
Uttarakhand News: उत्तराखंड में एक के बाद एक भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक और नकल माफिया के साए की सीबीआई जांच की मांग को लेकर देहरादून के गांधी पार्क के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे बेरोजगार युवाओं पर पुलिस लाठीचार्ज को लेकर अब नए सिरे से सियासी बवाल मच गया है। जहां गढ़वाल कमिश्नर द्वारा पुलिस लाठीचार्ज को सही ठहराने के बाद जहां बेरोजगार युवाओं में आक्रोश दिख रहा तो सरकार राहत की सांस ले रही। वहीं अब इस मुद्दे पर कांग्रेस भी दंगल में कूद पड़ी है।
उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने गढ़वाल कमिश्नर की रिपोर्ट को लीपापोती और पुलिसिया कार्रवाई पर परदा डालने की कोशिश करार दिया है। बॉबी पंवार ने स्पष्ट आरोप लगाया है कि आठ और नौ फरवरी को पुलिस एक्शन का आदेश उच्च स्तर से किसने दिया था इसकी जांच होनी चाहिए। साथ ही पुलिस ने टारगेट कर गलत तरीके से डंडे बरसाए जिसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
वहीं, अब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि नौ फरवरी के पुलिस लाठीचार्ज और उसके पहले आठ फरवरी की रात और बाद में घटित घटनाओं को लेकर जांच अधिकारी की रिपोर्ट पूर्णतः हास्यास्पद है। हरदा ने कहा कि जांच के आधार पर एसएसआई से लेकर एलआईयू के छोटे अधिकारियों को स्थानांतरित करने की अनुशंसा की गई है। अर्थात उन्हें घटनाक्रम के लिए किसी न किसी रूप में दोषी माना गया है!
हरदा ने कहा है कि यदि इस जांच रिपोर्ट और उसके निष्कर्ष का तथ्यात्मक विश्लेषण किया जाए तो एक बात सुनिश्चित तौर पर कही जा सकती है कि पहले दिन-रात और दूसरे दिन भर की अराजकता के लिए कुछ ही लोग बहुत नीचे स्तर के अधिकारी ही जिम्मेदार थे। अर्थात इन अधिकारियों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से या तो कोई निर्देश लिया नहीं या उनके निर्देश की पूर्णतः अवहेलना की, तो इससे जाने-अनजाने में जांच अधिकारी ने यह इंगित कर दिया है कि पहले दिन की रात और दूसरे दिन, राज्य का पुलिस तंत्र पूरी तरीके से निष्प्रभावी था।
रावत ने कहा है कि कुछ छोटे अधिकारियों को इंगित करने और उनके लिए कुछ दंड सुझाने का अर्थ यह है कि उन्होंने सारे निर्णय उस 2 दिन केवल अपने स्तर से लिए और वरिष्ठ अधिकारी या तो उस दिन कहीं और अंतरिक्ष में विचलन कर रहे थे या पूर्णतः निष्क्रिय थे या सुसुकता अवस्था में थे!!
