
ADDA Analysis: झगड़ा देहरादून से दिल्ली तक पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत के धामी सरकार पर बयानबाजी के बाद सिर्फ सत्ताधारी भाजपा में ही नहीं छिड़ा हुआ है बल्कि उससे कहीं तीखा कलह कुरुक्षेत्र विपक्षी कांग्रेस में भी लड़ा जा रहा है। अलबत्ता भाजपा में तो आलाकमान का हंटर इतना सख्त चलता है कि संभवतया दिल्ली की फटकार के बाद शायद ही आगे आसानी से तीरथ त्रिवेंद्र अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करने का साहस जुटा पाएं। लेकिन कांग्रेस में पहाड़ पॉलिटिक्स के क्षत्रप कहां किसी आलाकमान, प्रभारी या प्रदेश अध्यक्ष का लोड लेने की जहमत उठाते हैं।
कांग्रेस में ताजा हमलावर तेवर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने अपनाए हैं। विधानसभा चुनाव में हार के बाद जिस तरह से प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की रेस में प्रीतम सिंह करन माहरा और यशपाल आर्य के हाथों शिकस्त खा बैठे उसने चकराता के इस चाणक्य को बगावती तेवर दिखाने को मजबूर कर दिया गया था। यही वजह रही कि प्रीतम ने इस सबके लिए प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव को असल जिम्मेदार मानते हुए उनके खिलाफ मोर्चा खोला और पार्टी कार्यक्रमों से किनारा कर लिया। लेकिन अब प्रीतम सिंह फिर राजनीतिक रंगत में लौटते नजर आ रहे हैं।
प्रीतम सिंह ने 21 नवंबर को सचिवालय कूच का एलान कर सत्ताधारी दल भाजपा से अधिक अपनी ही पार्टी के क्षत्रपों प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और पूर्व सीएम हरीश रावत को तो चौंका ही दिया, संदेश प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव यानी दिल्ली दरबार तक भी भेज दिया है।
कहने को प्रीतम सिंह UKSSSC पेपर लीक स्कैम, विधानसभा बैकडोर भर्ती घोटाला और अंकिता भंडारी हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग से लेकर दिल्ली के छावला गैंगरेप हत्याकांड की शिकार पहाड़ की बेटी किरन नेगी को न्याय दिलाने के लिए सीबीआई जांच, महंगाई, बेरोजगारी, बदहाल कानून व्यवस्था और हरिद्वार जिला पंचायत चुनाव में धामी सरकार पर धांधली के आरोपों को लेकर सचिवालय कूच कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस इनसाइडर्स और राजनीतिक जानकार भी मानते हैं कि ‘आहत’ प्रीतम ‘शक्ति प्रदर्शन’ कर देहरादून से दिल्ली तक मैसेज देकर दिखाना चाह रहे कि ‘कौन कितने पानी में’ हैं।
इसीलिए शायद सोशल मीडिया में चमक रहे सचिवालय कूच के प्रीतम के पोस्टरों में न प्रभारी देवेंद्र यादव, पूर्व सीएम हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और न नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ही नजर आ रहे हैं।
इसे लेकर कांग्रेसी नेताओं में भी कोई दुविधा नहीं कि बात अगर देहरादून में ‘शो ऑफ स्ट्रेंथ’ दिखाने की आएगी तो चकराता के चाणक्य प्रीतम के मुकाबले दूसरा कोई क्षत्रप टिकता नहीं है। चकराता से लेकर देहरादून तक प्रीतम के अपने समर्थकों की अच्छी खासी तादाद है, ऊपर से देहरादून जिले और टिहरी लोकसभा सीट में कई पूर्व विधायक और नेता भी प्रीतम के साथ खड़े हैं। प्रीतम के अगल बगल इन नेताओं को देखा भी जा सकता है।
बड़ा सवाल है कि फिर प्रीतम सिंह ये अपना शक्ति प्रदर्शन किसको दिखाने को कर रहे हैं। अगर सिर्फ और सिर्फ धामी सरकार को कटघरे में खड़ा करना होता तो सही समय ठीक विधानसभा सत्र के दौरान घेराव और प्रदर्शन का रहता,तब पूरा विधायकों का अमला भी दून में ही होता। शायद प्रीतम अपना सोलो शो रखना चाह रहे ताकि भीड़ उनके समर्थकों की हो और मंच से संदेश भी वही दिल्ली तक जाए जिसकी स्क्रिप्ट उन्होंने खुद तैयार की है।
तो क्या साफ साफ समझा जाए कि पूर्व प्रदेश प्रीतम सिंह प्रभारी देवेंद्र यादव और प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा को जवाब देना चाह रहे हैं? क्या प्रीतम सिंह इस बात से आहत हैं कि उनको ठीक चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया गया, नेता प्रतिपक्ष बनाया गया और जब चुनाव में कांग्रेस सत्ता से दूर रह गई तो उनको झटका देते हुए प्रभारी देवेंद्र यादव की रिपोर्ट पर अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष की रेस से उन्हें बाहर फेंक दिया गया! क्या प्रीतम सिंह को यह अहसास हुआ है कि प्रभारी देवेंद्र यादव कहने भर को उनके साथ जरूर थे लेकिन असल में वे करन माहरा के नाम की एक अलग स्क्रिप्ट तैयार किए बैठे थे?
जाहिर है इन सवालों के असल जवाब प्रभारी से लेकर हरदा, प्रीतम, आर्य और माहरा ही जानें लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रीतम सिंह खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं और अब पलटवार के मूड में हैं। तो क्या प्रीतम उस समीकरण और संभावना को लेकर अभी से वर्कआउट करना शुरू कर चुके जिसके तहत लोकसभा चुनाव यानी चौबीस की चुनौती के बाद नए सिरे से बदलाव और संभावनाओं के दरवाजे खुलेंगे!
तो क्या प्रीतम उस रास्ते निकल पड़े हैं जहां सफर में क्या मिला और क्या छूटा इसका आकलन 2024 के नतीजों के बाद उत्पन्न होने वाली राजनीतिक परिस्थितियों के दौरान ही होगा? अगर ऐसा है तो फिर 21 नवम्बर का प्रीतम सिंह का ‘शो ऑफ स्ट्रेंथ’ शुरआत भर है, अभी कई पड़ाव और कई टकराव आने शेष हैं!