देहरादून: धामी सरकार 2.0 में मुख्यमंत्री पुष्कर बार-बार अधिकारियों को सख्त निर्देश दे रहे कि आम फरियादियों का दफ़्तरों में दर्द सुनो और फोन 24 घंटे ऑन रखें। लेकिन आम आदमी का तो क्या ही फ़ोन अफसर उठाते होंगे, जब विभागीय मंत्री फोन पर फोन करते रहे और परिवहन जीएम दीपक जैन ने कॉल पिक करना गंवारा नहीं किया।
जी हां, ये हाल है उत्तराखंड में अफ़सरशाही की हनक और उनके आगे बेबस नजर आते मुख्यमंत्री और मंत्रियों का! मुख्यमंत्री बेबस इस लिहाज से कि अफ़सरशाही को हनक छोड़कर जनहित के कामों में जुटने के तमाम निर्देशों के बावजूद नौकरशाह सुधरने को तैयार नहीं हैं। अब इसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के फोन रिसीव करने के निर्देशों की नाफरमानी नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे कि परिवहन मंत्री चंदनराम दास फोन करते रहे और जीएम दीपक जैन ने कॉल पिक ही नहीं किया।
हुआ यूं कि परिवहन मंत्री चंदनराम दास ने फरियादी बनकर पहुँचे एक ढाबे वाले के मसले को लेकर रोडवेज जीएम दीपक जैन को कॉल लगाया। मंत्री ने एक बार, दो बार, तीसरी बार लगातार जीएम को फोन घुमाया लेकिन दीपक जैन ने मंत्री का कॉल पिक नहीं किया और अंतत: मंत्री थककर बैठ गए। फिर फरियादी पीड़ित ढाबे वाले ने कॉल लगाया और जीएम ने झट से फोन उठा लिया। खैर इसके बाद तो मंत्रीजी ने परिवहन विभाग में अरसे से मठाधीशी कर रहे दीपक जैन की जमकर क्लास ली और परिवहन सेक्रेटरी सौजन्या को बुलाकर शिकायत भी कर दी है। परिवहन मंत्री चंदनराम दास इतना गुस्साए हैं कि दीपक जैन की शिकायत चीफ सेक्रेटरी डॉ एसएस संधु से करने की ठान ली है।
सवाल है कि आखिर धामी राज में रोडवेज के जीएम दीपक जैन को किसका संरक्षण मिला हुआ है कि वे अपने विभागीय मंत्री तक का फ़ोन नहीं उठा पा रहे? अगर ऐसा नहीं है तो भला क्या वजह रही कि मंत्री चंदन राम दास लगातार फ़ोन करते रहे पर फोन नहीं उठता है? लेकिन गजरौला स्थित एक ढाबे वाले का फोन जीएम दीपक जैन तुरंत उठा लेते हैं। आखिर जैन की अपने विभागीय मंत्री से ऐसी बेरुख़ी क्यों और गजरौला के ढाबे वाले से कौनसी चाहत पूरी होने की उम्मीद?