कोरोना को लेकर न मुँह छिपाने से बात बनेगी न एक दूसरे के सिर ठीकरा फोड़ने से सच बदलेगा! कम से कम विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO की ताजा रिपोर्ट यही कहती है। बुधवार को जारी हुई WHO की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कोरोना संक्रमण के विस्तार की संभावित वजहों में चुनाव और कुंभ शामिल हैं। हालॉकि WHO ने सीधे-सीधे चुनाव और कुंभ का नाम नहीं लिया लेकिन कहा कि कई धार्मिक और राजनीतिक गतिविधियों-आयोजनों में भारी भीड़ का जुटना भी संक्रमण फैलाने वाली वजहों में शामिल है।
WHO का कहना है कि भारत में कोरोना की B.1.617 वैरिएंट पहली बार अक्तूबर 2020 में सामने आया था। कोरोना से मौत के मामलों में बढ़ोतरी के पीछे इसी और B.1.1.7 जैसे वैरिएंट को जोड़कर देखा जा रहा है। WHO ने अपनी वीकली रिपोर्ट में कहा है कि इन्हीं वैरिएंट्स के चलते भारत में कोरोना मामले बढ़े हैं।
WHO रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले हफ़्ते विश्व में जितने कोरोना केस आए उनमें आधे अकेले भारत के थे। इस दौरान 55 लाख नए कोरोना मामले आए और 90 हज़ार मौतें हुई जिसमें 50 फीसदी नए केस भारत और 30 फ़ीसदी कोरोना मरीज़ों की मौतें भारत में हुई।अगर साउथ ईस्ट एशिया की बात करें तो 95 फ़ीसदी नए कोरोना मरीज़ और 93 फ़ीसदी मौतें भारत में हुई।
ज़ाहिर है चार राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश के चुनाव का जितना लंबा कार्यक्रम बना और रैलियों में हज़ारों-लाखों की भीड़ जुटी उसने कोरोना स्प्रेडर का काम किया और चुनाव के दौरान और बाद के आँकड़े इसकी तसदीक़ कर रहे हैं। इसी तरह उत्तराखंड में कुंभ में,बकौल सरकार 91 लाख लोगों में डुबकी लगाई, ने कोरोना संक्रमण को बढ़ाने का काम किया। यही नहीं उत्तराखंड सरकार ने पूर्णागिरी मेले में हज़ारों की भीड़ जुटने दी। हालाँकि कुंभ के बाद फैले संक्रमण और हाईकोर्ट की लगातार लग रही फटकार का नतीजा है कि अब उत्तराखंड सरकार को कैंची धाम में होने वाला वार्षिक मेला रद्द करना पड़ा है। ज़ाहिर है WHO की रिपोर्ट से एक बार फिर केन्द्र और राज्य सरकारों के स्तर पर कोरोना को लेकर बरती गई लापरवाही उजागर हुई है।