Pure Politics: यों सियासत को शायरी से अदावत बहुत रहती है, अगर वो आईना दिखाने की हिमाक़त कर डाले! वरना वो सियासतदां ही क्या जो अपने दर्द के दरवाज़े खोलने को किसी सुख़नवर की दहलीज़ न हो आए। अपने हरदा भी आजकल ग़म ए सियासत की इसी तासीर को जी रहे हैं और दर्द हद से बढ़ गया तो अज़ीम शायर वसीम बरेलवी तक मदद को पहुँच गए हैं और उनका ये शेर पढ़कर अपने कांग्रेस के पुराने अज़ीज़ों को निशाने पर ले रहे हैं। हालांकि देहरादून से निकले उनके तीरों के निशान रह रहकर रामनगर तक जाकर ठहर जा रहे हैं। यों उससे ऊपर सियासी तीरंदाज़ी का मन अब उनका है भी नहीं, तभी तो पीछे हटते हैं भी तो लालकुआँ से आगे नहीं! खैर उनकी दर्द ए सियासत पर ही रहते हैं आज।
- मशहूर शायर वसीम बरेलवी का एक शेर है-
सारी दुनिया की नज़र में है मिरा अहद-ए-वफ़ा
इक तिरे कहने से क्या मैं बेवफ़ा हो जाऊँगा।
दरअसल हरदा को इस शेर का सहारा इसलिए लेना पड़ा है क्योंकि कांग्रेस का एक धड़ा पूर्व मुख्यमंत्री को सिर्फ इसलिए निशाने पर ले रहा है कि केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के हारते ही हरीश रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सियासी शान में कशीदाकारी करते हुए बस इतना भर कहा था कि मोदी-योगी-धामी नैरेटिव कांग्रेस पर भारी पड़ रहा है लिहाज़ा कांग्रेस के कर्ताधर्ता भी अपना नैरेटिव लेकर कूदें। अब भला कभी उनके बेहद अज़ीज़ और अब धुर विरोधी रणजीत रावत ने बोल दिया कि ये कोई नई बात थोड़े हैं जव हरदा ने कांग्रेसियों का मनोबल तोड़ने और बीजेपी संगठन तथा उनके नेताओं की तारीफ़ में कशीदे पढ़ें हों।
लगे हाथ हरदा के ठीक लोकसभा चुनाव के बीच प्रधानमंत्री मोदी और सांगठनिक बेहतर क्षमता को लेकर बीजेपी की तारीफ़ वाले बयान दिखाये जाने लगे। इसी का नतीजा है कि अब हरदा सफ़ाई दर सफ़ाई पेश कर हलकान हुए जा रहे और विरोधी हैं कि मुस्कुराने और चुटकी लेने से बाज नहीं आ रहे हैं। अब पढ़िए हरदा ने आज क्या कहा हुबहू –
- हरदा दर्द ए वफ़ा कुछ यूँ छलका
मुझ पर एक बहुत संगीन आरोप लगाया जा रहा है कि मैं, कांग्रेस के लोगों का मनोबल तोड़ रहा हूं। मेरे एक #न्यूज_चैनल को दिए गए बयान को लेकर यह सब कुछ कहा जा रहा है। बिना मेरे बयान को देखे, बिना सुने, बिना पढ़े, इस तरीके की टिप्पणी बहुत दर्दनाक है।
- लोगों की सोच पर मुझे दो लाइनें याद आ रही हैं,
“सारी दुनिया वाकिफ है मेरी एह दे वफा से,
एक तेरे कहने से क्या मैं बेवफा हो जाऊंगा”!!
