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देहरादून: धामी सरकार में ऊर्जा विभाग पाकर अति उत्साहित कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने 100 यूनिट फ्री बिजली के दावे के बाद अब दूसरा धमाका कर दिया है। ऊर्जा मंत्री हरक ने ऐलान किया है कि UPCL के घोटालों की फ़ाइलें खोली जाएंगी और UPCL को घाटे में लाने वाले तमाम ज़िम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी। ऊर्जा मंत्री ने Uttarakhand Power Corporation Limited-UPCL में हुए तमाम घोटालों की फ़ाइलें तलब कर ली हैं और उनका अध्ययन कर हरक सिंह रावत दोषियों पर एक्शन लेंगे।
दरअसल, पुष्कर सिंह धामी के राज्य सरकार की कमान संभालने से पहले ऊर्जा विभाग पिछले मुख्यमंत्रियों के क़ब्ज़े वाला विभाग रहा और सरकार के मुखिया की नजर के बावजूद इसके तीनों निगमों में घोटाले के घड़ियाल अपना खेल खेलते रहे हैं। ऐसे में सवाल सीधा सा है कि क्या ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत भ्रष्टाचार को लेकर मंत्री रहते अपने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों से हिसाब चुकता करने की रणनीति पर हैं? क्या हरक सिंह रावत ऊर्जा विभाग की घोटालों से हुई बत्ती गुल का भंडाफोड़ हरीश रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत को निशाने पर लेने के मक़सद से करना चाह रहे हैं? जाहिर है असल उद्देश्य तो हरक सिंह रावत ही जानते हैं क्योंकि अभी तो वे UPCL के घाटे की गहराई से जांच का दावा कर रहे हैं।
UPCL के घोटाले?
वैसे तो ऊर्जा विभाग के तीनों निगमों का घोटालों से चोली-दामन का रिश्ता रहा है। लेकिन अभी ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने सिर्फ UPCL के घोटाले की फ़ाइलें तलब की हैं। UPCL में फर्नेस इंडस्ट्री घोटाला, NH 74 बिजली लाइन शिफ़्टिंग घोटाला, रुद्रपुर बिल कनेक्शन में 55 लाख का ग़बन, हरिद्वार में बिल कनेक्शन में 55 लाख का ग़बन, हरिद्वार कुंभ में बिजली चोरी कांड, घटिया इंसुलेटर उपकरण, एक्यूरेट मीटर खरीद घोटाला, ट्रिप रिले केस, ट्रांसफ़ॉर्मर खरीद घोटाला, ट्रांस केबिल केस के साथ-साथ एक कंपनी की तरफ से बिजली बेचने का ताजा मामला है।
करोड़ों रुपए के इन तमाम घोटालों की फ़ाइलें तलब करने के पीछे का मक़सद ऊर्जा मंत्री पारदर्शिता को बढ़ावा देकर घाटे के UPCL को मुनाफ़े में लाना बता रहे हैं। लेकिन इसके सियासी कारणों से भी पूरी तरह इंकार नहीं किया जा सकता है।
वैसे बाकी बचे दो निगमों का नंबर भी जल्द आ सकता है क्योंकि घोटालों की फ़ेहरिस्त यहाँ भी अंतहीन है।
PITCUL: ट्रांसमिशन लाइनें बिछाने से लेकर सबस्टेशन बनाने वाले पिटकुल में भी करोड़ों के घोटाले हुए हैं लेकिन ढंग से जांच का अभाव रहा है। पिटकुल में 530 करोड़ का कोबरा कांड, झाझरा 80 MVA-IMP पॉवर ट्रांसफ़ॉर्मर मामला, 43 करोड़ का राजश्यामा कंस्ट्रक्शन स्ट्रक्चर मामला, फ़र्ज़ी ईशान कम्पनी को 33 करोड़ रुपये के भुगतान का मामला, दबा पड़ा एसएस यादव सीडी प्रकरण, सेलाकुई GIS सबस्टेशन 14 करोड़ के काम में 164 करोड़ रुपये खर्च करने जैसे कई घोटालों से पर्दा हटाने की दरकार है।
ऐसे ही हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन एंड मेंटेनेंस देख रहे UJVNL में भी घोटाले के घड़ियाल खेल करते रहे हैं। यहां टरबाइन घोटाला, ईआरपी घोटाला, शक्ति नहर पर सोलर प्लांट स्कैम और भर्ती घोटाला हो चुका है लेकिन पारदर्शी जांच का इंतजार है। टीएसआर-1 को 2017 में सरकार की कमान मिली तो ऊर्जा विभाग मुख्यमंत्री के कोटे में ही रहा था, घोटालों से परदे हटाने के दावे भी हुए लेकिन टीएसआर राज के जीरो टॉलरेंस में न ऊर्जा निगम के घोटालेबाज़ बेपर्दा हुए और ना ही नए घोटाले रुके।
ऐसे में अब नए नवेले ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने ऊर्जा निगम के घोटालेबाज़ घड़ियालों पर एक्शन का दम भरा है, देखना होगा कितने मगरमच्छ पकड़ में आते हैं।