- ग्रीन दून और स्वच्छ पर्यावरण के लिए संघर्षरत आशीष गर्ग ने एसडीसी फाउंडेशन के सस्टेनेबल डेवलपमेंट डायलाग “विजन फॉर दून” मे देहरादून विज़न पर की वर्चुअल बातचीत
- देहरादून शहर को क्लाइमेट को अपनी पहली और सबसे बड़ी प्राथमिकता बनाना चाहिए
- दून का कार्बन फुटप्रिंट कम करने के साथ ही हेल्थ, स्पोर्ट्स और थियेटर पर भी ध्यान देने की जरूरत
देहरादून: देहरादून की हरियाली बनाये रखने और उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण के लिए कानूनी और जमीनी लड़ाइयां लड़ रहे आशीष गर्ग का मानना है कि देहरादून शहर को क्लाइमेट एक्शन को अपनी पहली और सबसे बड़ी प्राथमिकता बनाना चाहिए। देहरादून के वातावरण को बेहतर बनाने के लिए यहां कार्बन फुट प्रिंट में कमी लाना बहुत ज़रूरी है। इसके लिए वे शहर का तापमान कम करने, पेड़ों को बचाने व लगाने, वर्षा जल संरक्षण के साथ ही हेपीनेस इंडेक्स बढ़ाने के लिए काम करने की जरूरत बताते हैं।
एसडीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल के साथ एसडीसी सस्टेनेबल डेवलपमेंट डायलाग सीरीज के तहत एक वर्चुअल बातचीत में आशीष गर्ग ‘विजन ऑफ देहरादून’ विषय पर अपनी बात रख रहे थे। उनसे पूछा गया कि देहरादून का विजन क्या होना चाहिए। इस सवाल पर आशीष गर्ग ने कहा कि एक समय देहरादून पहाड़ियों, नदियों, नहरों और साफ-सुथरे पानी वाले नालों का शहर था। आज यह शहर एजुकेशन हब, डिफेंस और इंजीनियरिंग एजुकेशन के लिए भी जाना जाता है। लेकिन हाल के वर्षों में शहर में जनसंख्या विस्फोट की स्थिति पैदा हुई है और इसी हिसाब से यहां की हरियाली खत्म होने के साथ शहर कंक्रीट का जंगल बन चुका है।
आशीष गर्ग के अनुसार भविष्य के सुन्दर दून के निर्माण के लिए जरूरी है कि शहर के कार्बन फुटप्रिंट को कम किया जाए। इसके लिए सबसे पहले हमें शहर के तापमान के उच्च स्तर को 32-33 डिग्री तक लाना होगा, जो फिलहाल 40 डिग्री से ज्यादा है। इसके लिए वनों, पेड़ों को बचाने व लगाने के साथ ही वर्षा जल का संग्रहण करना होगा। पूरे शहर में हमें ग्रीन बिल्डिंग्स बनानी होंगी। हैप्पीनेस इंडेक्स बढ़ाने की दिशा में काम करना होगा। हर वार्ड में डिस्पेंसरी और खेल का मैदान बनाने के साथ ही थियेटर गतिविधियां बढ़ाने की दिशा में काम करना होगा।
अनूप नौटियाल ने उनसे पूछा कि वे लगातार पेड़ काटने का विरोध कर रहे हैं, क्या यह विकास को अवरुद्ध करना नहीं है? इस सवाल के जवाब में आशीष गर्ग ने भी सवाल किया कि क्या मौजूदा पर्यटन व्यवस्था उचित है? जहां वाहनों की रेलम-पेल है, जाम है और पार्किंग की भी व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि पर्यटन के मौजूदा स्वरूप में हम तीर्थस्थलों और पर्यटन स्थलों पर इतनी भीड़ बढ़ा रहे हैं, जितनी क्षमता इन स्थलों की नहीं है। वे इन जगहों पर वाहनों की भीड़ बढ़ाने के बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट और रोपवे जैसी व्यवस्थाओं को बढ़ावा देने की बात करते हैं।
इस बातचीत में अनूप नौटियाल ने पिछले 10 वर्षों के दौरान राज्य में मतदाताओं की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी की अपने फाउंडेशन की एक रिपोर्ट का हवाला दिया। इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012 से लेकर वर्ष 2022 तक राज्य में मतदाताओं की संख्या में 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई। यह इस वर्ष विधानसभा चुनाव वाले पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा और मणिपुर के तुलना में सबसे ज्यादा था। इस दौरान राज्य के तीन मैदानी जिलों में 40 प्रतिशत मतदाता बढ़े और देहरादून के धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में यह बढ़ोत्तरी सबसे ज्यादा 72 प्रतिशत रही। उन्होंने इस चिन्ता को लेकर भी आशीष गर्ग से सवाल किया।
इस सवाल के जवाब में आशीष गर्ग का कहना था कि विश्व में ज्यादातर देशों में बढ़ती जनसंख्या की व्यवस्था करने के लिए पुराने शहरों के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाती, बल्कि नये शहरों को सभी सुविधाओं के साथ विकसित किया जाता है। उन्होंने इसके लिए न्यू दून की अवधारणा को उचित बताया। लेकिन साथ ही यह भी कहा कि यह किसी हरी-भरी जमीन में न बसाकर फॉल्ट जोन से दूर किसी कम हरियाली वाले स्थान पर बसाया जाना चाहिए। उन्होंने स्मार्ट सिटी की परिकल्पना को सराहा, लेकिन इसके काम करने के तरीकों पर सुधार लाने की आवश्यकता पर जोर दिया।