- राजस्थान में राज्यसभा की तीन सीटों पर कांग्रेस जीतीं है जबकि एक सीट भाजपा के खाते में गई।
- लेकिन भाजपा का समर्थन लेकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में उतरे मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा को हार का मुंह देखना पड़ा है।
- क्रॉस वोटिंग के आरोप में भाजपा ने अपनी धौलपुर विधायक शोभारानी कुशवाहा को निलंबित कर दिया है।
दिल्ली/जयपुर: राज्यसभा की सीटों को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच छिड़े रण में इस बार एस्सेल ग्रुप और zee media के मालिक सुभाष चंद्रा को जोर का झटका धीरे से लग गया है। खुद के साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सियासी चाल से खेला होने पर नतीजे घोषित होने से पहले ही हार मान हथियार डाल मीडिया मुगल चंद्रा जयपुर से दिल्ली लौट गए।
दरअसल राजस्थान से राज्यसभा की चार सीटों को लेकर हुए चुनाव में सूबे की सत्ता पर काबिज कांग्रेस ने तीन सीटों पर उम्मीदवार उतारे तो भाजपा ने एक सीट कन्फर्म मान अपना प्रत्याशी उतारा। लेकिन भाजपा के अतिरिक्त वोटों, कांग्रेस से क्रॉस वोटिंग, छोटे दलों और निर्दलीयों के समर्थन की आस में सुभाष चंद्रा इंडिपेंडेंट कैंडिडेट के तौर पर किस्मत आजमाने राजस्थान के रण में कूद गए।
सुभाष चंद्रा को पक्का यकीन था कि पिछली बार हरियाणा में जिस तरह से निर्दलीयों को साधने के साथ साथ कांग्रेस में स्याही कांड कराकर सेंधमारी से संसद के ऊपरी सदन पहुंचने की तिकड़म सटीक बैठी थी, इस बार भी राजस्थान में उसे दोहरा देंगे। लेकिन धनबल और तमाम तिकड़म के बाद भी सुभाष चंद्रा न तो कांग्रेस में टूट फूट करा पाए और न ही निर्दलीयों को अपने पाले में ला पाए। ज़ाहिर है राजस्थान की सियासत के ‘जादूगर’ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सुभाष चंद्रा के दोबारा राज्यसभा पहुंचने के अरमानों पर पानी फेर दिया।
सुभाष चंद्रा के साथ ऐसे हुआ ‘खेला’
मीडिया मुगल सुभाष चंद्रा कांग्रेस और निर्दलीयों में सेंधमारी तो लगा नहीं पाए उल्टा भाजपा के वोटों में भी क्रॉस वोटिंग की खबर ने रही सही कसर पूरी कर दी। भाजपा की धौलपुर विधायक शोभारानी कुशवाहा ने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी घनश्याम तिवाड़ी की जगह प्रमोद तिवारी को वोट डाल दिया। ज़ाहिर है भाजपा का एक वोट खारिज होने का नुकसान भी सुभाष चंद्रा को ही हुआ। भाजपा के बांसवाड़ा के गढ़ी से विधायक कैलाश चंद मीणा के भी गलत वोट डालने की ख़बर आई। भाजपा की एक और विधायक सिद्धि कुमारी के भी सुभाष चंद्रा को वोट डालने की बजाय घनश्याम तिवारी को वोट डाल दिया जिससे चंद्रा का एक वोट और घट गया।
साफ है सुभाष चंद्रा का पिछली बार हुए हरियाणा राज्यसभा चुनाव की तर्ज पर इस बार राजस्थान के राज्यसभा चुनाव में धनबल और तिकड़म वाला दांव धरा का धरा रह गया है और इसके पीछे पूरी व्यूहरचना रही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की। गहलोत ने फिर दिखा दिया कि उनको यूं ही नहीं राजस्थान पॉलिटक्स का ‘जादूगर’ कहा जाता है।