- गुरुकुल कांगड़ी ने रचा स्वर्णिम अक्षरों से इतिहास
- सवा सौ साल के इतिहास में बड़ा बदलाव
- कन्या गुरुकुल परिसर देहरादून की प्रो हेमलता बनीं गुरुकुल कांगड़ी (समविश्वविद्यालय) की प्रथम महिला कुलपति
Haridwar News: उत्तराखण्ड की सबसे पुरानी और नामी गिरामी शैक्षणिक संस्थाओं में शुमार हरिद्वार स्थित गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय ने शनिवार को दशकों से चले आ रहे एक और अघोषित सोशल बैरियर को तोड़कर आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद के वास्तविक मूल्यों की पुनर्स्थापना करने का भगीरथ प्रयास कर दिखाया है।
आज गुरुकुल काँगड़ी यूनिवर्सिटी ने देहरादून स्थित अपने कन्या गुरुकुल परिसर में सेवारत प्रोफेसर हेमलता के. को सौ वर्ष से भी पुराने उच्च शिक्षा के इस केंद्र में बतौर प्रथम महिला कुलपति की जिम्मेदारी सौंप दी है।
ज्ञात हो कि चार मार्च 1902 को गुरूकुलीय पद्धति से भारतीय प्राच्य और आधुनिक विषयों की शिक्षा प्रदान करने के लिए अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानंद ने गुरुकुल काँगड़ी की स्थापना कर वैदिक शिक्षाओं के अध्ययन की वह नींव रखी जो आज कामयाबी और कीर्तिमानों की एक बुलंद इमारत के रूप में स्थापित है। लेकिन आज इस संस्था ने नये सिरे से ग्लास सीलिंग ब्रेक (Breaking the Glass Ceiling) करते हुए एक नये युग में प्रवेश कर लिया है।
दरअसल, समविश्वविद्यालय को पहली महिला वाइस चांसलर मिलने से पहले ही गुरुकुल काँगड़ी में बदलाव की पटकथा इसी सत्र में लिख दी गई थी जब पहली बार महिला डीन से लेकर विभागाध्यक्ष बनाये गये थे। यह भी पहली बार था जब यूनिवर्सिटी ने वरिष्ठता क्रम को ध्यान में रखकर मानविकी, जीव विज्ञान और प्रबंध अध्ययन संकाय के डीन का दायित्व महिला प्रोफ़ेसरों को दिया गया। साथ ही, गणित एवं सांख्यिकी, हिन्दी, जंतु एवं पर्यावरण और रसायन विभाग के एचओडी महिला प्रोफेसरों को बनाया गया।
दरअसल, इस बड़े बदलाव के पीछे समविश्वविद्यालय के चांसलर सत्यपाल सिंह का बड़ा योगदान है, जो पहले केंद्रीय राज्यमंत्री और सांसद के तौर पर गुरुकुल की नये सिरे से खड़ा करने के अभियान में अपना योगदान देते रहे। आज चांसलर की भूमिका में क़रीब सवा सौ साल पुरानी संस्था में पहली महिला वाइस चांसलर बनवाने में भी उनकी निर्णायक भूमिका रही है।
- वरिष्ठता क्रम के आधार पर प्रो हेमलता को मिला दायित्व
गुरुकुल कांगड़ी (समविश्वविद्यालय) में प्रोफ़ेसर की वरिष्टता क्रम में प्रोफ़ेसर हेमलता के. को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली के नियमानुसार कुलपति बनाया गया है। कार्यवाहक कुलसचिव प्रो० डी०एस० मलिक ने प्रोफ़ेसर हेमलता के. को कुलपति का पदभार ग्रहण कराया है। उन्होंने बताया कि प्रो. हेमलता की नियुक्ति यूजीसी के मानकों के अनुरूप वरिष्ठता क्रम में हुई है और जब तक स्थायी कुलपति की नियुक्ति नही होती है ,तब तक कुलपति पद के सभी दायित्वों का निर्वहन प्रो. हेमलता कुलपति के रूप में करेंगी।
