Dehradun Smart City Projects and people’s endless pain: सियासत में कब कौन राजनेता पाला बदल ले या कौन किसका कब तक कर्ज चुकाए कुछ कहा नहीं जा सकता है। देहरादून के प्रथम नागरिक यानी मेयर सुनील उनियाल गामा की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखी चिट्ठी चर्चाओं का बाजार गर्म कर रही है।
सवाल है कि क्या साल भर पहले तक TSR-Gama उत्तराखंड की सियासत की हिट जोड़ी अब टूट के कगार पर है? अगर ऐसा नहीं है तो भला सीएम धामी को लिखी चिठ्ठी में मेयर गामा का यह दर्द क्यों छलकता कि पिछले तीन सालों से स्मार्ट सिटी की परिकल्पना के विपरीत कार्य हो रहे हैं। जाहिर है गामा का दर्द है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के सीएम रहते ही स्मार्ट सिटी के कार्यों को लेकर गैर जिम्मेदार ठेकेदारों ने स्मार्ट सिटी के उज्जवल भविष्य से खिलवाड़ कर उसे न केवल अंधकार में धकेल दिया बल्कि जन भावनाओं से खिलवाड़ करने में भी कोई कमी नहीं रखी गई।
मेयर गामा का दर्द छलक रहा है कि स्मार्ट सिटी देहरादून की जनता के लिए सरदर्द बन गया है। मेयर गामा ने सीएम धामी से शिकायत की है कि सभी जगह स्मार्ट सिटी देहरादून और इसके कार्यों में लगे ठेकेदार अव्यावहारिक कार्य करने के लिए प्रसिद्ध ही गए हैं।
सीएम धामी ने सत्ता संभालने के बाद लापरवाह ठेकेदारों को चेतावनी देते हुए एक कंपनी के ब्लैक लिस्ट कर दिया था। अब मेयर गामा ने सीएम धामी को शिकायत कर कहा है कि आपके एक्शन को जनता ने खूब सराहा लेकिन इसके बावजूद ठेकेदारों के अव्यावहारिक कार्यों का सिलसिला जारी है। गामा ने सीएम से स्मार्ट सिटी कार्यों में भ्रष्टाचार का खुलासा करने को वित्तीय जांच की मांग भी की है।
जाहिर है स्मार्ट सिटी के कार्यों में देरी और बेतरतीब निर्माण कार्यों ने देहरादून की जनता का सिरदर्द बढ़ाया है और यही वजह है कि सीएम धामी समय समय पर अफसरों से लेकर कार्यदायी एजेंसियों के पेंच कसे हैं। गुरुवार को भी सीएम धामी ने स्मार्ट सिटी के निर्माण कार्यों की समीक्षा बैठक बुलाकर अफसरों को टाइट किया है और अधूरे कार्यों को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन पॉलिटिकल कोरिडोर्स में हल्ला इसी बात को लेकर है कि गामा पहलवान अपने चिट्ठी दांव से पूर्व मुख्यमंत्री को चित कर पाला बदल की पटकथा लिख रहे? या फिर TSR Gama जुगलबंदी से बने स्मार्ट सिटी के बुरे हाल से खुद का दामन बचाने के लिए फेस सेविंग लाइन पकड़ रहे हैं!