्मचारी आज 17वें दिन तक पूरी तन्मयता और मनोयोग से रेस्क्यू में जुटी रही। मुख्यमंत्री धामी निरंतर स्थलीय निरीक्षण करने साथ ही रेस्क्यू टीमों की हौसला-अफजाई करते रहे। इसी का फल रहा है कि आज यह मिशन सफल हुआ।

रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ, आरवीएनएल, एसजेवीएनएल, ओएनजीसी, आईटीबीपी, एनएचएआईडीसीएल, टीएचडीसी, उत्तराखंड राज्य शासन, जिला प्रशासन, भारतीय थल सेना, वायुसेना समेत तमाम संगठनों, अधिकारियों और कर्मचारियों की अहम भूमिका रही।

‘आस्था’ और ‘विज्ञान’ से अंजाम तक पहुंचा ‘मिशन सिलक्यारा’

सिलक्यारा टनल में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने का रेस्क्यू, विज्ञान और भगवान दोनों की बदौलत सफल हो पाया। कहीं न कहीं इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी देखने को मिला, जिससे एक आस बंधी कि सब कुछ ठीक होगा।

दरअसल, टनल में फंसे श्रमिकों का तो ईश्वर पर अटल विश्वास था ही बचाव अभियान दल ने भी हर रोज देव आराधना के बाद ही रेस्क्यू की शुरुआत की। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और ‘इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन’ के अध्यक्ष अर्नोल्ड डिक्स भी टनल के मुहाने पर बनाए गए बौखनाग मंदिर में सिर झुकाकर श्रमिकों को सकुशल वापसी के लिए ईश्वर से आशीर्वाद मांगा।

उत्तरकाशी में हमारे श्रमिक भाइयों के रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता हर किसी को भावुक कर देने वाली है। 

टनल में जो साथी फंसे हुए थे, उनसे मैं कहना चाहता हूं कि आपका साहस और धैर्य हर किसी को प्रेरित कर रहा है। मैं आप सभी की कुशलता और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।  

यह अत्यंत संतोष की बात है कि लंबे इंतजार के बाद अब हमारे ये साथी अपने प्रियजनों से मिलेंगे। इन सभी के परिजनों ने भी इस चुनौतीपूर्ण समय में जिस संयम और साहस का परिचय दिया है, उसकी जितनी भी सराहना की जाए वो कम है। 

मैं इस बचाव अभियान से जुड़े सभी लोगों के जज्बे को भी सलाम करता हूं। उनकी बहादुरी और संकल्प-शक्ति ने हमारे श्रमिक भाइयों को नया जीवन दिया है। इस मिशन में शामिल हर किसी ने मानवता और टीम वर्क की एक अद्भुत मिसाल कायम की है।

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