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सतत विकास लक्ष्यों को लेकर सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने किया यूएनडीपी के साथ अंब्रेला एमओयू साइन, यहां CS संधु ने हंस फाउंडेशन की मदद से चल थे कार्यों की समीक्षा की

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Uttarakhand News: राज्य में सतत विकास लक्ष्यों को त्वरित गति देने, यथावश्यक नीति नियोजन सम्बन्धित पहलुओं पर तकनीकी सहयोग देने एवं विभिन्न विभागों में आवश्यकतानुसार तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करने, क्षमता विकास, साक्ष्य आधारित नियोजन आदि में सहयोग देने के सम्बन्ध में राज्य सरकार के प्रतिनिधि आर. मीनाक्षी सुन्दरम, सचिव, नियोजन द्वारा यू०एन०डी०पी० भारत के स्थानिक प्रतिनिधि सोको नोडा के साथ एक अंब्रेला एमओयू हस्ताक्षरित किया गया।

इसी क्रम में नियोजन विभाग के अन्तर्गत गठित सी०पी०पी०जी०जी० में भी सतत विकास लक्ष्य, पॉलिसी रिसर्च आदि तकनीकी सहयोग के लिए एमओए हस्ताक्षरित किया गया।

एमओयू हस्ताक्षर के दौरान सोको नोडा द्वारा अवगत कराया गया कि उत्तराखण्ड राज्य यूएनडीपी के लिए एक प्रीमीयर राज्य के रूप में है, जहाँ वर्ष 2017 से यूएनडीपी राज्य के विभिन्न विभागों के साथ अम्ब्रेला एमओयू के अन्तर्गत राज्य के त्वरित समाजार्थिक विकास में आवश्यकतानुसार सहयोग प्रदान कर रहा है।

यूएनडीपी द्वारा जहाँ एक ओर राज्य सरकार के साथ मिलकर सतत विकास लक्ष्यों को गति देने हेतु अनुश्रवण एवं मूल्यांकन व्यवस्था तथा कार्ययोजनाऐं तैयार करने हेतु सहयोग दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर राज्य में रोजगार सृजन, उद्यमशीलता को बढ़ाने हेतु कौशल विकास, एस०आर०एल०एम० पी०एम०यू० गठन, कृषि एवं उद्यानीकरण में सहयोग, जलवायु परिर्वतन के अन्तर्गत सिक्योर हिमालया प्रोजेक्ट आदि पर कार्य किया जा रहा है।

नियोजन सचिव आर0 मीनाक्षी सुन्दरम द्वारा यू०एन०डी०पी० से अपेक्षा की गई कि वे राज्य में एस०डी०जी० क्रियान्वयन अनुश्रवण एवं मूल्यांकन के साथ-साथ जेंडर समावेशी, जेंडर बजटिंग तथा राज्य की आवश्यकता अनुसार पॉलिसी रिसर्च एवं देश-विदेश के विकास के सफल प्रयोगों (बेस्ट प्रेक्टिसेज) के अनुसार भी विभिन्न विभागों को तकनीकी सहयोग करने का कष्ट करें।

एमओयू हस्ताक्षर के दौरान सी०पी०पी०जी०जी० के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी, डॉ0 मनोज कुमार पंत, यूएनडीपी के राज्य प्रमुख डॉ० प्रदीप मेहता, पॉलिसी विशेषज्ञ कुमार राजेश आदि मौजूद थे।

हंस फाउंडेशन के सहयोग से चल रही योजनाओं की मुख्य सचिव की अगुआई में हुई समीक्षा

मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में हंस फाउंडेशन के सहयोग से उत्तराखण्ड में चल रही विभिन्न योजनाओं के संचालन हेतु संचालन समिति की 9वीं बैठक संपन्न हुई। इस अवसर पर हंस फाउंडेशन की ओर से प्रदेश में किए जा रहे विभिन्न कार्यों की जानकारी दी गई।

मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य विभाग से प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को दृष्टि से ऐसे क्षेत्रों चिन्हित कर हंस फाउंडेशन के सहयोग से मेडिकल मोबाइल यूनिट संचालित किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जंगलों को आग से बचाने के लिए पिरूल का निस्तारण आवश्यक है। उन्होंने स्कूलों में मिड-डे मील के लिए रसोई गैस के विकल्प के रूप में पिरूल का उपयोग में हंस फाउंडेशन से सहयोग के अपेक्षा की। सीएस ने कहा कि इस रोजगार से जुड़े लोगों को एक बाजार भी मिलेगा। साथ ही, जंगलों को आग से बचाया जा सकेगा।

मुख्य सचिव ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में बीआरसी और सीआरसी के साथ ही कौशल विकास के क्षेत्र में क्षमता निर्माण में हंस फाउंडेशन सहयोग कर सकता है। साथ ही आजीविका के क्षेत्र में हंस फाउंडेशन द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सहयोग प्रदान कर सकता है। उन्होंने प्रदेश के विकास में राज्य सरकार की ओर से हंस फाउंडेशन को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।

हंस फाउंडेशन के सीईओ संदीप कपूर ने बताया कि हंस फाउंडेशन की ओर से प्रदेशभर के 1235 दूरस्थ गांवों में 52 मेडिकल मोबाइल यूनिट संचालित की जा रही हैं। हंस उद्यमिता मिशन के तहत राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं में उद्यमियों को तकनीकी सहायता, बिजनेस प्लान और ऋण स्वीकृति ने सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।

इस अवसर पर सचिव शैलेश बगोली, दीपेन्द्र कुमार चौधरी, डॉ. आर. राजेश कुमार, हरिचंद्र सेमवाल एवं अपर सचिव सी. रविशंकर सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

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