देहरादून: उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हालात की गंभीरता को समझते हुए कार्मिक संगठनों की त्रिवेंद्र राज से लंबित माँगों के समाधान की कवायद छेड़े हुए हैं लेकिन राज्य की नौकरशाही के कामकाज का अपना अलग ही ढर्रा है। नौकरशाही की हर फाइल को लटका देने और जायज माँगों को भी टालते रहने की प्रवृति का नतीजा है कि आए दिन कोई न कोई कार्मिक संगठन सड़कों पर आंदोलन के लिए उतर आता है। हाल में ऊर्जा निगम के कार्मिकों की हड़ताल खत्म कराने के लिए भी खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मोर्चा संभालना पड़ा वरना अफ़सरशाही का हीलाहवाली के चलते तो पीएम नरेन्द्र मोदी के दौरे से एक दिन पहले टोटल ब्लैक आउट जैसे हालात बन गए थे।
उत्तराखंड अधिकारी कार्मिक शिक्षक महासंघ से लेकर उत्तराखंड सचिवालय संघ जैसे संगठन विभिन्न मुद्दों पर संघर्ष के रास्ते पर हैं।
सचिवालय संघ कार्मिकों द्वारा शुक्रवार को मोबाइल फोन ऑफ रखने के कारण सांय को संवर्गीय संघों के साथ होने वाली महत्वपूर्ण बैठक आहूत नही की जा सकी है। सचिवालय संघ की माँगों को लेकर शुक्रवार को उच्च स्तर पर बैठक होने तथा मुख्यमंत्री के स्तर पर शनिवार को वार्ता कराकर कोई अपेक्षित निर्णय दिये जाने का संज्ञान कराया है।
सचिवालय संघ की संवर्गीय संघों के साथ आज सांय होने वाली महत्वपूर्ण बैठक अपरिहार्य कारणों से न हो सकी। अब ये महत्वपूर्ण बैठक 11 अक्तूबर को प्रातः 11.30 बजे संघ भवन में होगी। इसमें अग्रेत्तर आन्दोलन यथा अनिश्चितकालीन हड़ताल आदि के सम्बन्ध में विचार विमर्श कर आम सभा के माध्यम से संघ हित में सार्थक निर्णय लिया जायेगा।
ज्ञात हो कि सचिवालय संघ गोल्डन कार्ड, लंबित प्रमोशन, शिथिलीकरण नियमावली-2010 और पुरानी एसीपी व्यवस्था बहाली सहित 14 सूत्रीय माँगों को लेकर संघर्ष कर रहा है। सचिवालय संघ लगातार सक्षम अधिकारियों से मांग कर रहा है कि 12 अक्तूबर की राज्य कैबिनेट बैठक में गोल्डन कार्ड और शिथिलीकरण नियमावली का मामला रखा जाए। इसे लेकर संघ ने पूरी ताकत झोंक रखी है लेकिन नौकरशाही के अब तक के काम अटकाने या टालने वाले ढर्रे को लेकर संघ पदाधिकारियों में संदेह भी बना हुआ है।
सचिवालय संघ एक-दो दिनों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी मुलाकात कर दोनों प्रस्तावों को आगामी कैबिनेट में लाने तथा अन्य पेंडिंग मुद्दों को जल्द निपटाने कि मांग करेगा
शासन स्तर हुई बैठक का कार्यवृत में भारी बदलाव को संघ ने सक्षम अधिकारियों द्वारा कार्मिक हितों पर कुठाराघात करार दिया है। संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी का आरोप है कि ऐसे में जब कार्मिक हितों को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार सकारात्मक रुख अपनाए हुए हैं तब होना तो यह चाहिए था कि शासन स्तर पर जमे सक्षम अधिकारी और राज्य की नौकरशाही तमाम लंबित मसलों के निपटारे की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाती लेकिन हो इसका ठीक उलटा रहा कि जायज माँगों को भी गोल-गोल घुमाकर कार्मिकों के संयम का इम्तिहान लिया जा रहा है।