मैंने, #कार्यकर्ताओं का मनोबल तब नहीं टूटने दिया जब विधानसभा के चुनाव से पहले एक क्षेत्र में हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को हराने के लिए लोग मीडिया में भी दहाड़े थे और हर संभव उपाय किए थे ताकि कांग्रेस का उम्मीदवार हार जाए। मैंने कार्यकर्ताओं का मनोबल उस समय भी नहीं गिरने दिया, जब ठीक चुनाव के बीच में मुझे मालूम पड़ा कि हम पार्टी के उम्मीदवारों को दूसरी बार मदद पहुंचाने की स्थिति में नहीं है, मैंने कार्यकर्ताओं का मनोबल उस समय भी नहीं टूटने दिया और अपने को चुनाव में झौंक दिया। जब मुझे मालूम हो गया था कि मुझे षडयंत्रपूर्वक तरीके से #लालकुआं में चुनाव लड़ने के लिए भेजा गया है। कांग्रेस पार्टी से बागी होकर के बने उम्मीदवार को जब लोग बार-बार बकअप कर रहे थे और वैकप कर रहे थे, पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल न गिरे इसलिए इस जहर को भी पिया और संघर्ष में जूझता रहा। कांग्रेस कार्यकर्ता, हरीश रावत और उसके संघर्ष की प्रवृत्ति को अच्छी तरीके से जानते हैं। वह यह जानते हैं कि इस उम्र में उपचुनावों में रात दिन 3-3, 4-4 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़कर क्यों लोगों तक हरीश रावत पहुंच रहा है। मैंने जो बयान दिया है उस बयान के माध्यम से मैंने पार्टी के लोगों का आवाह्न किया है कि आप राष्ट्रीय नरेटिव के साथ स्थानीय नरेटिव भी खड़ा करिए ताकि हम जनता से जुड़े हुए सवालों पर #भाजपा के “बटोगे तो कटोगे” जैसे विभाजनकारी नारों का या नरेटिव का सफलतापूर्वक काट कर सकें। मेरा अनुभव और समझ, दोनों बूढ़ी हैं। यदि किसी के पास #उत्तराखण्डियत से बेहतर सुझाव या नरेटिव है, मैं उसका भी स्वागत करूंगा।
- दो दिन पहले लगाया था चैनल पर ये आरोप
एक #चैनल जो इस समय कांग्रेस विरोध के लिए जाना जाता है। उसने अपनी आदत के अनुसार मेरे एक #बयान को कुछ कट, कुछ पेस्ट कर अपने चैनल में एक #तथाकथित_महाबहस के नाम पर एक चर्चा करवाई है और कुछ कांग्रेस के नेताओं के बयान प्रसारित किये हैं। मुझे उस चैनल की कुटिलता पर आश्चर्य नहीं हुआ, क्योंकि जितनी कांग्रेस विरोधी ताकतें हैं, वह मुझ पर लगातार आक्रामक रहती हैं और मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं कि भाजपा का बॉटम से लेकर शीर्ष तक मुझ पर लगातार आक्रामक रहता है। प्रत्येक चुनाव से पहले भी और बाद में भी मुझ पर प्रहार किये जाते रहे हैं। सोशल मीडिया पर मेरे बयानों को ट्रॉल करने के लिए एक लंबी फौज रखी गई है, कभी-कभी उस फौज में कुछ कांग्रेसी चेहरे भी खड़े हो जाते हैं। चैनल ने तो मेरे बयान को कट और पेस्ट कर हमारी पार्टी पर हमला करने का रास्ता निकाला, मगर उस रास्ते में हमारे कांग्रेस के लोग क्यों फंस रहे हैं? मेरा बयान मेरे #फेसबुक पेज पर मौजूद है। कोई बात असंगत लग रही हो तो मुझसे बात की जा सकती है। मगर पार्टी के लोगों का सार्वजनिक रूप से हमलावर होना उस चैनल के मकसद को ही पूरा करता है। मैं अपने राजनीतिक जीवन के प्रारंभ से ही कांग्रेस पार्टी से जुड़ा हुआ हूं, यह जुड़ाव अब 57वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है। कभी दाएं-बाएं नहीं देखा, चिंता पूर्ण परिस्थितियों में भी न अपना मनोबल गिराया और न कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरने दिया। हारें हुई, मगर प्रत्येक हार के बाद, मैं फिर से कमर कसकर लोगों के बीच में पहुंचा हूं, आज भी हूं। रोज सरकार से 2-4 सवाल पूछता हूं? उनकी कुनीति पर प्रहार करता हूं। सत्ता से फायदा लेना मेरे स्वभाव में नहीं है। राज्य को बने 24 वर्ष हो चुके हैं। कांग्रेस भी सत्ता में रही, मैं स्वयं भी मुख्यमंत्री रहा। मैंने, मेरे परिवार ने, भाइयों ने, नजदीक के रिश्तेदारों ने सरकार से कोई लाइसेंस, परमिट, खान, क्रेशर, ठेका, मकान, दुकान ली हो तो मुझे बताया जाए और मेरी आलोचना की जाए। मैंने सत्ता का उपयोग जनहित में किया। कांग्रेस की पहली सरकार में हिमाचल की तरह भू कानून बने, चकबंदी हो और यहां लग रहे उद्योगों में 70 प्रतिशत स्थान स्थानीय नौजवानों को मिले इसके लिए काम किया। मगर अपने लिए रहने के लिए मकान नहीं मांगा! प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक कमरे में सैकड़ों रातें गुजारी, मगर अपनी सरकार से भी कृपा नहीं ली। 2012 में सरकार बनी तो भी कोई कृपा नहीं ली और अपनी सरकार में ऐसी कृपा लिए जाने के सभी रास्तों को बंद किया। कहीं भी प्रशासन में मेरे परिवार, कुटुंबीजनों या रिश्तेदारों का दखल लोगों ने नहीं देखा होगा। हां, अपने राजनीतिक सहयोगियों को अवश्य अधिकार दिये। आज भी भूतपूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर कोई एक उदाहरण नहीं है कि सरकार से मैं कोई कृपा ले रहा हूं। वर्तमान सरकार जिन सुविधाओं को अन्य भूतपूर्व #मुख्यमंत्रियों को दे रही है, मैं उनकी भी अपेक्षा नहीं कर रहा हूं। यहां तक कि रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट पर माननीय विधायकों को प्राप्त प्रोटोकॉल सुविधा से भी मैं वंचित हूं। मगर मैं खुश हूं। निष्कंटक भाव से विपक्ष धर्म निभा रहा हूं, उस धर्म का निर्वहन करते हुये मैंने श्री #मोदी, श्री #योगी, श्री #धामी के “बटोगे तो कटोगे” जैसे विद्वेष व विभाजनकारी नारे के खिलाफ अपना नरेटिव गढ़ने का और उसके साथ टॉप टू बॉटम खड़े होने का सुझाव दिया है। यह सुझाव मैंने कार्यसमिति की बैठक में भी दिया है और कहा कि न्याय, सामाजिक न्याय, मोहब्बत की दुकान, भारत जोड़ो और लड़की हूं लड़ सकती हूं जैसे नरेटिव भाजपा के बांटने वाले नरेटिव से अधिक प्रभावकारी हैं। हमें इन नरेटिवों के साथ टॉप टू बॉटम संपूर्ण शक्ति से खड़ा होना चाहिए। मैं, उत्तराखंड कांग्रेस से भी पुनः कह रहा हूं कि 2017 में हमारे #उत्तराखंडियत के नरेटिव ने ही 2012 में पार्टी को मिले बेस वोट को बचाया था, 2022 में भी हमारे इसी नरेटिव ने भाजपा की सांप्रदायिक नारे से लड़ते हुए हमारा वोट प्रतिशत बढ़ाया था। यदि हम सब इस #नरेटिव के साथ एकजुट होकर के खड़े हों तो इस नरेटिव जिसमें स्थानीय संस्कृति, परंपराएं, परिवेश व आकांक्षाएं समाहित हैं, उसमें भाजपा के “बटोगे तो कटोगे” के नारे को परास्त करने की क्षमता है।