कुलसचिव प्रो डी०एस० मलिक ने बताया की स्वामी श्रद्धानंद की तपस्थली गुरूकुल कांगड़ी (समविश्वविद्यालय) में पहली बार एक महिला को कुलपति का कार्यभार दिया गया है | मूल रूप से दक्षिण भारत के तमिलनाडु प्रांत के मददुरई की रहने वाली प्रो. हेमलता के. ने मददुरई में स्नातक तथा चेन्नई में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल करने के बाद साल 1997 में गुरूकुल कांगड़ी से पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की थी।
प्रो हेमलता देहरादून स्थित 1922 में स्वामी रामदेव द्वारा स्थापित कन्या गुरूकुल परिसर में अंग्रेजी की प्रोफेसर के तौर पर कई दशकों से कार्यरत हैं। इस अवसर पर आई०क्यू०ए०सी० के निदेशक प्रो. विवेक कुमार ने उम्मीद जताई कि कुलपति प्रो. हेमलता भारत सरकार के नियमों व आर्य समाज के सिद्धांतों के अनुरूप गुरूकुल कांगड़ी की तमाम व्यवस्थाओं को अनवरत जारी रखेंगी। उन्होंने बताया कि साल 1983 में अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय ही वे यहां आ गई थीं और तभी से उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में अपना उल्लेखनीय योगदान दे रहीं हैं।
समविश्वविद्यालय के वित्ताधिकारी प्रो देवेन्द्र कुमार गुप्ता ने कहा कि समविश्वविद्यालय में महिला कुलपति बनने से एक सकारात्मक सोच पल्लवित हो रही है। आज समविश्वविद्यालय में महिला उत्थान के लिए प्रो हेमलता के. प्रथम महिला कुलपति बनने से आर्य समाज के द्वारा स्थापित गुरुकुल कांगड़ी (समविश्वविद्यालय) को एक नया आयाम मिला है।
शिक्षक कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष प्रो प्रभात कुमार व् शिक्षकेत्तर कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष रजनीश भारद्वाज और महामंत्री नरेन्द्र मलिक ने प्रो हेमलता के. को कुलपति बनने पर बधाई देते हुए कहा कि आर्य समाज के इतिहास में महिला सशक्तिकरण को मजबूत करने के लिए स्वामी दयानंद सरस्वती ने जगह-जगह पर आर्य समाज की पाठशाला और शिक्षण संस्थान खोले थे।
गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय विभाग के मुख्य अधिष्ठाता डॉ दीनानाथ ने कहा कि आज प्रो हेमलता के. के कुलपति बनने से गुरुकुल जगत में एक नया इतिहास रचा जा रहा है। उनके पदभार ग्रहण करने के साथ गुरूकुल कांगड़ी परिसर में एक नई उर्जा का संचार होगा। उन्होंने भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय का भी आभार व्यक्त किया है।
इस अवसर पर सेवानिवृत्ति प्रो. सुचिता मलिक , प्रो. सुरेखा राणा, प्रो. नमिता जोशी, प्रो. बिंदु अरोरा , डॉ मंजूषा कौशिक, प्रो. एल. पी. पुरोहित, प्रो राकेश कुमार, प्रो नवनीत, प्रो मुकेश कुमार, डॉ चिरंजीव बेनर्जी, डॉ अजय मलिक, डॉ अजेन्द्र, डॉ पंकज कौशिक, डॉ हिमांशु गुप्ता, डॉ. हरेन्द्र, शशिकांत शर्मा, कुलदीप, वीरेन्द्र पटवाल, ओमवीर, हेमंत सिंह नेगी, कुलभूषण शर्मा, डॉ रोशन लाल, अरुण पाल, सुशील रौतेला, संजीव मिश्र, डॉ गौरव सिंह भिंडर आदि अन्य कर्मचारी उपस्थित थे।
प्रो हेमलता की इस उपलब्धि पर कन्या गुरुकुल परिसर देहरादून तथा कन्या गुरुकुल परिसर हरिद्वार में हर्ष व उल्लास का माहौल दिखायी दे रहा है। साथ ही हरिद्वार और देहरादून के कई सामाजिक और शैक्षणिक संगठनों ने गुरुकुल काँगड़ी जैसी प्राचीन संस्था में दिखायी दे रहे इस सकारात्मक और क्रांतिकारी बदलाव पर प्रसन्नता ज़ाहिर की है।