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सरकार से मांग: सचिवालय संघ ने सीएम धामी को पत्र लिख दोहराई मांग, 11 फीसदी DA, एरियर मिले, कार्मिक विरोधी एमएसीपी समाप्त कर पुरानी एसीपी व्यवस्था हो बहाल

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देहरादून: उत्तराखंड सचिवालय संघ, जो राज्य की सर्वोच्च कार्यालय इकाई भी है, द्वारा सचिवालय सहित प्रदेश के समस्त कार्मिक वर्ग की दो प्रमुख मांगों पर धामी सरकार का ध्यान आकृष्ट किया है। संघ ने एक लिखित बयान जारी कर कहा है कि मांग दोहराते हुए भारत सरकार द्वारा स्वीकृत 11% महंगाई भत्ते की अनुमन्यता पर 19 जुलाई को लिखे पत्र के संदर्भ में सरकार से महंगाई भत्ते की बढ़ी हुई दर का लाभ जुलाई के वेतन में देने और 18 माह की फ़्रीज़ अवधि का एरियर भुगतान का आग्रह दोहराया है।

दूसरी मांग के तौर पर कार्मिकों की अत्यंत महत्वपूर्ण एवं हितकारी मांग के रूप में वित्त विभाग द्वारा वर्ष 2017 से लागू की गई वित्तीय स्तरोन्नयन की कर्मचारी विरोधी एवं त्रुटि पूर्ण एम0ए0सी0पी0 योजना को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की मांग की है।और सचिवालय सहित प्रदेश के कार्मिकों को वित्तीय स्तरोन्नयन की 10, 16 एवं 26 वर्ष की पूर्व व्यवस्था पुनः लागू करते हुए विभागों के संवर्ग के ढांचे में उपलब्ध एवं सृजित पदों के वेतनमान का लाभ एसीपी के अंतर्गत दिए जाने की मांग रखी है।

सचिवालय संघ की ओर से मुख्यमंत्री को मंगलवार को लिखे 2 पत्रों के संदर्भ में संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा है कि कोरोना काल में सचिवालय सहित प्रदेश के सभी कार्मिकों द्वारा अपनी जान की परवाह किए बिना आम जनमानस एवं सरकार को विषम परिस्थितियों में अपना अपेक्षित सहयोग दिया गया है। साथ ही सभी कर्मचारियों द्वारा 6 माह तक अपना एक दिन का वेतन भी सरकार को राज्य के आर्थिक संकट से उबारने हेतु दिया गया।

सरकार द्वारा कोरोना काल में फ्रीज किए गए महंगाई भत्ते को सरकार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए सरकार के अग्रिम निर्णय तक की प्रतीक्षा की गई थी। अब प्रदेश कार्मिकों को कोरोना काल में दिए गए सहयोग को देखते हुए राज्य के कार्मिकों को महंगाई भत्ते की बढ़ी हुई दर का लाभ जुलाई के वेतन से ही दिए जाने तथा जनवरी 2020 से कोरोना काल में फ्रीज किए गए महंगाई भत्ते की समय-समय पर बढ़ी हुई दर के एरियर का भुगतान भी संबंधित कार्मिकों को किए जाने की मांग संघ द्वारा पुनः की गई है।

इसके साथ-साथ पुलिस परिवार सहित सचिवालय व प्रदेश के सभी कार्मिक वर्ग की एसीपी देयता में संवर्ग में सृजित पदोन्नत पद के वेतनमान की अनुमन्यता के सम्बन्ध में संघ की ओर से वित्त विभाग पर कार्मिक विरोधी नीति अपनाने का आरोप लगाया है। संघ द्वारा कहा गया है कि वित्त विभाग द्वारा वर्ष 2017 से लागू की गयी एम0ए0सी0पी0 की व्यवस्था अन्य किसी राज्य में नही है तथा न ही ऐसी व्यवस्था पूर्ववर्ती राज्य उत्तर प्रदेश मे ही विद्यमान है।

ऐसी व्यवस्था सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के विपरीत है तथा वेतन आयोग की किसी भी कार्मिक को सम्पूर्ण सेवाकाल में न्यूनतम 3 पदोन्नति दिये जाने अथवा पदोन्नति न होने की स्थिति में पदोन्नत पद के वेतनमान मे वित्तीय स्तरोन्नयन का लाभ दिये जाने की मूल भावना के विपरीत है। संघ की ओर से इस सम्बन्ध में स्व0 प्रकाश पन्त के साथ सम्पन्न बैठक में 31 जनवरी 2019 को बनी सहमति का भी वर्तमान समय तक क्रियान्वयन न कराये जाने का भी आरोप वित्त विभाग पर लगाया है।

सचिवालय संघ के संयोजक मण्डल की प्रमुख भूमिका में हुए समझौते के अनुरूप सचिवालय सहित प्रदेश के सभी कार्मिकों को वित्तीय स्तरोन्नयन में वर्तमान व्यवस्था से हो रही हानि से पीड़ित सभी कार्मिक वर्ग, जिसमें पुलिस विभाग भी स्वतः सम्मिलित है, को बचाने व वित्त विभाग की कार्मिक वर्ग के प्रति विरोधी मानसिकता के कारण सरकार के प्रति बढ़ रहे असंतोष को समाप्त किये जाने के लिये सरकार से हस्तक्षेप की मांग की गयी है।

इस प्रकरण में स्पष्ट रूप से एम0ए0सी0पी0 की व्यवस्था को तत्काल समाप्त कर एसीपी की 10, 16 व 26 वर्ष की पूर्व व्यवस्था को लागू करते हुये विभागों के संवर्गीय ढाॅचे में सृजित पदोन्नत पद के वेतनमान का लाभ एसीपी के अंतर्गत दिये जाने की मांग सचिवालय संघ द्वारा प्रमुखता से आज की गयी है।

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