अड्डा Explainer: कोरोना को हराने में 91.6 फीसदी इफेक्टिव रूसी वैक्सीन भारत में: तीसरी कोविड वैक्सीन के बारे में ये जरूरी बातें..

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  • भारत में रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी बिकना शुरू
  • देश में हैदराबाद की कंपनी डॉ. रेड्डीज बनाएगी दवा
  • फिलहाल 995 रु प्रति डोज के हिसाब से मिलेगी
  • देश में प्रोडक्शन बढ़ने पर कम हो सकेगी क़ीमत
  • रूसी कोविड दवा स्पुतनिक-V 91.6 फीसदी असरदायक

दिल्ली: कोविड जंग में देश को तीसरी दवा भी मिल गई है। देश में शुक्रवार से रूसी कोविड वैक्सीन स्पुतनिक-वी की डिलिवरी शुरू हो गई है। देश में डॉ रेड्डीज लैब स्पुतनिक-वी का उत्पादन करेगी। अभी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर हैदराबाद में ये वैक्सीन सीमित अवधि के लिए दी जाएगी। इसके एक डोज की क़ीमत 995.40 रु तय की है क्योंकि कम्पनी इसे 948 रु प्रति डोज की दर से इम्पोर्ट कर रही है। शुक्रवार को डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज के दीपक सप्रा को रूसी वैक्सीन की पहली डोज लगाई गई। स्पुतनिक-वी का भारत में प्रोडक्शन डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज करेगी। देश में रूसी वैक्सीन की पहली खेप एक मई को आई थी और 13 मई को तमाम रेगुलेटरी क्लीयरेंस मिलने के बाद 14 मई से इसकी डिलिवरी शुरू कर दी गई है।

शुक्रवार को डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज के दीपक सप्रा को रूसी वैक्सीन की पहली डोज लगाई गई

क्या क्या ख़ासियत हैं रूसी स्पुतनिक-वी वैक्सीन में ?

  • स्पुतनिक-वी को रूस के गामालेया इंस्टीट्यूट,मॉस्को ने Russian Direct Investment Fund-RDIF की आर्थिक मदद से बनाया है।
  • जानिए क्यों रूस ने एंटी कोविड वैक्सीन का नाम स्पुतनिक-वी ही रखा? दरअसल चार अक्तूबर 1957 को तब के सोवियत संघ(अब रूस) ने विश्व का पहला सैटेलाइट स्पुतनिक छोड़ा था और कॉल्ड वॉर पीरियड में ये रूस की बड़ी उपलब्धि थी। लिहाजा पुतिन के आज के रूस ने गुज़रे दौर की अपनी उपलब्धि को याद करते हुए कोविड जंग जीतने के लिए इस वैक्सीन को स्पुतनिक-वी नाम दिया है।
  • मॉडर्ना और Pfizer का mRNA टीका 90 फीसदी तक असरदायक साबित हुआ है. उसके बाद तीसरी दवा स्पुतनिक-वी ही है जो सबसे अधिक द लेंसेट जर्नल के अनुसार 91.6 फीसदी असरदायक मानी जाती है।
  • स्पुतनिक-V को दुनिया के 60 देश मान्यता दे चुके हैं। रूस ने इसे पिछले साल अगस्त में ही मान्यता दे दी थी। उसके बाद से अनेक देश इसे अप्रूवल दे चुके हैं और जल्द यूरोपीय संघ के ड्रग रेगुलेटर भी इसे मान्यता दे सकते हैं।
  • कैसे तैयार हुई है स्पुतनिक वी? ये कोवीशील्ड की तर्ज पर ही वायरस वेक्टर प्लेटफ़ॉर्म पर बनी है। कोवीशील्ड में चिम्पैंज़ी में पाये जाने वाले एडेनोवायरस को प्रयोग हुआ है। जबकि स्पुतनिक वी में दो भिन्न वेक्टरों को मिलाकर प्रयोग किया गया है
  • भारत के लिए क्यों खास है रूसी वैक्सीन ? इस समय देश में सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड और भारत बॉयोटेक की कोवैक्सिन 18 प्लस आयुवर्ग को दी जा रही हैं। नीति आयोग का अनुमान है कि इस साल के आखिर तक भारत में 216 करोड़ डोज प्रोडक्शन होगा और इस लिहाज से जितना ज्यादा दवा कंपनियां वैक्सीन उत्पादन में उतरती है उससे सबको वैक्सीनेशन अभियान को गति मिलेगी।अभी तक डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीको रूसी वैक्सीन की डेढ़ लाख डोज ही मिली हैं।उम्मीद है कि भारत को 25 करोड़ डोज मिलेंगी यानी साढ़े 12 करोड़ लोगों का टीकाकरण हो सकेगा।
  • तीनों वैक्सीन की क़ीमतों की तुलना? रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी की क़ीमत की तुलना पहले से इस्तेमाल की जा रही दोनों वैक्सीन से करें तो सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड राज्यों को प्रति डोज 300 रु और निजी अस्पतालों को 600 रु प्रति डोज मिल रही है. जबकि कोवैक्सिन सबसे महँगी वैक्सीन के तौर पर राज्यों को 400 रु प्रति डोज और प्राइवेट अस्पतालों में 1200 रु प्रति डोज दी जा रही है।स्पुतनिक-वी के एक डोज की क़ीमत 995.40 रु तय की है।

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