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आपके घर की बत्ती गुल होने में अब 48 घंटे से भी कम वक्त बचा: विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की 6 से अनिश्चितकालीन हड़ताल, सीएम धामी व ऊर्जा मंत्री हरक से दखल देकर सालों से लंबित माँगों पर अमल की माँग

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देहरादून: आज 4 अक्टूबर को विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा, उत्तराखंड की प्रेस वार्ता प्रेस क्लब देहरादून में आयोजित की गई | इस सभा में मोर्चा के संयोजक इंसारुल हक, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लाइज तथा ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन के अध्यक्ष इंजीनियर शैलेंद्र दुबे, उत्तराखंड अधिकारी शिक्षक समन्वय समिति के अध्यक्ष अरुण पांडे, शक्ति प्रसाद भट्ट, उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक महासंघ के कार्यवाहक अध्यक्ष दीपक जोशी द्वारा संबोधित किया गया। आज की प्रेस वार्ता को इंजीनियर शैलेंद्र दुबे तथा मोर्चा सह संयोजक राकेश शर्मा, पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश प्रसाद पंत ,पावर इंजीनियर एसोसिएशन के महामंत्री  अमित रंजन, विद्युत डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज सैनी , ऊर्जा कामगार संगठन के कार्यवाहक अध्यक्ष दीपक बेनीवाल,विद्युत संविदा संगठन के अध्यक्ष विनोद कवि, उत्तरांचल बिजली कर्मचारी संघ के प्रमुख महामंत्री प्रदीप कंसल, विद्युत ऊर्जा आरक्षित वर्ग एसोसिएशन  के अध्यक्ष नत्थू सिंह रवि, प्राविधिक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुनील मोगा, पावर लेखा संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र ध्यानी,  प्रमोद कुमार, सोहन लाल शर्मा ,भानु प्रकाश जोशीने वर्तमान हड़ताल की परिस्थितियों तथा कारण के बारे में अवगत कराया गया|


आज की प्रेस वार्ता में उत्तराखंड अधिकारी कार्मिक शिक्षक  महासंघ के कार्यवाहक अध्यक्ष दीपक जोशी ने स्पष्ट समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि किसी भी कर्मचारी का उत्पीड़न होने की दशा में महासंघ आंदोलन पर उतर जाएगा।  सभा में उपस्थित अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के अध्यक्ष अरुण पांडे, शक्ति प्रसाद भट्ट द्वारा भी 6 अक्टूबर से होने वाली हड़ताल का पूर्ण समर्थन किया गया। 


उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग डिप्लोमा इंजीनियर संघ के द्वारा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नाम पत्र जारी कर हड़ताल का समर्थन तथा अपने अभियंताओं की ड्यूटी लगाने का विरोध व्यक्त किया गया। उत्तरांचल पेयजल निगम डिप्लोमा इंजीनियर संघ के द्वारा भी उनके अभियंताओं की ड्यूटी लगाने का विरोध किया गया। उत्तरांचल इंजीनियर्स फेडरेशन के द्वारा भी इस विषय में पत्र जारी किया गया है तथा अप्रशिक्षित अभियंताओं को विद्युत विभाग में तैनात करने पर विरोध करने का निर्णय लिया गया है।पदाधिकारियों द्वारा मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तथा ऊर्जा मंत्री डॉ हरक सिंह रावत से अपील की गई कि ऊर्जा कार्मिकों के साथ वर्ष 2017 से अब तक हुए सभी समझौतों के सम्मान तथा इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के तहत बिजली कर्मचारियों की सेवा करते कमतर न किए जाने के प्रावधानों के तहत 9-14 -19 वर्ष में एसीपी की व्यवस्था तत्काल फिर से प्रारंभ की जाए। मोर्चा द्वारा मीडिया के माध्यम से बताया गया कि ऊर्जा निगमों के प्रबंधन द्वारा गलत बयानी की जा रही है। कर्मचारियों की इन 14 सूत्रीय समस्याओं में कोई भी नई मांग नहीं है। यह वही सुविधाएं हैं जो पूर्ववर्ती उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद के समय से विद्युत अधिनियम 2003 रिफॉर्म एक्ट 1999 तथा अन्य समझौतों के तहत लगातार पांचवें तथा छठे वेतन आयोग में भी वर्ष 2017 तक मिलती रही हैं तथा इन को लागू करने पर मात्र लगभग 93 लाख प्रति माह का खर्चा तीनों निगमों पर आता है|

प्रेस वार्ता मे इंजीनियर शैलेंद्र दुबे साहब द्वारा अवगत कराया गया पूरे देश के 15 लाख बिजली कर्मचारी उत्तराखंड के कर्मचारियों के समर्थन में खड़े हैं तथा जिन राज्यों को प्रशासन द्वारा कर्मचारियों को ड्यूटी हेतु भेजने के पत्र भेजे गए थे, उनमें उत्तर प्रदेश, हिमाचल तथा हरियाणा सहित अन्य राज्यों की कर्मचारी फेडरेशन ने उत्तराखंड में ड्यूटी करने के लिए आने से इंकार कर दिया है| अरबों-खरबों रुपए के पावर प्लांट संयंत्र टरबाइन एवं अन्य उपकरण, जो राष्ट्र की संपत्ति है उन पर अप्रशिक्षित कार्मिकों तथा ठेकेदारों से कर्मचारी लाकर कार्य कराना उनकी जान को जोखिम में डालना तथा राष्ट्रीय संपत्ति को रिस्क में लाने वाली स्थिति है। शैलेंद्र दुबे तथा मोर्चा संयोजक ने पुन: मुख्यमंत्री तथा मंत्री डॉ हरक सिंह रावत से प्रभावी हस्तक्षेप करते हुए उत्तराखंड को बिजली हड़ताल से बचाने की ओर बढ़ने का निवेदन किया है। तथा यह स्पष्ट किया बिजली कर्मचारियों का हड़ताल करना कोई मकसद नहीं है, उनका मकसद सरकार का ध्यान अपनी उन जायज समस्याओं की ओर दिलाना है, जो वर्ष 2017 से निरंतर लंबित रखी जा रही हैं। मोर्चा द्वारा अपील की गई कि बिजली कर्मचारियों के धैर्य की परीक्षा ना ली जाए। 


मोर्चा द्वारा स्पष्ट कर दिया गया कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान होने तक आंदोलन यथावत जारी रहेगा और यह भी स्पष्ट किया गया किसी भी कर्मचारी का उत्पीड़न अथवा गिरफ्तारी की स्थिति में तत्काल प्रभाव से हड़ताल प्रारंभ हो जाएगी। 

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